राजपथ - जनपथ
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भ्रष्टाचार कम होगा?
सरकार ने हाल में दो बड़े फैसले लिए हैं। इन दोनों फैसलों से कारोबारियों में हलचल है। पहला फैसला शराब कारोबार से जुड़ा ह जिसमें एफएल-10 का लाइसेंस निरस्त कर शराब खरीदी का जिम्मा ब्रेवरेज कार्पोरेशन को दिया गया है।
इसी तरह सरकार ने सीएसआईडीसी के सारे रेट कांट्रैक्ट को निरस्त कर एक और बड़ा फैसला लिया है। खास बात ये है कि दोनों ही फैसलों की भनक पार्टी के कई ताकतवर लोगों को भी नहीं थी। इसको लेकर पार्टी के अंदरखाने में काफी कुछ कहा जा रहा है, लेकिन सीएम विष्णु देव साय ने बुधवार को पार्टी कार्यसमिति की बैठक में साफ किया कि शराब कारोबार में भ्रष्टाचार खत्म करने की नीयत से एफएल-10 का लाइसेंस निरस्त किया गया है।
दूसरी तरफ, सरकारी खरीदी में भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखकर जेम पोर्टल से खरीदी का फैसला लिया गया है। भूपेश सरकार ने जेम पोर्टल से खरीदी पर रोक लगा दी थी। कांग्रेस ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की है, और कहा कि गुजराती कारोबारियों को फायदा पहुंचाने की नीयत से रेट कांट्रेक्ट व्यवस्था खत्म की गई है। हालांकि दोनों फैसलों से प्रभावित लोगों को रियायत भी दी गई है। यानी ब्रेवरेज कार्पोरेशन से खरीदी अक्टूबर से लागू होगी। तब तक एफएल-10 की व्यवस्था प्रभावशील रहेगी। इसी तरह रेट कांट्रैक्ट इस माह के अंत में खत्म होगा। तब तक पुरानी व्यवस्था से खरीदी हो सकती है। कुल मिलाकर प्रभावित कारोबारियों को थोड़ी-बहुत राहत मिल गई है। अब इस फैसले से शराब कारोबार-सरकारी खरीदी में पारदर्शिता आती है या नहीं, यह आने वाले समय में पता लगेगा।
मंत्री बनाओ तो कैबिनेट में जगह दो
केंद्र में सरकार बनने के बाद यह किसी केंद्रीय मंत्री का पहला छत्तीसगढ़ दौरा था, जिसमें मनोहर लाल खट्टर ने समीक्षा बैठक ली। उनके आने से कई बड़ी मांगों के पूरा होने का रास्ता खुला। केंद्रीय अंशदान के साथ 50 हजार ग्रामीण और 20 हजार शहरी आवासों की मंजूरी मिलने जा रही है। राज्य को पहले की तरह सरप्लस बिजली स्टेट बनाने के लिए मदद मिलेगी। ग्रेटर रायपुर का काम आगे बढऩे जा रहा है। खट्टर ने अफसरों से कहा कि आप जितनी तेजी से काम करेंगे, उतनी ही जल्दी राशि जारी होगी। यानि खट्टर का आना छत्तीसगढ़ के लिए फायदेमंद रहा।
यह संयोग ही है कि खट्टर उन्हीं विभागों के कैबिनेट मंत्री हैं, जिन विभागों के अपने छत्तीसगढ़ के तोखन साहू राज्य मंत्री हैं, विद्युत विभाग को छोडक़र। खट्टर ने दावे के साथ जो घोषणाएं कीं, वे तोखन साहू नहीं कर सकते- उनके हाथ बंधे हुए हैं। वे खुद समीक्षा बैठक ले सकते थे, लेकिन आए खट्टर।
जैसा स्मरण है, छत्तीसगढ़ में कई ताकतवर नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल के कैबिनेट में जगह मिल चुकी है- विद्याचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा, पुरुषोत्तम कौशिक और बृजलाल वर्मा। इन सबका जलवा ही अलग होता था, ताकत की तूती बोलती थी। वीसी (विद्याचरण) जब केंद्रीय मंत्री थे, तो पूरे देश में अफसर थर-थर कांपते थे। मगर इनके अलावा छत्तीसगढ़ के जो सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल मे लिए गए, वे राज्य मंत्री ही रहे। रमेश बैस, अरविंद नेताम, डॉ. चरण दास महंत, वर्तमान सीएम विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह आदि। सबको केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने पर छत्तीसगढ़ के लोगों को खुशी तो होती रही है, पर एक कड़वी सच्चाई है कि उनके पास अधिकार नहीं के बराबर रहे हैं। उतने ही होते हैं, जो कैबिनेट मंत्री तय कर दें। दूसरे राज्यों के ऐसे भी उदाहरण हैं जब किसी राज्य मंत्री ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उनके पास कोई फाइल आती ही नहीं। रेणुका सिंह पूरे कार्यकाल में रेलवे की मनमानी पर रोक नहीं लगा पाई। तो अब कांग्रेस हो या भाजपा- मांग उठनी चाहिए कि केंद्र में किसी को मंत्री बनाना है तो कैबिनेट में जगह दो, राज्य मंत्री का झुनझुना मत पकड़ाओ। आखिर यह क्षेत्रफल के हिसाब से 9वां और जनसंख्या के हिसाब से 16वां बड़ा राज्य है। यहां से 11 सांसद चुने जाते हैं।
महिला की बारी आएगी?
