मोहला मानपुर चौकी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबागढ़ चौकी, 29 दिसंबर। श्रीमद शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन कथावाचक पं. विनोद बिहारी गोस्वामी ने कहा कि मोक्ष की इच्छा रखने वाले मानव को रूद्राक्ष धारण कर शिव की अराधना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भोग व मोक्ष की इच्छा रखते हैं, यदि वे भस्म लगा एवं रूद्राक्ष का धारण कर भगवान भोलेनाथ के नाम का जाप करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
कॉलेज मैदान में श्रीमद शिवमहापुराण कथा का श्रवण करने लोगों की भीड़ कथा के शुरूआत से अंत तक बनी रही। कथा के तीसरे दिन कथावाचक भगवान शिव की महिमा के साथ-साथ भस्म, रूदा्रक्ष एवं तुलसी तथा आंवला का महत्व बताया। कथावाचक ने कहा कि भगवान शिव एवं माता पार्वती को रूदा्रक्ष का फल अत्यंत प्रिय है। रूद्राक्ष समस्त अनिष्ठों का नाश करने वाला पापनाशक है। उन्होंने कहा जहां रूद्राक्ष की पूजा होती है, वहां पर माता लक्ष्मी निवास करती है और वह दूर नहीं जाती है, इसलिए जो मानव रूद्राक्ष का फल धारण कर शिव की अराधना करता है तो भगवान भोलेनाथ उनकी हर मनोकामना को पूरी करते है। श्री गोस्वामी ने कहा कि भोग व मोक्ष की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को रूद्राक्ष धारण कर भगवान शिव के नाम का जाप करना चाहिए।
पं. गोस्वामी ने भस्म के महत्व को भी भक्तों को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को भस्म भी प्रिय है। उन्होंने बताया कि भगवान शिव के नाम का जाप करने वाला एक साधारण बालक किस तरह भगवन भोलेनाथ का प्रमुख गण नंदी के रूप में सम्मानित हुआ। इसके अलावा कथावाचक ने तुलसी एवं आंवला के महत्व व महिमा बताई। कथावाचक ने कथा में आंवले का उपयोग कब एवं कैसे करना चाहिए, इसकी भी जानकारी श्रोताओं को समझाई।
उन्होंने बताया कि आंवला खाने से आयु में वृद्धि होती है तथा आंवले का जल पीने से धर्म का संचय होता है और आंवला जल के स्नान करने से द्ररिद्रता दूर होती है। सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। कथावाचक ने बताया कि आंवला का उपयोग किन-किन दिनों में नहीं करना चाहिए। पं. विनोद बिहारी ने कथा में रूद्राक्ष के साथ-साथ भस्म त्रिपुंड का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा कि जो मानव तीनो काल में भस्म त्रिपुंड लगाते है व समस्त पापो से मुक्त हो जाते हंै और भगवान शिव का सानिध्य आनंद प्राप्त करते है।