विचार / लेख

सत्य का आग्रह
27-Dec-2020 12:53 PM
सत्य का आग्रह

-राजीव गुप्ता

बात सन् 1924 की केरल में हुए वैकोम सत्याग्रह की। स्वर्ण हिंदुओं ने वैकोम मंदिर के आसपास की सडक़ दलित हिंदुओं के लिए बंद कर रखी थी (यह सडक़ क्रिश्चियन एवं मुस्लिम लोगों के लिए खुली थी) इसके विरोध में केरल में सत्याग्रह हुआ और सफल हुआ। यह सत्याग्रह वैकोम सत्याग्रह के नाम से जाना गया। यह कई मायनों में इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़े हुए हैं। इस सत्याग्रह पर गांधीजी का बहुत प्रभाव था।

यह सत्याग्रह धार्मिक सौहार्द और स्वर्णो की बदलती मानसिकता के लिए भी जाना जाता है। यह देश का पहला जातिवाद विरोधी सत्याग्रह भी है। इसमें एक खास बात यह भी थी सिखों ने वहाँ भी सत्याग्रहियों के लिए लंगर लगाने की पेशकश की थी जिसे गांधीजी ने इंकार कर दिया था। गांधीजी का मानना था कि जिसकी यह लड़ाई है वह लड़ाई उसे खुद लडऩी होगी। यह बहुत हद तक एक सफल सत्याग्रह था जिसने आगे आने वाली आजादी की लड़ाई और छुआछूत मिटाने को लेकर देश को एक दिशा दी थी।

अब बात दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की, देश ने इन सौ सालों में कई गांधीवादी आन्दोलन देखे हैं लेकिन ऐसी दृढ़ता और मजबूत इच्छाशक्ति वाला देशव्यापी आन्दोलन जिसमें सामने अपनी ही चुनी हुई सरकार हो ऐसे कम उदाहरण है। इस आंदोलन में जो बहुत कुछ बाहर नहीं आ रहा यह कि पूरे देश का आंदोलन है जिसे दिखाया नहीं जा रहा या हम तक नहीं पहुंच रहा है। पंजाब के किसान इस आंदोलन का चेहरा जरूर है लेकिन बाकी राज्यों के किसान भी बराबर इसमें कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहें है। देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों के आन्दोलन में पहुंचने की खबरें हैं।

सरकार और उसके तमाम प्रचार तंत्र किसान आंदोलन में या उसके तरीके में कोई कमी नहीं निकाल पा रहें है। किसान जिन बिलों को लेकर आंदोलनरत है उस पर बहस हो सकती है लेकिन एक बात तो मानने लायक है कि इस आंदोलन के तरीके ने पुराने हिंदुस्तान को जीवित कर दिया है। महिलाओं की मौजूदगी और इसका अहिंसक होना यह दो मुख्य बातें हैं इस आंदोलन को बाकी आंदोलन से अलग करती है।

धार्मिक सौहार्द्र का ऐसा माहौल आप बताइए इससे पहले आपने कब देखा था ।देश की आत्मा को जिंदा रखने के लिए ऐसे ही आंदोलन की जरूरत है। जरूरत है जो देश को सही और गलत  में फर्क करना सिखा सके।

नफरती लोग एक दिन मर खप जाएंगे लेकिन आपको, आपके परिवार को आपके बच्चों को इसी देश में रहना है। आपके पास तो यह विकल्प भी नहीं है कि आप भगोड़े धार्मिक गुरु के समान एक कैलाशा जैसा नया देश बसायें और रहने चले जाएं। हमारा अमन और भाईचारा बहुत जरूरी है देश के लिए, दुनिया के लिए।

वर्तमान किसान आंदोलन आने वाले समय में नजीर की तरह पेश किया जायेगा कि कैसे अहिंसात्मक तरीके से सत्ता द्वारा थोपे गए गलत कानून को बदला जा सकता है।

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