राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दावेदारों का घेरा
15-Jul-2024 2:36 PM
राजपथ-जनपथ : दावेदारों का घेरा

दावेदारों का घेरा

भाजपा में रायपुर दक्षिण की टिकट के लिए दावेदारों में होड़ मची है। हाल यह है कि सांसद बृजमोहन अग्रवाल रायपुर शहर के जिस किसी कार्यक्रम में जा रहे हैं, वहां आसपास दावेदारों की फौज देखी जा सकती है।

शनिवार को बृजमोहन अग्रवाल दानी स्कूल में वृक्षारोपण कार्यक्रम में शरीक हुए। इस मौके पर पूर्व सांसद सुनील सोनी, प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव, रमेश ठाकुर, सुभाष तिवारी, केदार गुप्ता, भाजपा पार्षद दल की नेता मीनल चौबे, मनोज वर्मा, संजू नारायण सिंह ठाकुर सहित अन्य नेता प्रमुख रूप से मौजूद थे। खास बात यह है कि ये सभी नेता रायपुर दक्षिण से चुनाव लडऩे के इच्छुक बताए जाते हैं।

दूसरी तरफ, पार्टी संगठन ने संकेत दिए हैं कि रायपुर दक्षिण सीट से बृजमोहन की पसंद पर ही टिकट दिया जाएगा। वजह यह है कि बृजमोहन लंबे समय तक रायपुर दक्षिण का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, और 2018 में कांग्रेस की लहर के बावजूद वो अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। वर्तमान में उपचुनाव में पार्टी की राह आसान नहीं मानी जा रही है। देश भर में विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को झटका लगा है। ऐसे में पार्टी बृजमोहन की पसंद को नजरअंदाज करने का जोखिम उठाएगी, इसकी संभावना कम दिख रही है।

मंत्रालय की रौनक लौटी

विष्णुदेव साय के सीएम बनने के बाद मंत्रालय (महानदी भवन) में हलचल बढ़ी है। साय कैबिनेट की अब तक की सारी बैठकें मंत्रालय में ही हुई है। इससे परे पिछली सरकार में कैबिनेट की बैठकें तो दूर, मंत्री भी विभाग की बैठक अपने सरकारी निवास पर लेते थे। मगर यह परम्परा अब बदल गई है।

पिछली सरकार में कोरोना की वजह से दो साल मंत्रियों, और अफसरों का अपने घर से काम निपटाने की सुविधा दी गई थी। कैबिनेट की बैठकें भी सीएम हाउस में होती थी, लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद भी व्यवस्था नहीं बदली। एक-दो मंत्री ही मंत्रालय आते जाते थे। बाकी तो निवास पर ही फाइल निपटाते थे। इन सब वजहों से अफसरों का भी मंत्रालय आना जाना कम हो गया था। अब सरकार बदलने के बाद सीएम साय खुद अपने विभाग की समीक्षा भी मंत्रालय में करते हैं। इन सब वजहों से मंत्रालय में रौनक दिखाई दे रही है।

