राजपथ - जनपथ
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रमेश बैस के जिम्मे अब क्या?
क्या महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय होंगे, यह सवाल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय है। दरअसल, बैस का राज्यपाल के रूप में कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है। ऐसे में उनके राजनीति में लौटने की अटकलें लगाई जा रही है।
बैस सात बार रायपुर के सांसद और एक बार मंदिर हसौद से विधायक रहे हैं। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे। साथ ही भाजपा के कोर ग्रुप के सदस्य भी रहे हैं। इन सबके बीच बीते गुरुवार को बैस की केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है। महाराष्ट्र में अगले 3 महीने में विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में बैस की शाह से चर्चा अहम रही होगी। कार्यकाल खत्म होने के बाद नई नियुक्ति होने तक बैस पद पर बने रह सकते हैं।
जानकारों का मानना है कि बैस को एक और कार्यकाल दिया जा सकता है। वैसे भी यहां भाजपा की राजनीति में कुर्मी समाज से कई प्रभावशाली नेता हैं। इनमें विजय बघेल, अजय चंद्राकर, और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक हैं। ऐसे में फिलहाल पार्टी को बैस के जरूरत छत्तीसगढ़ की राजनीति में महसूस नहीं हो रही होगी। देखना है पार्टी बैस के मसले पर क्या कुछ फैसला लेती है।
पोस्टिंग का लंबा इंतजार
छत्तीसगढ़ के शुरूआती दौर में एक वक्त ऐसा भी था कि विभाग अधिक, अफसर कम। मप्र से बंटवारे में मिले कई अफ़सर आना ही नहीं चाहते थे। कमी पूरी करने केरल, तमिलनाडु, हिमाचल, महाराष्ट्र, बंगाल जैसे राज्यों से डेपुटेशन पर बुलाए जाते रहे। और अब अफसर पूरे हैं तो उन्हें पोस्टिंग के लिए 15 से 25 दिनों तक वेटिंग में रहना पड़ता है। मानो विभाग नहीं हैं। जबकि बहुत से अफसर दो या अधिक विभाग के बोझ लेकर चल रहे हैं।
यह बात हम इसलिए कह रहे हैं कि बैच की अफसर रितु सेन पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति और फिर एक वर्ष के अध्ययन अवकाश से लौट आई हैं। 1 जून को महानदी भवन में जॉइनिंग भी दे दी है। लेकिन पोस्टिंग के लिए वेटिंग लिस्ट में है। उम्मीद थी कि कैबिनेट के बाद हो जाएगा, लेकिन नहीं। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। पहले भी सोनमणि बोरा, रिचा शर्मा को भी इंतजार करना पड़ा था। हालांकि इस दौरान कुछ हाई प्रोफाइल अफसर अच्छे विभाग को लेकर मंत्रियों से पुराने संबंध के आधार पर प्रयास करते हैं। उधर आईपीएस में यह दिक्कत नहीं रहती,उन्हें आने से पहले या आते ही पोस्टिंग आर्डर हाथ में दे दिया जा रहा है। सार यह कि इस मामले में आईएएस पर आईपीएस लॉबी भारी पड़ रही है।
शैलेश पाठक अब फिक्की में
छत्तीसगढ़ कैडर के पूर्व आईएएस शैलेष पाठक देश के सबसे बड़े उद्योग-व्यापार संगठन (फिक्की) के जनरल सेकेट्री बनाए गए हैं। आईएएस के 88 बैच के अफसर शैलेष पाठक महासमुंद कलेक्टर रहे हैं। इसके अलावा राज्यपाल के सचिव, आयुक्त जनसंपर्क और पीडब्ल्यूडी सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। वे 2007 में अवकाश लेकर निजी क्षेत्र में चले गए थे। बाद में उन्होंने सेवा से त्याग पत्र दे दिया।
शैलेष पाठक आईएलएफएस, एलएनटी, आईडीपीएल सहित कई प्रमुख संस्थानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पाठक फिक्की में अधोसंरचना, शहरी विकास, वैश्विक पेंशन फंड के निवेश आदि का काम देखेंगे।
