राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : किनारे बैठे नेताओं की बारी
13-Jul-2024 3:58 PM
राजपथ-जनपथ : किनारे बैठे नेताओं की बारी

किनारे बैठे नेताओं की बारी 

भाजपा में शीर्ष स्तर पर बड़े बदलाव की चर्चा है। इसका असर छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, केंद्र में अकेले बहुमत पाने में विफल भाजपा ने अब जाकर पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की सुध ली है। सुनते हैं कि देशभर में 30-40 ऐसे नेता हैं जो संगठन की राजनीति में हासिए पर हैं। इन नेताओं को मुख्यधारा में लाने पर विचार चल रहा है।

कहा जा रहा है कि शुरूआत राजस्थान के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से की जा रही है। उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी मिलने के संकेत हैं। छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं के नाम भी हैं, जो कि प्रभावशाली हैं और अपने इलाके में अच्छा प्रभाव रखते हैं। इन नेताओं को अब तक कोई अहम जिम्मेदारी नहीं मिली है। चर्चा है कि असंतुष्ट नेताओं को देर-सबेर कोई अहम दायित्व मिल सकता है। देखना है आगे क्या होता है।

बैज जुट गए हैं 

पूर्व सांसद दीपक बैज ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में शुक्रवार को कार्यकाल के एक साल  पूरे किए। हालांकि बैज के अध्यक्षीय कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रही है। पार्टी विधानसभा, और फिर लोकसभा चुनाव हार गई। वो खुद भी विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए। इन सब वजहों से उनके हटने की भी चर्चा है। बावजूद इसके राजीव भवन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया, और उन्हें बधाई दी।

हालांकि चुनाव में हार के लिए बैज से ज्यादा पूर्व सीएम भूपेश बघेल को कोसा जा रहा है। यही वजह है कि बैज पद पर बने हुए हैं और उन्होंने निकाय और पंचायत चुनाव के लिए बैठकें शुरू कर दी है। बैज ने उन तीन कार्यकर्ता विकास तिवारी, शुभम पाल और कुणाल दुबे को बुलाकर सम्मान भी किया, जो कि एक दिन पहले ही गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और हंगामा खड़ा करने के मामले में जेल से छूटे हैं। बैज कितने दिन पद पर रहेंगे, यह तय नहीं है। मगर जिस तरह दिल्ली में पार्टी के प्रमुख नेताओं से मिलकर लौटे हैं उनका आत्मविश्वास बढ़ा दिख रहा है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।

कुत्ता और सस्पेंशन

है न अजीब मामला। यह हुआ है। अपनी राजधानी में ही। स्टेशन चौक स्थित शहर के दूसरे बड़े गंज डाकघर में। इंस्पेक्शन पर निकले निदेशक साहब ने एक चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी को इसलिए सस्पेंड कर दिया कि डाकघर के भीतर एक कोने में कुत्ता सो रहा था,उसे धूप उमस से परेशान हाल में पंखे की हवा मिल रही थी। साहब तो कर्मचारियों, ग्राहकों की सुविधा, असुविधाएं देखने निकले थे। वो तो नहीं दिखीं और दिखीं भी होंगी तो दूर नहीं की। बस साहब कुत्ते पर ही अटक गए और भृत्य वर्ग के कर्मचारी को निपटा आए। और सब पोस्ट मास्टर को सेवा संहिता 16 का आरोप पत्र थमा दिया। छोटे कर्मचारी को बड़ी सजा और बड़े को नजरअंदाज।

साब, के इंस्पेक्शन स्टाइल की खूब चर्चा हो रही है। इससे पहले भी एक पूर्व निदेशक साहब ने भृत्य को इसलिए बर्खास्त कर दिया था कि मेम साहब ने उसे टूटी हुई शीशी से घी निकालकर साहब की थाली में परोसते देख लिया था।

