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साल 2021 में इन पांच तरीक़ों से मिटाएं पैसों को लेकर चिंताएं
22-Dec-2020 9:59 AM
साल 2021 में इन पांच तरीक़ों से मिटाएं पैसों को लेकर चिंताएं

जब अमांडा क्लेमैन न्यूयॉर्क में थीं तो क्रेडिट कार्ड के कर्ज़ में इस तरह फंस चुकी थीं कि उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.

अमेरिका में फाइनेंशियल थेरेपिस्ट अमांडा बीबीसी मुंडो को बताती हैं, "उस हालत ने मुझे इतना शर्मिंदा किया कि मुझे लगा कि मेरी पेशेवर और निजी उपलब्धियां सब एक झूठ हैं."

एक दिन अमांडा ने अपनी मां से अपने बाल काटने के लिए कहा. लेकिन, मां ने जिस तरह बाल काटे वो बहुत ख़राब दिख रहे थे. तब मां ने बोला कि इसे ठीक कराने के लिए तुरंत अपने हेयरड्रेसर के पास जाओ.

लेकिन, अमांडा ने कहा, "मैं नहीं जा सकती. मैं वहां वापस नहीं जा सकती क्योंकि मैंने उसे बाउंस चैक दिया है."

तब अमांडा को अपनी मां को पूरी सच्चाई बतानी पड़ी. अमांडा ने बताया कि उन पर 19 हज़ार डॉलर (करीब 14 लाख रुपये) का कर्ज़ है.

फाइनेंशियल प्लान

सबसे ख़राब बात ये थी कि अमांडा को नहीं पता था कि इतने बड़े कर्ज़ से वो कैसे निकल पाएंगी.

हालांकि, तब मां की मदद से अमांडा ने अपने बिल चुकाए. इसके बाद उन्होंने महीने का एक बजट और फाइनेंशियल प्लान बनाया. अमांडा ने पहले कभी ऐसा नहीं किया था.

अमांडा क्लेमैन कहती हैं, "मैं हमेशा बजट बनाने से बचती थी क्योंकि मुझे लगता था कि इससे मेरी आज़ादी छिन जाएगी."

लेकिन, बजट बनाने से उन्हें पता चला कि इससे उनकी आज़ादी बढ़ गई है और धीरे-धीरे खर्चे भी कम हुए हैं. उनकी बचत हो रही है जिससे उन्होंने अपने कर्ज़ चुका दिए हैं.

अमांडा कहती हैं कि उस हेयरकट के कर्ज़ के कारण मुझे मेरा सही रास्ता मिल गया जहां मैं पैसों को लेकर ज़्यादा समझदार, सशक्त हो गई और मुझे मेरी ज़िंदगी का जुनून मिल गया.

कई सालों तक सोशल वर्क का काम करने के बाद अपने इस जुनून के कारण अमांडा क्लेमैन एक फाइनेंशियल थेरेपिस्ट बन गईं.

फाइनेंशियल एंग्ज़ाइटी (वित्तीय घबराहट) क्या है

अब क्लेमैन ऐसे लोगों की मदद करती हैं जिन्हें वित्तीय तनाव की समस्या है. वो कंपनियों के साथ जुड़ी हैं, कोर्सेज कराती हैं और इन विषयों पर लिखती हैं.

अमांडा बताती हैं कि घबराहट तब होती है जब हमारा शरीर और दिमाग हमें सिग्नल देता है कि कुछ ऐसा है जो सही नहीं है, उस पर ध्यान दें.

ये हमारे लिए ख़तरे की निशानी है कि अब उस मुश्किल स्थिति से निपटने का वक़्त आ गया है. हालांकि, अक्सर होता ये है कि जब लोग घबराहट महसूस करते हैं तो मुश्किलों पर ध्यान देना ही बंद कर दते हैं.

अमांडा कहती हैं कि इसलिए हम पैसों को लेकर घबराहट महसूस करते हैं. हम अमूमन इस बारे में नहीं सोचते हैं और हालत इतनी ख़राब हो जाती है कि हम आवेश में फैसले कर लेते हैं.

वह बताती हैं कि इन फैसलों के कारण स्थितियां और ख़राब हो जाती है जिससे घबराहट और बढ़ जाती है. इस तरह हम एक दुष्चक्र में फंसते चले जाते हैं. इसलिए सबसे पहले अपनी घबराहट पर ध्यान दें और गहराई से सोचें की आपके साथ क्या हो रहा है.

अमांडा फाइनेंशियल एंग्ज़ाइटी से निकलने के ये पांच तरीके बताती हैं:

1. अपनी उत्सुकता बढ़ाएं

पहला कदम ये है कि अपने पैसे को लेकर उत्सुक होना सीखें.

आपकी वित्तीय ज़िंदगी में क्या हो रहा है, ये उसमें असल दिलचस्पी लेने जैसा है बजाए कि आप सिर्फ़ मौजूदा कर्ज़ चुकाने के बारे में सोचें.

उसके लिए, एक सही तरीका ये है कि हम खुद से पूछें कि हमारे पैसों से हमारे बारे में क्या पता चलता है कि हम अपने समय का इस्तेमाल कैसे करते हैं और हमारे लिए क्या चीजें असल में महत्वपूर्ण हैं.

