विचार / लेख
लाल राम कुमार सिंह जी चले गए! आकाशवाणी के लोकप्रिय उद्घोषक लाल राम कुमार सिंह जी 84 वर्ष के थे, अस्वस्थ भी थे। वे खैरागढ़ राजपरिवार से ताल्लुक रखते थे।
उनके निधन की खबर से मन विचलित है।
आकाशवाणी रायपुर में वो उस दौर में थे जब उद्घोषकों की आवाज़,अंदाज़ उन्हें लोकप्रिय बनाती थी। मिर्ज़ा मसूद साहब उस खनक के साथ आज भी हम सब के बीच हैं। हसन खान सर उस आकाशवाणी के प्रतिनिधि के तौर पर हैं ।
लाल राम कुमार सिंह जी अनाऊंसर्स की उस पीढ़ी के प्रतिनिधि थे जो अपने अपने इलाकों में या यूं कहें कि अपने रेडियो स्टेशन की पहुंच के दायरे में हीरो की तरह होते थे। छत्तीसगढ़ में उस ज़माने के लोग बरसाती भईया को कैसे भूल सकते हैं !
आकाशवाणी पर लिखना या उस आकाशवाणी की बात करना बेशकीमती यादों के पिटारे को खोलने जैसा है। तब का कोई पत्रकार, कोई लेखक, कोई कवि, कोई भी संस्कृति कर्मी शायद ही ऐसा होगा जिसका आकाशवाणी से रिश्ता ना हो, यादें ना जुड़ी हों।
यह फिर कभी...।
लालराम कुमार सिंहजी का जाना व्यक्तिगत क्षति है और यह क्षति ना जाने कितने लोगों के लिए इतनी ही व्यक्तिगत होगी!
इसकी वजह है कि लालराम कुमार सिंह जी जैसे उद्घोषकों की तब आकाशवाणी को लोक से जोड़े रखने में बड़ी भूमिका होती थी। माइक पर भी और माइक के बाहर भी ।
लाल राम कुमार सिंह जी अंतिम दिनों में भी उसी शहर से उसी पुराने रिश्ते को जीते रहे।
वो पीढ़ियों के बीच मौजूद अंतर को जोड़ने वाली कड़ी थे।
सार्वजनिक कार्यक्रमों से ले कर आइसक्रीम की दुकान तक एक चिरपरिचित मुस्कुराता चेहरा ऐसा था कि लगता था समाज ऐसा ही क्यों नहीं होता - लाल राम कुमार सिंहजी जैसा दोस्त, सड़क पर मिलें तो उन सा अभिभावक, मिल जाएं तो तनाव मुक्त और बहुत स्नेह से भरे थोड़े से पल भी हमेशा याद रहें - तेजिंदर गगनजी जैसे !
मुझे अपने समय के, अपने आसपास के जो नायक हमेशा याद रहेंगे उनमें लाल राम कुमार सिंह जी भी होंगे - सबको याद रखने वाले,मित्रता पसंद, एक बेहतरीन इंसान की तरह ।
वो किसी सड़क पर, किसी समारोह में, कभी कॉफी हाउस या किसी ऐसी जगह पर मिल जाएं तो डर लगता था। डर इस बात का कि जितना स्नेह वो देंगे उतना सम्मान मैं उन्हें लौटा पाऊंगा कि नहीं !
सादर श्रद्धांजलि !