रायपुर दक्षिण उपचुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। दोनों ही दलों के टिकट के दावेदार सक्रिय भी हो गए हैं।
कांग्रेस ने उपचुनाव की तैयारी के लिए बुधवार को एक मीटिंग भी की, इसमें खुद प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज भी शामिल हुए। खास बात यह है कि मीटिंग के पहले मेयर एजाज ढेबर के समर्थकों ने उन्हें प्रत्याशी बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी भी की। ये अलग बात है कि विधानसभा आम चुनाव में हार के लिए मेयर एजाज ढेबर को जिम्मेदार ठहराया गया है। ढेबर रायपुर दक्षिण के चुनाव संचालक थे जहां कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास 67 हजार से अधिक वोटों से हार गए। ये प्रदेश में किसी सीट से अब तक की सबसे बड़ी हार है।
कांग्रेस हलकों में यह खबर छनकर आई है कि यदि भाजपा महिला प्रत्याशी उतारती है, तो कांग्रेस भी किसी महिला को टिकट दे सकती है। वैसे भी शहर की चारों सीटों से दोनों ही दल ने अब तक किसी महिला प्रत्याशी को नहीं उतारा है। भाजपा में इस पर गंभीरता से विचार चल रहा है। कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने दो-तीन महिला दावेदारों से चर्चा भी की है। देखना है कि दोनों दल किसी महिला को प्रत्याशी बनाते हैं, या नहीं।
बस्तर की संभावनाएँ
सरकार के रणनीतिकार बस्तर पर विशेष रूप से फोकस कर रहे हैं। नक्सलियों के खिलाफ व्यापक अभियान चल रहा है। साथ ही बस्तर में उद्योग, और पर्यटन की संभावना को लेकर विजन डॉक्यूमेंट भी तैयार किया जा रहा है।
चर्चा है कि विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में कुछ रिटायर्ड अफसर लगे हुए हैं, जो वहां लंबे समय तक काम कर चुके हैं। और वहां की बारीकियों से परिचित हैं। विजन डॉक्यूमेंट तैयार होने के बाद पार्टी के प्रमुख नेता इसको देखेंगे, इसके बाद सीएम के पास अवलोकन के लिए रखा जाएगा। कुल मिलाकर बस्तर में कुछ नया करने की सरकार की कोशिश है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
अरपा की लहरों में इठलाते बच्चे
अरपा नदी के किनारे बसे गांवों में इन दिनों त्यौहार जैसा माहौल है। बाकी महीनों में इसकी सूखी छाती पर रेत निकालने वाले ट्रैक्टर, हाईवा दिखते हैं। पानी आ जाने के कारण वे गायब हैं। आषाढ़ आने के बाद अरपा कल-कल बह रही है, लहरें उठ रही हैं। दो तीन महीने यही माहौल रहेगा। इसके रास्ते में एक भैंसाझार डायवर्सन प्रोजेक्ट है। अभी अधूरा है, मगर इसका अलग लाभ मिल रहा है। जब पानी ज्यादा आता है तो डायवर्सन में रोक दिया जाता है, फिर उसे धीरे-धीरे छोड़ दिया जाता है। इस नदी को जीवंत बनाए रखने के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं। जीपीएम जिले के उद्गम स्थल से लेकर बिलासपुर तक। हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं। उन पर सुनवाई हो रही है। अरपा में अचानकमार अभयारण्य से जो नाले आकर मिलते थे, वे तो खो गए हैं, पर किनारे बसी बस्तियों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा है। वेग ने उस अपशिष्ट को भी बहा दिया है। यह तस्वीर प्रकृति प्रेमी प्राण चड्ढा ने भैंसाझार से ली है।
यह तस्वीर गुरूवार को कलेक्टोरेट तिराहे की है। जहां रेड सिग्नल क्रास कर पुलिस की गाड़ी फर्राटे से जा रही। हजारों रुपए का चालान भरने वाले आम लोग पूछ रहे हैं - पुलिस वालों के लिए कोई नियम नहीं? उन्हें कौन बताए नियम वे बनाते हैं और वे ही तोड़ते हैं..!([email protected])