राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : डीएमएफ और अफसर-नेता संवाद
17-Jul-2024 3:53 PM
राजपथ-जनपथ : डीएमएफ और अफसर-नेता संवाद

डीएमएफ और अफसर-नेता संवाद 

पिछली सरकार में डीएमएफ में गड़बड़ी की ईडी, और ईओडब्ल्यू-एसीबी पड़ताल कर रही है। बावजूद इसके डीएमएफ में सप्लाई और अन्य कार्यों के लिए कई जिलों में प्रशासन पर स्थानीय नेताओं का दबाव भी रहता है। 

ऐसे ही आदिवासी बाहुल्य जिले में डीएमएफ के मद से सप्लाई आदि के लिए सत्ताधारी दल के एक नेता ने कलेक्टर पर दबाव बनाया। इस पर कलेक्टर ने नेताजी को बुलाया, और पूछा कि डीएमएफ मद से क्या काम चाहते हैं? नेताजी के पास कोई योजना तो नहीं थी। सो, कह दिया कि वो डीएमएफ मद से सप्लाई आदि का काम कर सकते हैं। 

कलेक्टर ने थोड़ी देर खामोश रहे, फिर उन्होंने जनप्रतिनिधियों के घोषणाओं की सूची निकाली। इन घोषणाओं का क्रियान्वयन डीएमएफ से ही होना है। इस पर करीब 36 करोड़ रुपए खर्च प्रस्तावित है। जबकि जिले में कुल डीएमएफ की राशि ही 18-20 करोड़ रुपए बाकी है। कलेक्टर ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि बाकी राशि की कैसे व्यवस्था हो, इसके लिए मिलकर प्रयास करते हैं। इस पर नेताजी बिना कुछ कहे निकल गए। 

13 में 3 और रायपुर दक्षिण

लोकसभा चुनावों में 50 सीटों के नुकसान और फिर पिछले सप्ताह उप चुनाव में देश में 13 में से कुल 3 जीत के नतीजों से भाजपा हाईकमान सकते में हैं। उप चुनाव में हार तो लोकसभा के नतीजों के महज डेढ़ माह में ही हुई। यहां तक कि उत्तराखंड जहां सत्ता में भी हारे। इससे हाईकमान ने अब एक सीट के उपचुनाव को भी हल्के में न लेने की ठानी है। अगले कुछ महीने में  रायपुर दक्षिण के उप चुनाव होने हैं। सो हाईकमान अभी से चारों खाने सुरक्षित कर लेना चाहता है । इसकी शुरुआत आज से ही कर रहा है । दिल्ली में सरकार के तीनों मुखिया को तलब किया है। जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री के साथ बैठक होनी है। ऐसे में समझा जा सकता है कि अब पार्टी उप चुनाव को भी गंभीरता से लड़ेगी। सरकार है, जीत जाएंगे का ओवर कॉन्फिडेंस नहीं चलेगा।

विधानसभा का छोटा रिचार्ज 

विधानसभा का सत्र छोटा जरूर है, लेकिन पिछले सत्रों की तुलना में ज्यादा गरम रहेगा। इस बार बलौदाबाजार आगजनी घटना के चलते कानून व्यवस्था का मुद्दा सबसे बड़ा है। चर्चा है कि विपक्ष हो-हल्ला कर कार्रवाई ठप करने के बजाए पूरे पांच दिन सदन चलाने के पक्ष में हैं। सत्र की रणनीति पर चर्चा के लिए संभवत: 21 तारीख को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हो सकती है। 

विपक्ष पांच दिन प्रश्नकाल, और ध्यानाकर्षण निपटने के बाद काम रोको प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। खास बात यह है कि कांग्रेस की 24 तारीख को कानून व्यवस्था के मसले पर विधानसभा घेराव की योजना है। मगर कांग्रेस सदस्य उस दिन भी प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण निपटने के बाद ही घेराव कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। विपक्षी सदस्यों का मानना है कि सदन की कार्रवाई ठप होने से अहम्  मुद्दे दबकर रह जाते हैं। इसलिए सदन में जितना अधिक बहस होगा, उतना ही विपक्ष की बात सामने आएगी। 

एक अनार, कई बीमार 

डीजीपी अशोक जुनेजा अगस्त में रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले अरुण देव गौतम, और हिमांशु गुप्ता डीजी के पद पर प्रमोट हो गए हैं। सीनियर आईपीएस पवन देव का प्रकरण भी क्लियर हो गया है, और उन्हें भी जल्द डीजी के पद पर प्रमोट किया जा सकता है। 

सुनते हैं कि आईपीएस के 94 बैच के अफसर एसआरपी कल्लूरी को भी डीजी के पद पर प्रमोशन प्रस्ताव गृह विभाग ने भेजा था, लेकिन  कल्लूरी का प्रस्ताव विचरण जोन में नहीं आ पाया। लिहाजा, वो प्रमोशन से रह गए। प्रमोशन को लेकर हलचल तेज है। देखना है कि आगे क्या कुछ होता है। 

किसकी कमीज ज्यादा मैली?

पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज एक आदतन बदमाश ने लोहे के छड़ से एक बुजुर्ग की बेदम पिटाई की और उसका वीडियो खुद सोशल मीडिया पर जारी किया। पीडि़त में खौफ रहा होगा कि वह पुलिस तक नहीं पहुंचा। पर वीडियो फैलने के बाद पुलिस की बदनामी हो रही थी। आरोपी दिलीप बंजारे को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद बिलासपुर के पूर्व विधायक शैलेष पांडेय ने एक तस्वीर जारी की जिसमें विधायक अमर अग्रवाल आरोपी दिलीप के गले में हाथ डाले हुए हैं। पांडेय ने कहा कि गुंडे-बदमाशों को अमर जी संरक्षण दे रहे हैं इसीलिये बिलासपुर में अपराध बढ़ रहे हैं। इसके अगले दिन अमर अग्रवाल की टीम ने सोशल मीडिया खंगालकर उसी अपराधी की पांडेय के साथ वाली चार तस्वीरें जारी कर दी। इनमें एक तस्वीर गज माला के साथ भी है। साथ में अमर अग्रवाल की ओर से बयान आया- ये दोनों परम मित्र हैं। कांग्रेसियों ने बिलासपुर को अपराधपुर बना दिया था, अब पुलिस जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।

विधानसभा चुनाव के दौरान बिलासपुर में बढ़ते अपराधों को अमर अग्रवाल ने मुद्दा बनाया था। जिस दिन जीते, पहला बयान दिया कि आज से बिलासपुर भयमुक्त-अपराध मुक्त हुआ। मगर, यह दावा खोखला निकल रहा है। गुंडागर्दी में कोई कमी नहीं आई है। चाकूबाजी, चोरी, लूट, मारपीट की घटनाओं के चलते आम लोग सहमे हुए हैं।

जब शैलेष पांडेय विधायक थे तो उनकी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थकों से नहीं बनती थी। उनके समर्थक गिरफ्तार किए गए। पांडेय ने थाने का घेराव किया। मंच से पुलिस की उगाही के खिलाफ आवाज उठाई। खुद विधायक रहते पांडेय के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। पांडेय एक बेबस विधायक थे। उनकी कलेक्टर भी नहीं सुनते थे। सरकारी कार्यक्रमों में नहीं बुलाने पर एक बार उन्होंने तब के कलेक्टर सारांश मित्तर को ‘देशद्रोही’ बताते हुए उनको हटाने की मुहिम चलाई थी। एसपी पायल माथुर के खिलाफ भी बयान देते थे । पांडेय 28 हजार वोटों से हारे तो उनकी बेबस बन चुकी छवि भी एक वजह थी।

दूसरी तरफ अमर अग्रवाल का जलवा ऐसा रहा है कि उनके घर में कचरा फेंकने की घटना के बाद पुलिस ने कांग्रेस भवन में घुसकर लाठी चलाई थी। कांग्रेस के पूरे पांच साल में किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि उन्हें प्रमोशन मिलता रहा। इनमें से एक को फिर बिलासपुर में ही पोस्टिंग दी गई है। तो फोटो एक वायरल हो या चार। यह निष्कर्ष निकालना कठिन नहीं है कि बिना राजनीतिक शह के गुंडे नहीं पनपते।

मालवाहकों में फिर सवारी

बीते 20 मई को कबीरधाम जिले में मजदूरों से भरी एक पिकअप के खाई में गिर जाने से 19 बैगा आदिवासियों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रदेशभर में मालवाहकों में सवारी बैठाने पर ताबड़तोड़ कार्रवाई  हो रही थी। पर, जैसा होता है कि कुछ दिन वाहवाही लूटने के बाद पुलिस और आरटीओ ने इस तरफ ध्यान देना बंद कर दिया। अब सारंगढ़ में तीन मजदूरों की मौत ऐसे ही एक पिकअप के पलटने से हो गई। आए दिन किसी धार्मिक, वैवाहिक या दूसरे पारिवारिक कार्यक्रमों में भी ऐसी गाडिय़ों में लोग सफर कर रहे हैं। मुश्किल है इन पर पूरी तरह रोक लगाना, लेकिन ओवरलोडिंग, गाडिय़ों की कंडम हालत, उसकी रफ्तार, ड्राइवर का लाइसेंस और उसका नशे में होना भी दुर्घटनाओं का कारण है। सारंगढ़ में हुई दुर्घटना में बात निकलकर सामने आई है कि ड्राइवर ने टर्निंग में भी गाड़ी की स्पीड कम नहीं की थी, इसलिये पिकअप पलट गई।

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