विचार / लेख

मोक्ष और निर्वाण तो रोज होता है... : संजय श्रमण
24-Jun-2020 5:59 AM
मोक्ष और निर्वाण तो रोज होता है... : संजय श्रमण

एक मित्र किसी तरह का ध्यान करते हैं, किन्हींं बाबाजी ने बरसों पहले उन्हें सिखाया था। ध्यान पर मेरी पोस्ट पढक़र उन्होंने मुझे फोन किया। पूछने लगे कि क्या आप मोक्ष या निर्वाण को मानते हैं?

मैने कहा कि हां मोक्ष और निर्वाण होता है। सभी को होता है और रोज़ ही होता है।

उन्होंने पूछा कि कैसा होता है?

मैंने कहा कि मान लो कि आपके दिमाग में कोई बेकार की झक्क चल रही थी, आपको खिडक़ी के बाहर अंधेरे में भूत नजर आता था और आपने एक दिन टार्च जलाकर देखा तो वहां किसी का कुर्ता सूख रहा था। बस यही मोक्ष या निर्वाण है। आप भूत से मुक्त हो गए।

वे बोले बस इतना ही?

मैंने कहा हां इतना ही!! और नहीं तो क्या?

तब वे असल मुद्दे पर आए, बोले कि सुनते हैं कि वहां परम् आनन्द है अनन्त आनन्द है।

मैंने कहा कि पहली बात तो यह कि मनोवैज्ञानिक रूप से परम् आनन्द अनन्त काल के लिए असंभव है। कोई चीज़ शुरुआत में ही परम लगती है फिर वह सामान्य हो जाती है, सो परमानन्द इत्यादि की बकवास भूल जाइए। दूसरी बात कि मोक्ष या निर्वाण एक स्टेट ऑफ माइंड है जो व्यर्थ की विचारणा के थम जाने से जन्मी शांति या स्थायित्व है। वहां कोई आनन्द इत्यादि नहीं है। यह आनन्द की बकवास बाबाओं ने बना रखी है अपना धंधा चलाने के लिए। जब तक मन और जीवन है तब तक ही यह शांति है। उसके बाद सब तरह की शांति-अशांति दोनों मिट्टी में मिल जाती हैं।

वे तपाक से बोले कि अगर अनन्तकाल तक परमानन्द नहीं है या अवागमन से मुक्ति नहीं है तो फिर ध्यान करें ही क्यों?

मुझे हंसी आ गई, मैंने कहा कि ध्यान करके आप किस पर एहसान कर रहे हैं? मत कीजिये, आप यदि यह मानते हैं कि ध्यान से बरसों बाद कोई परमानन्द मिलेगा तो आप गलती में हैं। अगर ध्यान से तत्काल शांति नहीं मिलती तो आपको ध्यान समझ ही नहीं आया आज तक और हां आपको जिसने ध्यान सिखाकर अनन्तकाल तक परमानन्द का आश्वासन दिया है जरा उसके साथ हफ्ते भर रह आइये, आपको उनके जीने के ढंग में उनके मोक्ष की असली शक्ल नजर आ जायेगी।

यह सुनकर वे मित्र कुछ नाराज से हो गए।

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