राजनांदगांव

तीन साल में बालाघाट पुलिस ने एमएमसी जोन के हर ठिकाने में ढेर किए 10 नक्सली
01-Jan-2023 4:02 PM
तीन साल में बालाघाट पुलिस ने एमएमसी जोन के हर ठिकाने में ढेर किए 10 नक्सली

एके-47, एसएलआर भी बरामद, मुठभेड़ संग डंप निकालने में मिली कामयाबी

प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 1 जनवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। नक्सल समस्या से जूझ रही मध्यप्रदेश के बालाघाट पुलिस के जवानों ने नक्सल मोर्चे में पिछले तीन साल में नक्सलियों के पांव पसारने के इरादे पर पानी फेर दिया है। गुजरे तीन वर्ष में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन के हर ठिकाने में जवानों ने बहादुरी के दम पर नक्सलियों को सबक सिखाया।

पुलिस ने तीन साल के भीतर लगभग 10 नक्सलियों को ढ़ेर कर दिया है। मारे गए नक्सलियों में ज्यादातर छत्तीसगढ़ के बीजापुर और गढ़चिरौली के शामिल हैं। मौजूदा समय में नक्सली विस्तार की नीति अपनाकर बालाघाट से लेकर छत्तीसगढ़ के सरहदी जिलों डिंडौरी, अनूपपुर के रास्ते बढऩे की कोशिश में है। बालाघाट को नक्सलियों ने मुफीद ठिकाना मानकर बेसकैम्प बनाने की योजना बनाई है। पुलिस ने नक्सलियों के खतरनाक इरादों को भांपते हुए अंदरूनी इलाकों में अपनी मुस्तैदी के बदौलत  कामयाबी हासिल की है।

मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने अब तक हार्डकोर नक्सलियों को मिलाकर 10 लोगों को मार गिराया है। पुलिस को मारे गए नक्सलियों के पास से एके-47, इंसास और एसएलआर रायफल भी मिले हैं। एक जानकारी के मुताबिक 9 जुलाई 2019 को बालाघाट पुलिस ने पुजारीटोला जंगल में अशोक उर्फ मंगेश तथा 19 साल की महिला नक्सली नंदे को मार गिराया था। इस घटना के सालभर बाद 6 नवंबर 2020 को बैहर थाना के कान्हा नेशनल पार्क के मालखेड़ी जंगल में शारदा उर्फ पुज्जे को जवानों ने मुठभेड़ में मार दिया था।

पुज्जे मूलत: छत्तीसगढ़ बीजापुर की रहने वाली थी। इसी तरह 11 दिसंबर 2020 को किरनापुर के बोरवन-सिरका के जंगल में शोभा गावड़े नामक महिला नक्सली मारी गई। इस मुठभेड़ के अगले दिन 12 दिसंबर 2020 को पुलिस ने एक और महिला  सावित्री उर्फ आयते (बीजापुर-छत्तीसगढ़) को ढ़ेर कर दिया।

20 जून 2022 को एक बड़ी सफलता हासिल करते बालाघाट पुलिस के जवानों ने बहेला थाना के  लंगूर झिरिया जंगल में मुठभेड़ में एकमुश्त तीन नक्सलियों को मार गिराया। जिसमें नागेश उर्फ राजू तुलावी (गढ़चिरौली), मनोज डोड्डी (बीजापुर-छत्तीसगढ़) और महिला नक्सली रामे पुनेम (बीजापुर) को मार दिया।
पुलिस ने 2022 के आखिरी महीने से कुछ दिन पहले 30 नवंबर को गढ़ही थाना के जामसहेरा में दो हार्डकोर नक्सली राजेश उर्फ नंदा (सुकमा छत्तीसगढ़) और गणेश उर्फ उमेश मडावी (गढ़चिरौली) को अपनी गोली से मार दिया।
साल के आखिरी महीने 18 दिसंबर को भी एक मुठभेड़ में पुलिस ने पाथरी पुलिस चौकी के हर्राटोला जंगल में  रूपेश उर्फ हुंगा (सुकमा) को ढ़ेर कर दिया। इस तरह पुलिस ने तीन साल के भीतर एमएमसी जोन में सक्रिय 10 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं। पुलिस ने मुठभेड़ों में भी अपनी पकड़ मजबूत की है। ज्यादातर मुठभेड़ों में पुलिस ने नक्सलियों को मारकर संगठन को कड़ा नुकसान पहुंचाया है।

राजनांदगांव और नए जिले नक्सल  मोर्चे में कमजोर
नक्सल मोर्चे में एक ओर पड़ोसी राज्यों के जिले सफलता के नए आयाम तय कर रहे हैं। वहीं राजनांदगांव समेत मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी तथा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले सफलता के लिए तरस रहे हैं। पिछले दो साल के भीतर पुलिस नक्सलियों की सिर्फ जंगलों में तलाश कर रही है। एक-दो मामले छोडक़र पुलिस को सफलता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। गढ़चिरौली में भी गुजरे तीन सालों में हार्डकोर नक्सलियों को मार दिया गया था।

2021 में नवंबर के महीने में दीपक तिलतुमड़े जैसे सीसी मेम्बर संग 29 नक्सली अविभाजित राजनांदगांव जिले की सीमा में ही मारे गए थे। कामयाबी के मामले में बालाघाट पुलिस भी पीछे नहीं है। बालाघाट में नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस जंगल में गदर मचा रही है। जबकि राजनंादगांव और दोनों नए जिले के पास नक्सल सरेंडर, शव तथा मुठभेड़ को लेकर रिकार्ड फिलहाल शून्य है।

हालांकि तीनों जिलों में नक्सलियों का मूवमेंट बरकरार है। पुलिस के पास पर्याप्त बल और नक्सल विशेषज्ञों की कमी नहंी है। इसके बावजूद  कामयाबी हासिल करने के लिए पुलिस सिर्फ इंतजार कर रही है।

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