विचार / लेख
छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इन दो वर्षों में बस्तर के लोहांडीगुड़ा के आदिवासियों की टाटा द्वारा अधिग्रहित कृषि भूमि को वापस दिलवाने तथा किसानों को उनके धान का वाजिब दाम दिलवाने जैसे जनहितकारी काम किए गए हैं। जिसके लिए यह सरकार बधाई की हकदार है। किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए यह शानदार उपलब्धि है।
कांग्रेस सरकार के इन दो वर्षों में देश एवं प्रदेश के साहित्यकारों तथा संस्कृति कर्मियों को यह उम्मीद थी कि छत्तीसगढ़ राज्य में भी साहित्य एवं संस्कृति को फलने फूलने की दिशा में कुछ बेहतर कार्य किए जाएंगे।
पूरे देश और प्रदेश के साहित्यकारों एवं संस्कृति कर्मियों के लिए यह खुशी की बात थी कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 14 जुलाई 2020 को मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया था कि छत्तीसगढ़ में संस्कृति परिषद की स्थापना होगी जिसके फलस्वरूप राज्य में साहित्य अकादमी, कला अकादमी , लोक कला अकादमी जैसी संस्थाएं अस्तित्व में आ सकेंगी। छत्तीसगढ़ राज्य का यह दुर्भाग्य रहा है कि छत्तीसगढ़ बनने के 20 वर्षों के बाद भी ना तो यहां साहित्य अकादमी ही बन पाया और न ही कला अकादमी और न लोक कला अकादमी ही ।
14 अप्रैल 2020 को कैबिनेट द्वारा पारित इस निर्णय के बाद उम्मीद थी कि देखते ही देखते छत्तीसगढ़ की बंजर भूमि पर भी साहित्य एवं संस्कृति के फूल खिलने और महकने लगेंगे।
साहित्य अकादमी के बनने के पश्चात ठाकुर जगमोहन सिंह, मुकुटधर पांडे, शानी, श्रीकांत वर्मा, मुक्तिबोध और विनोद कुमार शुक्ल जैसे रचनाकारों पर केंद्रित समारोह होंगे। नए रचनाकारों की पांडुलिपि का प्रकाशन होगा, राज्य के जिलों और तहसीलों में पाठक मंच की स्थापना होगी । अकादमी द्वारा एक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन होगा, राष्ट्रीय और प्रादेशिक अलंकरण प्रारंभ होंगे और कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में साहित्य का एक ऐसा माहौल बनेगा जिसे पूरा देश सराहेगा।
लोक कला अकादमी के गठन से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। पंडवानी, भरथरी नाचा ,चंदैनी पर कार्यशाला होंगी। नाचा की अग्रणी संस्थाओं को अनुदान मिलेगा और कलाकारों को राजकीय संरक्षण। मृतप्राय रतन पुरिया गम्मत तथा चंदैनी को हर संभव बचाने की कोशिश की जाएगी।
ठीक ऐसे ही कला अकादमी के माध्यम से प्रदेश की चित्रकला और नाटकों को प्रश्रय दिया जाएगा।
हबीब तनवीर, पंडित सत्यदेव दुबे तथा शंकर शेष जैसे शीर्षस्थ रंग कर्मियों पर केंद्रित कार्यक्रम होंगे।
राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 17 दिसंबर 2020 को अपने कार्यकाल का 2 वर्ष पूर्ण करने जा रहे हैं उन्हें हम बधाई देते हैं और यह उम्मीद भी करते हैं कि 14 जुलाई 2020 को मंत्रिमंडल द्वारा संस्कृति परिषद की स्थापना के संबंध में लिए गए निर्णय को शीघ्र ही क्रियान्वित करने की दिशा में वे आवश्यक पहल करेंगे।
जिससे साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में भी यह राज्य पूरे देश में एक अग्रणी राज्य का दर्जा पा सकेगा। इन्हीं उम्मीदों के साथ प्रदेश के सारे साहित्यकारों एवं संस्कृति कर्मियों की ओर से पुनः बधाई एवं शुभकामनाएं।