राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 अप्रैल। बाल विवाह रोकथाम हेतु जिला प्रशासन व महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समाज में जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
कलेक्टर टीके वर्मा द्वारा बाल विवाह रोकथाम हेतु लॉकडाउन के पहले जिला बाल संरक्षण समिति एवं विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान निर्देश जारी किया गया है। जिसके अनुरूप आंगनबाडी कार्यकताओं, पंचायत प्रतिनिधि, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यगण के द्वारा ग्राम स्तर पर होने वाले प्रत्येक विवाह की जानकारी रखी जा रही है।
जिन लडक़े की उम्र 21 वर्ष एवं लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से कम होने की दशा में स्थानीय स्तर पर परिवार को समझाइश दिया जा रहा है कि 21 वर्ष से कम आयु के लडक़े एवं 18 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी का विवाह बाल विवाह माना गया है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है, बाल विवाह करता एवं कराता है अथवा सम्मिलित होता है तो 2 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि एक लाख रुपए अथवा जुर्माना दोनों से दंडित किया जाने का प्रावधान है।
एक अप्रैल से अब तक 6 बाल विवाह, जिसे बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी सह महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रोका गया है। लॉकडाउन अवधि के दौरान भी बाल विवाह न हो इस विषय को गंभीरता से लेते जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग रेणु प्रकाश द्वारा जिले के सभी 9 विकासखंडों में बाल विवाह रोकथाम व फॉलोअप हेतु नोडल नामांकित किए गए हैं।
जिसमें छुरिया विनोद जंघेल, अंबागढ़ चौकी किशन देवांगन, राजनांदगांव संतोष केंवट, डोंगरगांव स्मिता ऊके, डोंगरगढ़ गीतांजजी नेताम, छुईखदान पुरूषोत्तम सिदार, मोहला एवं मानपुर अनिल सिन्हा, खैरागढ़ शिखा वर्मा शामिल हैं, जो नामांकित विकासखंडों में आंगनबाड़ी कार्यकताओं, पंचायत प्रतिनिधि, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यगण से प्रतिदिन फॉलोअप ले रहे हैं। बाल विवाह के प्रकरण प्राप्त होने पर उच्च अधिकारियों को सूचित करते पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति एवं नगरीय निकाय स्तरीय बाल संरक्षण समिति के साथ मिलकर तत्काल रोकथाम की कार्रवाई की जाएगी।