विचार / लेख
देश की भौगोलिक अखंडता पर खतरे को लेकर झूठ बोलना बेहद कमजोर नेता की निशानी है। कोई अतिक्रमण नहीं हुआ है, यह कहने के बाद भी इस झूठ को अब छुपाना मुश्किल हो गया है।
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग की मानें तो तीन अलग-अलग इलाकों में भारतीय क्षेत्र के कुल 40 से 60 वर्ग किलोमीटर हिस्से पर चीन कब्ज़ा जमा चुका है। जनरल पनाग का कहना है कि भारत को ये सुनिश्चित करना है कि एलएसी पर 1 अप्रैल 2020 से पूर्व की स्थिति कायम हो। यदि ये कूटनीतिक तरीकों से नहीं हो पाता तो फिर बलपूर्वक करना होगा। लेकिन एक स्पष्ट रणनीति बनाने और उसे राष्ट्र के साथ साझा करने के बजाय मोदी सरकार और सेना, मौजूदा स्थिति के लिए एलएसी संबंधी धारणाओं में अंतर को दोष देते हुए, अपनी ज़मीन गंवाने की बात को ‘नकारने’ में जुट गई है।
जमीन कोई जुमला नहीं है। वह एक भौतिक सत्य है। अगर भारत अपनी जमीन गंवाता है तो यह आज नहीं तो कल सबके सामने आएगा। भौगोलिक अखंडता को हुआ नुकसान झूठ के पर्दे से नहीं ढंका जा सकता।
यह कहकर कब तक काम चलेगा कि नेहरू ने भी तो ऐसा किया था। नेहरू के बाद किसने क्या किया, इसका हिसाब भी समय करेगा ही।
राजनीति में अपनी छवि को चमकाने का हर प्रयास जायज माना जाता है, लेकिन क्या तब भी इसे जायज माना जाएगा जब देश पर ऐतिहासिक संकट हो, जैसा कि तालाबंदी के दौरान पलायन से उपजा? क्या तब भी इसे जायज माना जाएगा जब देश की अखंडता पर दुश्मन देश की ओर से खतरा हो?
शी जिनपिंग से पीएम मोदी 18 बार मिल चुके हैं। झूला झूलते हुए, साथ चलते हुए, गाइड बनते हुए, दोस्ती गांठते हुए विभिन्न मुद्राओं में हास्यास्पद तस्वीरों के अलावा, इन 18 मुलाकातों का हासिल क्या रहा? महाबलीपुरम में जब शी जिनपिंग पधारे थे, तब कहा गया कि वह दौरा आधिकारिक था ही नहीं। ऐसी मुलाकातों का क्या फायदा?
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही जनता को चमत्कृत करने के लिए विदेश नीति के मोर्चे पर भी स्टंट किए। उन्होंने ऐसा प्रचारित किया कि भारतीय प्रधानमंत्री कई देशों में अब तक गए ही नहीं थे, लेकिन हम जा रहे हैं और इतिहास रच रहे हैं।लेकिन यह कारनामा मोर का नाच साबित हुआ। भारत के पास विदेश नीति के मोर्चे पर ऐतिहासिक असफलता के अलावा कुछ नहीं है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है नेपाल। जिस नेपाल में आधे बिहारियों की ससुराल और मायका है, वहां भी भारत को फजीहत और विफलता के सिवाय कुछ हासिल नहीं है।
सरकार को चाहिए कि देश के लिए कम से कम अब जनता से झूठ बोलना बंद कर दे। सरकार का झूठ चीन को ताकत देगा। आप कहेंगे कि कोई घुसपैठ नहीं हुई, तो जहां घुसपैठ हुई है, वह वैधता पा लेगी।
नेता बयानों से कभी मजबूत नहीं हो सकता। नेता अपने कारनामों से मजबूत होता है और फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी एक बेहद कमजोर नेता के रूप में दिख रहे हैं जो जनता से अपनी नाकामी छुपाने के लिए झूठ बोल रहे हैं।