राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : नितिन नबीन की अहमियत
06-Jul-2024 6:14 PM
राजपथ-जनपथ : नितिन नबीन की अहमियत

नितिन नबीन की अहमियत 
भाजपा ने कई राज्यों के प्रभारियों को बदला है लेकिन छत्तीसगढ़ में नितिन नबीन को यथावत रहने दिया है। नबीन को औपचारिक आदेश जारी कर प्रभारी बना दिया है। ये अलग बात है कि विधानसभा चुनाव निपटने के बाद ओम माथुर की जगह नितिन नबीन प्रभारी की भूमिका में थे, और पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव प्रभारी का दायित्व सौंप दिया था।

पार्टी हलकों में चर्चा थी कि नितिन नबीन को संगठन के प्रभार से मुक्त किया जाएगा। इसकी वजह भी थी। नबीन बिहार सरकार में मंत्री हैं, और वहां साल भर बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। मगर ऐसा नहीं हुआ।

नबीन को डी.पुरन्देश्वरी के प्रभारी रहते सहप्रभारी बनाया गया था। बाद में पुरन्देश्वरी की जगह ओम माथुर प्रभारी बन गए थे। लेकिन नितिन नबीन सहप्रभारी रहे। नितिन नबीन ने सरगुजा और बिलासपुर संभाग में बेहतर काम किया है। तकरीबन हर मंडल तक गए, और विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को चार्ज किया। विधानसभा चुनाव में पार्टी को सरगुजा में अब तक सबसे बड़ी सफलता मिली है। सारी सीटें जीतने में कामयाब रही।

बिलासपुर संभाग में भी भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा कुछ हद तक नितिन नबीन के सिर पर भी सजा है। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को अच्छी सफलता मिली है। इसको लेकर राष्ट्रीय स्तर पर नितिन नबीन की सराहना हुई है।

छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद काफी चुनौतियां भी हैं। नितिन नबीन के सभी नेताओं से बेहतर संबंध हैं। आने वाले दिनों में कैबिनेट विस्तार के अलावा निगम मंडलों में नियुक्तियों के अलावा निकाय व पंचायत चुनाव भी होंगे। इन सबको देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व ने कोई नया प्रयोग करने से बचते हुए संगठन की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी नितिन नबीन को दी है। नबीन, क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल और महामंत्री (संगठन) पवन साय के साथ सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल की कोशिश करेंगे। देखना है कि आगे पार्टी-सरकार किस दिशा में जाती है।

प्रदर्शन और वसूली  
एनएसयूआई के मुखिया नीरज पांडेय ने फरमान जारी किया है कि बिना अनुमति के पार्टी कार्यकर्ता सरकारी अथवा निजी संस्थानों में प्रदर्शन न करें। इसका पालन नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।

दरअसल, कई पदाधिकारियों के खिलाफ निजी संस्थानों से वसूली की शिकायत आ रही है। यही नहीं, कुछ पदाधिकारी तो 'अपनों’ के खिलाफ प्रदर्शन कर गए हैं। इस पर विवाद तो होना ही था। समझौते की भी कोशिश हुई, और अब बात नहीं बनी तो बकायदा आदेश जारी कर दिया गया है। अब कहां प्रदर्शन करना है यह प्रदेश संगठन ही तय करेगा। 

अलग रंग का एल्बिनो सांप
सांपों की एक प्रजाति एल्बिनो है। इनमें से सफेद रंग की एल्बिनो बहुत कम दिखती हैं। नांदघाट थाना परिसर में इसे विचरण करते देखा गया। इसे सर्पमित्रों की मदद से पकड़ लिया गया, पर जंगल में छोडऩे के बजाय पुलिस अधीक्षक ने जंगल सफारी रायपुर के सुपुर्द करने का निर्णय लिया, क्योंकि यह दुर्लभ है। छत्तीसगढ़ में मिलने वाले करैत की ही यह एक प्रजाति है। इसकी लंबाई भी काफी अधिक होती है। वैसे शोधकर्ताओं का कहना है कि बहुत से जीव-जंतु यदि अलग रंग में दिखाई देते हैं तो इसके पीछे बीमारी भी होती है। एल्बिनो के बारे में भी कहा जाता है कि वे सांप जिनका पिगमेंटेशन का प्रवाह रुक जाता है, उसका रंग बदल जाता है और दुर्लभ श्रेणी में आ जाता है। सन् 2022 में कोरबा में भी यह सांप देखा गया था।

