धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 28 जनवरी। आधुनिकता की चकाचौंध के बीच नगरी में छत्तीसगढ़ का पारम्परिक त्यौहार छेरछेरा पुन्नी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। दान का पर्व छेरछेरा पौष पूर्णिमा के दिन पारम्परिक तरीके से छत्तीसगढ़ में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
मान्यताओं के अनुसार आज के दिन जो भी अनाज दान करता है उसे सात जन्मों के बराबर पुण्य का लाभ मिलता है। छेरछेरा पुन्नी का महत्व ग्रामीण प्रधान होने के कारण छत्तीसगढ़ में होली दीपावली जैसा महत्वपूर्ण है। कोई भी परिवार अपने बच्चों को दान मांगते देखना नहीं चाहते लेकिन छेरछेरा पुन्नी के दिन वे स्वयं बच्चों को इसके लिए तैयार करते हैं। क्योंकि इस दिन दान देने व लेने दोनों का विशेष महत्व है। अन्नदान के इस महान त्यौहार के प्रति बच्चों में उतना ही उत्साह दिख रहा है। जैसे दिपावली, दशहरा आदि त्यौहारों में दिखता है। लोग उत्साह पुर्वक अन्नदान करते हैं।