विचार / लेख

सांप, सपना और मेरा अपराधबोध
22-Jun-2020 1:27 PM
सांप, सपना और मेरा अपराधबोध

-मनजीत कौर बल

विगत दो दिन पहले सपने में एक सांप से लंबी चर्चा हुई। सुबह उठने पर थोड़ा परेशां रही कि सपना था या मेरा अपराधबोध। पिछले एक साल से स्नेक रेस्क्यू के कॉल में मेरा जाना कम ही हो रहा है। व्यस्तता बढ़ रही है और टीम भी जाने को तैयार रहती है। शायद इसलिए ही लेकिन कई बार जाना जरूरी होता है जब विशेष रूप से समझाना हो कि हम रेस्क्यू करने वाले लोग नहीं हैं। पर्यावरण के हर घटक के साथ रहने की आदत बनाने वाले लोग हैं। ऐसे ही दो कॉल में जाना हुआ और पहुँचने पर मेंढक या चूहे के साथ ही सांप मिले। घरवालों को बहुत मनाने के प्रयास में विफल रहे कि उसे खाने दिया जाए और थोड़ा इंतजार करके जाने दिया जाए। लेकिन जब मारने को तैयार होने लगे तो उन्हें वहां से हटाना पड़ा।

अब सारी चर्चा तो सांप को मालूम नहीं होती। उनकी भाषा हमारी तरह नहीं है, तो संवाद की बेहद कमी सी लगती ही है।

ऐसे में जब उसको हटाने लगी तो क्यों ऐसा लगा उस दिन कि सांप जोरों से चिल्ला रहा हो। बस यही सोचते हुए घर पहुंची और उस रात के सपने का वाकया कुछ इस तरह से याद है।

सांप चिल्लाते हुए बोल रहा हो अभी तो आया था। किसको समस्या हो रही। मुझे तो किसी से कोई मतलब नहीं रहता। अब मैं क्या करूं अगर वो चूहे लोगों के घरों में घुस जाते हैं। मैं तो उन चूहों के लिए घुसता हूँ और पता नहीं घर के लोग ऐसे इधर-उधर दौड़ते हैं। मानो मैं उनसे मिलने पहुंचा हूँ, बिन बुलाए मेहमान की तरह। शुरू में तो लगता था कि लोग मुझे देखकर खुशी में उछल रहे, धीरे-धीरे समझ आया कि डरते हैं क्यों, नहीं मालूम?

जो भी हो ऐसे सामने खाने को मिले और आप जैसे लोग उठाने आ जाते हो। लोगों को समझाते क्यों नहीं कि अगर मुझे ले जाओगे तो कोई दूसरा आएगा और आखिर चूहे को खाकर हम सबका भला ही तो करते हैं। फिर क्यों इतना हंगामा। मेरा एरिया बदलकर नए तरीके से पूरा माहौल समझना भी तो एक बड़ी चुनौती, इसके बारे में क्यों नहीं सोचते? नई जगह ले जाने पर नए दुश्मन नई रुकावटें। कुछ तो मेरे जीवन को समझो। आजकल सब गूगल में उपलब्ध है। एक बार समय निकालकर पढ़ ही लेते, आप लोग ही समय निकालकर लोगों को बताओ कि पूरे शहर में कितने साँपों ने कितनों को काटा और कितने मरे? फिर क्यों इतना डरना। साँपों को कौन सा शौक होता है कि मनुष्य को काटने जाएँ। न हमारे हाथ, पैर और न ही कान कि कुछ सुन पाएं कि हमारे बारे में चर्चा क्या हो रही है? दिखाई भी पूरा आदमी नहीं देता, उसके बाद पैर और कुछ लाठियां ही रहतीं हैं। उसके भी विपरीत ही भागना ठीक समझते हैं..फिर भी इतना हंगामा।

आपके बच्चे के सामने भूख में थाली हटाएंगे तो कैसा लगेगा? सोचकर देखिए और अगली बार फिर मेरा खाना छिनिये। थोड़ा संवेदनशील तो बनिए। तभी कुछ बेहतर होगा, पर्यावरण में और फायदा मिलेगा आपको।

इतने में नींद खुल गई। आसपास देखा तो कोई सांप नहीं था लेकिन मेरा अपराधबोध मेरे भीतर ही था। तब तक रहेगा जब तक इस सांप की बातों तो लोगों तक न पहुंचा दिया जाए और भोजन करते साँपों को परेशां न करने का संदेश सबको दिया जाए।

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