भाजपा कार्यकर्ता नहीं चाहते दलबदलू

ऐसा लगता है कि जिस वंदेभारत स्पीड से कांग्रेसियों को लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल किया गया, नगरीय निकाय चुनावों के पहले वैसा नहीं होगा। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में पिछले एक पखवाड़े तक चले राजनीतिक उठापटक से इसका अंदाजा लगता है। कांग्रेस विधायक कविता प्राण लहरे ने नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 8 घंटे चक्काजाम किया। उनका एक आरोप यह भी था कि व्यावसायिक परिसर का नाम जवाहर लाल नेहरू से बदलकर पं. दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया। नगर पंचायत की कांग्रेसी अध्यक्ष नर्मदा कौशिक सहित कई पदाधिकारी, पूर्व एल्डरमेन सहित कई सरपंचों ने एक साथ प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को इस्तीफा भेज दिया। आरोप लगाया कि विधायक उनकी और कांग्रेस की प्रतिष्ठा धूमिल कर रही हैं। इस्तीफे के बाद से अटकलें तेज हो गई कि सबको भाजपा में शामिल कर लिया जाएगा। राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद नगरीय निकायों में माहौल ही ऐसा बना हुआ है। मगर, इस्तीफा देने वालों ने कई दिन की चुप्पी के बाद बताया कि वे फिलहाल किसी पार्टी में नहीं जा रहे हैं। आगे की रणनीति सोच कर तय करेंगे। दरअसल, हुआ यह है कि भाजपा के स्थानीय नेताओं ने बड़ी संख्या में हस्ताक्षरित आवेदन जिला अध्यक्ष को सौंप दिया था और आगाह किया था कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कांग्रेसियों को भाजपा में न लें। इधर कांग्रेसियों ने भी प्रदेश अध्यक्ष को चि_ी लिख दी है कि इन बागियों को वापस बिल्कुल वापस न लें। फिलहाल, इस्तीफा देने वालों के पास न पार्टी में पद है, न नगर पंचायत में।

भाजपा कार्यकर्ताओं का कांग्रेसियों के खिलाफ खड़ा होना अकेले भटगांव में नहीं दिखा है। इन दिनों प्रदेश भाजपा के अलग-अलग प्रभारी विभिन्न जिलों, विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे हैं। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता उनसे शिकायत कर रहे हैं कि नए-नए कांग्रेस छोडक़र आए लोगों को ज्यादा तरजीह मिल रही है। लोकसभा चुनाव भी जीते हैं तो इनकी बदौलत नहीं- मोदी, साय और राम मंदिर की वजह से जीत मिली। अब नगरीय निकाय चुनावों में हमें पीछे कर इनको आगे किया गया तो पार्टी को नुकसान तय है।

मशरूम खाना बाद में, पहचानो पहले

हरदीबाजार में जंगल से बिकने के लिए आए मशरूम (पुटु) को खाने से एक परिवार के 8 लोग बीमार पड़ गए। जीपीएम जिले में कुछ दिन पहले 2 साल की बच्ची की मौत हो गई और उसके घर के लोग उल्टी दस्त का शिकार हो गए। कबीरधाम जिले में पांच बैगा आदिवासियों की हाल में हुई मौत को लेकर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि इनमें से दो की ही मौत डायरिया से हुई, बाकी के बारे में आशंका है कि उन्होंने जहरीला मशरूम खाया। हालांकि इस मामले में अभी जांच चल रही है।

छत्तीसगढ़ के जंगल और बाडिय़ों में सैकड़ों प्रकार की मौसमी भाजी और सब्जियां अपने आप उग जाती हैं। बारिश के दिनों में इसकी खूब आवक होती है। अधिकांश लोगों को पता नहीं है कि कि कई प्रकार के मशरूम ऐसे हैं, जिनके खाने से जान आफत में आ सकती है। मोटे तौर पर कहा जाता है कि सफेद या हल्के रंग के मशरूम खाने लायक होते हैं। लाल, गुलाबी रंग के मशरूम में एल्केलाइड रसायन अधिक होता है, जिन्हें खाने से तबीयत खराब हो सकती है। कई लोग मशरूम को तोडक़र देखते हैं और गंध महसूस करते हैं। यदि तेज गंध है तो वह अमोनिया का होता है, इसे भी खाना खतरनाक है। आदिवासी इलाकों में जहरीले मशरूम के नाम भी रख दिए गए हैं- जैसे गंजहा मशरूम, बिलाई खुखड़ी, लकड़ी खुखरी, लाल बादर। गांवों में बुजुर्ग जानते हैं कि ये मशरूम खाने लायक नहीं हैं। इसके अलावा खाने लायक मशरूम को भुडू, पतेरी, चिरको, बांस खुखड़ी, जाम खुखड़ी, भैंसा खुखड़ी जैसे नामों से जाना जाता है।  ([email protected])

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