स्थानीय निकायों में कब्जे की हड़बड़ी

नगरीय निकायों के चुनाव इसी साल होने वाले हैं। अधिकांश नगरीय निकायों में सन् 2019 में कांग्रेस के अध्यक्ष काबिज हुए। कांग्रेस ऐसा करने में सफल इसलिए हुई थी क्योंकि एक तो अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कर दिया गया, दूसरा कारण यह था पार्षदों का स्वाभाविक झुकाव सत्तारूढ़ दल की तरफ हो जाता है। इससे वार्डों के और उनके अपने काम रुकते नहीं। मगर, अब सरकार भाजपा की बन चुकी है। जगदलपुर नगर निगम सहित कई नगरपालिका, नगर पंचायतों में दृश्य बदल चुका है। पिछला ट्रेंड बरकरार रहा तो भाजपा को इस साल के चुनावों में अच्छी सफलता मिल सकती है। मगर, कुछ निकायों में भाजपा के पार्षद इंतजार नहीं करना चाहते, तत्काल बदलाव देखना चाहते हैं। इसके चलते कई निकायों में अविश्वास प्रस्ताव आ चुके। कुछ में भाजपा सफल रही, कुछ में नहीं। जैसे कबीरधाम जिले के पिपरिया नगर पंचायत में 15 में से 11 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया। यहां भाजपा और कांग्रेस के बराबर 7-7 पार्षद हैं और एक निर्दलीय हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष को उनके ही पार्षदों ने झटका दे दिया।

मगर, राजनांदगांव जिले की डोंगरगढ़ नगरपालिका का चुनाव ज्यादा रोचक रहा। लोकसभा चुनाव के लिए लगी आचार संहिता के दौरान अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन को कलेक्टर ने मंजूर कर लिया तो विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस इस मुद्दे को हाईकोर्ट ले गई। हाईकोर्ट ने कुछ समय के लिए स्थगन भी दे दिया। अब जाकर वहां अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ। कांग्रेस के अध्यक्ष ने इतने वोट जुटा लिए कि उनकी कुर्सी बच गई। सिर्फ एक वोट से बच पाई। यह जरूर है कि कांग्रेस के पार्षदों ने बगावत की, मगर भाजपा उसे नहीं हटा पाई। एक और मामला हाईकोर्ट चला गया था। कांग्रेस से चुने गए कवर्धा के नगरपालिका अध्यक्ष ने चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। तब यहां भाजपा के पार्षद को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। यहां कांग्रेस का बहुमत है। कांग्रेस पार्षद हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति को गलत ठहराते हुए वहां चुनाव कराने का निर्देश दे दिया। भाजपा के स्थानीय नेता चाहते थे कि अगला चुनाव आते तक अपने कार्यकारी अध्यक्ष से काम चला लेंगे।

अबूझमाड़ का जीवन

अबूझमाड़ के भीतर के एक गांव की तस्वीर। मां नंगे पैर, एक बच्चे के पैर में स्लीपर दिख रहा है। पर दोनों बच्चों ने जो कपड़े पहने हैं, वे उनके बड़े भाई-बहन के लग रहे हैं। इतने बड़े हैं कि नीचे कुछ पहने भी या नहीं, पता नहीं चल रहा है। इनकी फोटो लेकर सोशल मीडिया पर डालने वाला तो वहां पहुंच गया, पर जिसे विकास कहते हैं, उसका पहुंचना बाकी है।

पटवारी की गिरफ्तारी

पहली-पहली पोस्टिंग के दौरान ही कुछ आईएएस अफसर अपने तेवर से यह जता देते हैं कि उनको अपने पॉवर का ठीक-ठीक इस्तेमाल करना आता है। दंतेवाड़ा में प्रशिक्षु आईएएस, एसडीएम जयंत नाहटा ने पटवारी किशोर दीवान को गिरफ्तार करा दिया। पटवारी पर आरोप है कि उसने साहब के दफ्तर में घुसकर सरकारी काम में बाधा डाली, हुज्जतबाजी की, मारपीट की। पटवारी का भी आरोप है कि एसडीएम से वह शिकायत करने गया था कि मेरा 6 माह में दूसरी बार ट्रांसफर क्यों किया जा रहा है, तब उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से मुक्के मरवाये। मगर, पुलिस ने तत्परता के साथ आईएएस की शिकायत की जांच कर ली और गैरजमानती धाराओं में गिरफ्तार किया। यह अलग बात है कि पटवारी को उसी दिन कोर्ट से जमानत भी मिल गई। पटवारी की शिकायत की पुलिस अभी ‘जांच’ कर रही है। पूरे प्रदेश में पटवारी आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे वक्त में जब राज्य सरकार राजस्व के पेंडिंग मामले खत्म करने के लिए पखवाड़ा मना रही है। यदि आईएएस नाहटा पेंडेंसी खत्म करने के लिए कुछ बड़ा काम करते तो शायद इतनी चर्चा नहीं होती, जितनी पटवारी को गिरफ्तार कराने से आ गए।

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