योग दिवस के अतिथि गण
किसी सरकारी आयोजन में मंत्री, सांसद, विधायक का नाम निमंत्रण पत्र में या शिलालेख में है या नहीं यह बहुत मायने रखता है। रायपुर में योगा के मुख्य समारोह के लिए जारी निमंत्रण पत्र पर हंगामा मचा ही है। इसमें जिले के सभी विधायकों के नाम हैं लेकिन नवनिर्वाचित सांसद बृजमोहन अग्रवाल का नाम छोड़ दिया गया है। यह इसलिये भी गंभीर मसला हो गया क्योंकि उनके समर्थक केंद्रीय मंत्रिमंडल में नाम नहीं आने से मायूस चल रहे हैं, फिर राज्य मंत्रिमंडल से भी तुरत-फुरत इस्तीफा हो गया, इसके बावजूद कि वे इस पद पर 6 माह तक बने रहने की इच्छा जता चुके थे।
इधर बिलासपुर में भी लोग असमंजस में पड़ गए कि यहां योग दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कौन हैं? राज्य सरकार की ओर से 20 जून को बताया गया कि मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम अरुण साव होंगे, लेकिन बिलासपुर जिला प्रशासन ने केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू को मुख्य अतिथि बनाया। डिप्टी सीएम का नाम विशिष्ट अतिथि की सूची में रखा गया। हालांकि मामले ने तूल इसलिये नहीं पकड़ा क्योंकि दोनों अभी राज्य और केंद्र सरकार के गुड बुक में हैं और तोखन साहू का तो साव से अलग कोई खेमा भी नहीं है। उनके समर्थक आपस में घुले-मिले हैं।
अब परीक्षा मंत्री की दरकार
नीट में राज्य के भी हजारों बच्चों ने अपने भविष्य को बेहतर बनाने की उम्मीद से परीक्षा दी थी। बालोद जिले में एक गड़बड़ी परीक्षा के दौरान देखने को मिली थी, जब उन्हें गलत प्रश्न पत्र बांट दिया गया और इसकी भरपाई के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया गया। इसके बावजूद बड़ी संख्या में ऐसे प्रतिभागी हैं जिन्हें न तो ग्रेस मार्क का लाभ मिला है और न ही पेपर लीक का फायदा, फिर भी अच्छा स्कोर लेकर आए हैं। उन्हें मेडिकल में दाखिले की उम्मीद है। पर पेंच सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग हाईकोर्ट में दायर मामलों के चलते काउंसलिंग की प्रक्रिया रुक गई है। परीक्षा कैंसिल हो जाने का डर भी सता रहा है। नीट क्लियर करने के लिए उन्होंने दिन-रात पढ़ाई की। परीक्षा रद्द होने की दशा में दोबारा उतना ही जोश कैसे लाएंगे, यह सोच कर चिंता से घिर गए हैं।
यह विवाद चल ही रहा है कि नेट-यूजीसी पात्रता परीक्षा भी रद्द कर दी गई। इसमें भी छत्तीसगढ़ के हजारों युवाओं ने भाग लिया है। वे भी सदमे में हैं। यह परीक्षा कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए पात्र बनाती है। परीक्षा लिए जाने के एक दिन बाद तक कोई शोरगुल नहीं था कि इसमें कहीं गड़बड़ी हुई है। पर, अचानक रद्द कर दी गई और सीबीआई जांच की घोषणा कर दी गई। उनकी मेहनत का कोई मुआवजा नहीं, फिर परीक्षा देने के लिए हौसला जुटाना है। ऐसे में खिन्न अभिभावकों की ओर से राय आ रही है कि देश को इस समय शिक्षा मंत्री की जरूरत नहीं है, परीक्षा मंत्री की है। जो कम से कम पूरा ध्यान परीक्षाओं के ठीक-ठीक आयोजित कराने में लगाए।
वन्यजीवों का योग
मनुष्यों ने जीवन शैली बदलकर आरामतलबी अपना ली तो उन्हें स्वस्थ रहने के लिये योग जरूरी लगने लगा। पर, वन्यप्राणियों को अपने आहार की व्यवस्था करने के लिए दिन-रात भाग दौड़, उछलकूद करनी पड़ती है। कभी-कभी जान बचाने के लिए पूरी ताकत से भागना भी पड़ता है। इसमें जो मानसिक और शारीरिक श्रम लगाना पड़ता है, उसके सामने योग के आसान कहीं नहीं लगते। (फोटो-प्राण चड्ढा) ([email protected])