मनरेगा महिलाओं की मजबूरी
राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में जुटाए गए एक आंकड़े के मुताबिक मनरेगा मजदूरी में महिलाओं की भागीदारी 59.24 प्रतिशत रही। यह भागीदारी बढ़ती ही जा रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 57.47 प्रतिशत रही तो 2021-22 में 54.82 प्रतिशत रही। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां इस साल के बीते 3 महीनों (अप्रैल, मई और जून) में महिलाओं की भागीदारी 58 प्रतिशत रही। जिन 1.97 लाख लोगों को काम मिला उनमें 1.24 लाख महिलाएं हैं। आंकड़े अच्छे इसलिये दिखाई दे रहे हैं क्योंकि पुरुष और महिला दोनों को मनरेगा में बराबर मजदूरी का भुगतान होता है। पुरुष इसलिये कम हैं क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में, चाहे वह खेत हो या बिल्डिंग, रोड बनाने का, या फिर किसी फैक्ट्री में काम करने का काम, महिलाओं को पुरुषों के बराबर मजदूरी नहीं मिलती। महिला और पुरुष दोनों को मनरेगा में 243 रुपये मजदूरी का भुगतान होता है, जबकि यही महिलाएं यदि गांव के किसी दूसरे काम पर जाएंगे तो ज्यादा से ज्यादा 200 रुपये मिलेंगे। गांव से बाहर काम पकडऩे पर कुछ अधिक मिल सकता है, मगर आने-जाने में खर्च बढ़ जाएगा। वहीं पुरुषों को मनरेगा से ज्यादा तो गांव में ही मिल जाता है। यदि गांव में खेत, बिल्डिंग का काम है तो उसे 300 रुपये कम से कम मिलेंगे। आसपास के शहर कस्बे में उनकी अधिक मांग है और 400 रुपये तक मिल जाते हैं। मनरेगा में एक तरफ महिलाओं के श्रम का बराबरी से मूल्य तय है, वहीं कानून होने के बावजूद खेती और निजी उद्यम में उनको पुरुषों से कम भुगतान मिल रहा है।

जहरीली गैस का पता कैसे चले?
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा और कोरबा जिले में कल एक के बाद एक दो हृदयविदारक घटनाएं हुईं, जिनमें कुओं में गिरने पर 9 लोगों की मौत हो गई। दोनों कुओं में सबसे पहले एक व्यक्ति सफाई के लिए उतरा, जब वह बाहर नहीं निकला तो बाकी लोग बचाने के उद्देश्य से नीचे गए। इनमें से शायद ही किसी ने उतरने से पहले विचार किया होगा कि जहरीली गैस के कारण उनकी भी मौत हो सकती है। बहुत दिनों तक इस्तेमाल में नहीं लाए गए कुएं, सूखे कुएं, जहरीली गैस से भरे हो सकते हैं। केंद्रीय जल बोर्ड ने बकायदा इस खतरे को लेकर आगाह करता है। यह जहरीली गैस कार्बन डाय ऑक्साइड होती है। किसी कुएं में उतरने से पहले यह पक्का कर लेना चाहिए कि कहीं उसमें गैस तो नहीं है। इसका एक आम सुलभ तरीका यह बताया गया है कि किसी रस्सी के सहारे जलते हुए दिये या लालटेन को कुएं के नीचे उतारा जाए। यदि कुएं में जहरीला गैस है तो वह बुझ जाएगा। ऐसे में कुएं में उतरने का जोखिम बिल्कुल न उठाएं। कुएं से जहरीली गैस बाहर निकालने का तरीका भी बताया गया है। उतरने से पहले लम्बा बांस डालकर कुएं के पानी में तेज हिलाएं। इसके अलावा पानी भरा बाल्टी नीचे डालकर भी हिलाया जा सकता है। यदि जहरीली गैस भरा कोई कुआं सूखा है तो उसमें कई गैलन पानी पहले डालिये, फिर हिलाएं। ये तरकीब पुराने जमाने में भी काम आती थी। अभी भी यही तरीका कामयाब है। प्राय: बारिश के पहले किसान कुओं की सफाई करता है। पर ऐसा करते समय सावधानी बरती जानी चाहिए। शायद इन दो बड़ी घटनाओं से प्रशासन भी सबक ले और कुओं की सफाई के दौरान ऐसी दुर्घटना फिर न हो इसके लिए लोगों को जागरूक करे। ([email protected])

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