2. अपने पैसों पर लगातार ध्यान दें

महीने में कम से कम एक बार ये तीन चीजें करें:

- ये देखें कि आपके बैंक अकाउंट में कितना पैसा आता है और कितना बचता है.

- इस पर विचार करें कि आगे कैसी वित्तीय स्थिति आने वाली है.

- एक योजना बनाएं.

उदाहरण के लिए, अगर आपका किराया बढ़ रहा है तो आपको अपने बजट में कुछ चीजें बदलनी होंगी ताकि किराया देने का समय आने से पहले आप कुछ इंतज़ाम कर सकें.

ये समय से पहले की तैयारी करना है ना कि समय आने का इंतज़ार करना है.

3. आपने जो हासिल किया है, उसके लिए अपनी खूबियों को पहचानें

ये महत्वपूर्ण है कि आप पहचानें की आपने अपने लक्ष्य की तरफ़ कितनी प्रगति की है.

इस बात को लेकर परेशान ना रहें कि आप लक्ष्य तक क्यों नहीं पहुंचे.

भले ही आप छोटे-छोटे कदम उठा रहे हैं लेकिन ये भी महत्वपूर्ण बदलाव है जो दिखाता है कि आपमें इसकी क्षमता है.

फाइनेंशियल एंग्ज़ाइटी को ख़त्म करना एक ऐसी प्रक्रिया है जो रातों रात पूरी नहीं हो सकती.

4. प्रयोग करने की मौका

हम अक्सर चीजों को उनके ‘सही तरीक़े’ से ही करना चाहते हैं क्योंकि कुछ अलग करने पर हमें असफल होने का डर लगता है.

लेकिन, कई बार किसी चीज़ को करने का एक ही सही तरीक़ा नहीं होता.

अगर हम थोड़ा और सोचें तो कई और रास्ते खुले हो सकते हैं.

हमें अपने आप को और रचानात्मक होने का मौका देना चाहिए.

5. पैसे ना होना ‘अच्छी ख़बर’ है

भले ही ये सुनने में अजीब लगता है कि पैसा ना होना ‘अच्छी ख़बर’ है लेकिन, ये स्थितियों से निपटने के लिए सोचने के तरीक़े में बदलाव करने जैसा है.

यह कदम हमारे दृष्टिकोण को बदलने के महत्व को दिखाता है कि हम अपने जीवन में चुनौतियों का जवाब कैसे देते हैं और उनसे निपटने के लिए लचीलापन कैसे अपनाते हैं.

"हम वित्तीय परेशानियों से नहीं निपट सकते" ये सोचने की बजाए सोचें कि "इन परेशानियों से कैसे निकलें."

इस प्रक्रिया में हमें अपने बारे में कई दिलचस्प बातें पता चलेंगी और हम जानेंगे कि व्यक्तिगत मामले कैसे पैसों को संभालने के हमारे तरीके को प्रभावित करते हैं.

ये कोई जादू नहीं

अमांडा कहती हैं, "फाइनेंशियल थेरेपी और पैसों को लेकर जो व्यवहार हम विकसित करना चाहते हैं, ये सब किसी जादू की छड़ी जैसा नहीं है."

ये एक प्रक्रिया है जो ये स्वीकार करने से शुरू होती है कि हमारे सामने एक चुनौती है. खुद को जानने का ये सफर चलता रहता है ताकि ये पता चल सके कि वो सिग्नल हमसे क्या कहना चाहते हैं और हम कुछ आदतों में बदलाव के लिए योजना बना सकें.

इस प्रक्रिया में अपने आप से कई सवाल पूछना फायदेमंद होता है. जैसे कि आपके काम का मतलब क्या है, आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं, आपके लक्ष्य को क्या प्रभावित करता है, कौन-से रिश्ते आपकी वित्तीय सेहत को प्रभावित करते हैं, आप किन चीजों को बदल सकते हैं और किन्हें नहीं.

अगर आपकी नौकरी चली जाए

ऐसी स्थिति में फाइनेंशियल थेरेपिस्ट सलाह देते हैं कि आपको पहले शांति से बैठकर मौजूदा हालात का विश्लेषण करना चाहिए,

एक अच्छा तरीक़ा ये है कि आप उन लोगों के साथ बात करें जिनके साथ आपकी वित्तीय प्रतिबद्धताएं हैं जैसे मकान मालिक से बात करें और उसे किराये को लेकर थोड़ा समय देने के लिए कहें.

अगर नौकरी जाने से पहले आपकी कुछ बचत है तो योजना बनाएं कि आप उनसे ज़्यादा से ज़्यादा कितने दिनों तक अपना खर्च चला सकते हैं.

यह इस बारे में सोचने में भी मदद करता है कि आपको वैकल्पिक तरीकों से कैसे पैसे मिल सकते हैं.

भले ही उन पैसों से आपके सभी खर्चे पूरे ना हों लेकिन, कर्ज़ और उसके ब्याज़ से बचने के लिए ये तरीक़ा काफ़ी हद तक आपकी मदद कर सकता है. साथ ही अपने खर्चे कम करना ना भूलें

इस सबके ज़रिए ये जानने की कोशिश है कि किन चीज़ों पर आपका नियंत्रण है और कौन-सी चीजें आपके काबू से बाहर हैं. इससे हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद मिलती है. (bbc) 

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