धमतरी
![त्रिभुवन पांडे को दी श्रद्धांजलि त्रिभुवन पांडे को दी श्रद्धांजलि](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1616245784_2.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 20 मार्च। जिला हिन्दी साहित्य समिति के संरक्षक एवं सुप्रसिद्ध व्यंग्य लेखक त्रिभुवन पांडे पर केन्द्रित श्रद्धांजलि सभा का आयोजन छत्तीसगढ़ भर से आये साहित्यकारों द्वारा कोडूमल धर्मशाला धमतरी में श्रद्धांजलि दी गई।
त्रिभुवन पांडे साहित्य जगत के आकाश गंगा के चमकते नक्षत्र व साप्रदायिक सद्भाव के सिद्ध वरदवार व्यक्तित्व थे। अध्यक्ष डुमन लाल धु्रव ने कहा कि-अपनी लेखनी में जीवंतता की वकालत की है। भिलाई से पधारे व्यंग्य लेखक विनोद साव ने कहा कि-साहित्य के संस्कार के नाम से धमतरी में राजनांदगांव को जाना जाता है। और पांडे सर ने सदैव उस मर्यादा का पालन किया।
विद्या गुप्ता ने जिंदगी के खेती में फसल कितना गहरा समाया है आदमी की उपस्थिति अवगत कराती है। हमने ऐसा भंडार खोया है। दिव्य छत्तीसगढ़ के संपादक शशांक खरे ने कहा कि-धमतरी साहित्य की ऊर्जाधानी रही है। इस उर्वरा भूमि ने अपने व पराये का कभी भेद नहीं किया। पांडे के विराट नाम के आगे शब्द कमजोर हैं। उनमें राष्ट्रीयता के सोच का पैमाना विशाल था।
संतोष झांझी ने 70 वर्ष से अपने मायका का संबंध कहते हुए भावुक हो गई व चारो स्तंभ के उपमा देकर नि:शब्द हो गई। सद्भावना दर्पण के संपादक व सुप्रसिद्ध व्यंग्य लेखक गिरीश पंकज ने कहा कि-जीवन भर पांडे समय के प्रतिबद्ध बताते थे। पहले आना व कार्यक्रम समाप्ति तक उनकी उपस्थिति को प्रणम्य करते हुए कविता के माध्यम से श्रद्धांजली दी। लोक गायक साहित्यकार सीताराम साहू ने पिता तुल्य का दर्जा देते हुए पारंपरिक भजन के माध्यम से श्रद्धांजली अर्पित की गई’ चोला बिरान के दशना भये जीवरा बिरान के दशना भये का करबे हंसा’। विधायक रंजना डिपेन्द्र साहू ने कहा कि क्लास में पढ़ाते समय विद्यार्थी के चेहरे के भाव उनकी रूचि को पढ़ लेते थे। तथा विषय को कैसे रूचि पूर्ण बनाये जाये उनको बखूबी आती थी। सीताराम साहू के द्वारा श्रद्धांजली स्वरूप गाये गये गीत को जीवन माध्यम का एक पड़ाव कहा।
सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं रामखिलावन का राम राज्य के लेखक रवि श्रीवास्तव ने कहा कि-मैंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय को त्रिभुवन भाई के साथ जिया। उन्होंने जो प्रंशसा पत्र मेरे लिए लिखे हैं उसमें मेरे व्यंग्य को विस्तार देखा। उन्होंने जितने भूमिकाएं लिखी शायद किसी साहित्यकार ने नहीं लिखा है। वहीं स्थिति समीक्षकों के साथ है। जीवन भर एक जैसा ही कपड़ा धारण किया।
पिछले दिनों की बात को याद करते हुए उनके द्वारा साहित्य संगीत सांस्कृतिक मंच मुजगहन द्वारा निर्मित साहित्य सदन के उद्घाटन समारोह में पहली बार मुख्य अतिथि बना व पहली बार फीता काटा।
उन्होंने सोरिदभाट को सोरिद नगर बनाया। वे पूर्ण प्रमाणित प्रशिक्षण संस्था माया राम सुरजन सम्मान के लिए नाम प्रस्तावित किया गया। जिसका ज्यूरी के सदस्यों ने मुक्तकंठ से स्वीकार किया। साथ ही यह भी कहा धमतरी के साहित्यिक राजधानी होनी चाहिए रायपुर में साहित्यिक भवन की अनुपलब्घता पर आक्रोश व्यक्त किया। मुजगहन के साहित्य संगीत सांस्कृतिक मंच द्वारा साहित्यक समारोहों की सराहना की।
हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध श्री सुरजीत नवदीप ने अपनी चिरपरिचित कविता के माध्यम से श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि-मिट्टी का पुतला था, मिट्टी में मिल गया होगा। झरे वह तो फूल था, कहीं और खिल गया होगा कहते हुए भावु हो गये। धमतरी नगर पालिक निगम के महापौर श्री विजय देवांगन ने साहित्यकारों के बीच में अपनी उपस्थिति को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि-साहित्यकार त्रिभुवन पांडे जी धमतरी नगर को राष्ट्रीय ऊंचाई पर गौरवान्वित किया।
श्रद्धांजली कार्यक्रम गोपाल शर्मा, मदन मोहन खंडेलवाल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन चन्द्रशेखर शर्मा ने की। इस अवसर पर डॉ. अनंत दीक्षित, डॉ. भूपेन्द्र सोनी, राजेन्द्र सिन्हा, कुलदीप सिन्हा, कृष्ण कुमार ढांढ, मोहन चतुर्वेदी, सियाराम साहू, डॉ. मांझी अनंत, ए.के. इंगोले, पुष्पलता इंगोले, कामनी कौशिक, डॉ. रचना मिश्रा, रेखा परमार, निमिश परमार, नरेश चंद श्रोती, तिलक लांगे, मन्नम राणा, लोकेश प्रजापति, रंजीत छाबड़ा, विनोद रणसिंग, तिलक दास मानिकपुरी, चन्द्रशेखर पांडे, कमलेश पांडे, मुकेश पांडे, नीरज पांडे, धनंजय पांडे, देवेश पांडे, पीयूष पांडे एवं परिवार जन उपस्थित थे।