बेमेतरा

सरदा में स्टील प्लांट लगाने के विरोध में ग्रामीण हुए लामबंद, महिलाओं ने निर्माण पर लगाई रोक
09-Apr-2024 3:45 PM
सरदा में स्टील प्लांट लगाने के विरोध में ग्रामीण हुए लामबंद, महिलाओं ने निर्माण पर लगाई रोक

100 से अधिक महिलाओं ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 9 अप्रैल।
विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सरदा में स्टील प्लांट का निर्माण शुरू होने के विरोध में ग्रामीण लामबंद हो गए हैं। गांव की 100 से अधिक महिलाएं प्लांट निर्माण के विरोध में कलेक्टोरेट पहुंची थी। यहां उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर गांव में प्लांट निर्माण नहीं कराने का आग्रह किया है। मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई। कलेक्ट्रेट परिसर में धारा 144 लागू होने के कारण गांव की महिलाओं ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रखा।

यहां गांव की महिलाओं में विधायक दीपेश साहू को लेकर खासी नाराजगी है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के पूर्व विधायक ने गांव में स्टील प्लांट नहीं बनने का आश्वासन दिया था।

सभापति राहुल टिकरिहा के नेतृत्व में कर रहे प्रदर्शन
जिला पंचायत सभापति राहुल टिकरिहा की अगुवाई में क्षेत्र के किसान सरदा में प्लांट स्थापना का विरोध कर रहे हैं। सभापति ने बताया कि बेमेतरा जिला कृषि प्रधान क्षेत्र है, इस क्षेत्र का मुख्य व्यवसाय कृषि है। बेरला क्षेत्र के निवासी धान, दलहन, तिलहन, सब्जी व फलों का उत्पादन करते है। यहां आय का प्रमुख स्रोत खेती से ही होता है।

43 एकड़ भूमि पर प्लांट लगाने की तैयारी
सरदा में 42.68 एकड़ में स्टील प्लांट की स्थापना की तैयारी की जा रही है। इससे कृषि क्षेत्र के साथ-साथ फसल उत्पादन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। सरदा में उद्योग लगने से कृषि कार्यों में प्लांट से निकलने वाले धुंए, वेस्ट वाटर व अपशिष्ट पदार्थों से कृषि कार्य के साथ-साथ आम जन जीवन प्रभावित होगा। एक समय के बाद यहां कृषि कार्य समाप्त हो जाएगा, जिससे किसानों के सामने जीवकोपार्जन के लिए आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी।

फैक्ट्री में बाहर के लोगों की भर्ती 
जानकारी के अनुसार बेरला में स्थापित बारूद फैक्ट्री में 60-70 प्रतिशत कर्मचारी बाहरी है। जब यह कंपनी स्थापित हो रहा थी, तब स्थानियों को रोजगार देने का वादा किया गया था, लेकिन स्थापना के बाद स्थानीय को दरकिनार कर बाहरी कामगारों को रोजगार में प्रथमिकता दी जा रही है । स्पष्ट है कि प्लांट स्थापना के दौरान क्षेत्र के लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दिए जाने का वादा किया जाता है, जिसे बाद में भुला दिया जाता है।

बिना किसी ठोस कार्ययोजना के प्लांट स्थापना से बढ़ा प्रदूषण का स्तर 
छत्तीसगढ़ भी औद्योगिक प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। यहां भिलाई स्टील प्लांट पहला बड़ा उद्योग था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कुछ वर्षों में ही यहां स्पंज आयरन उद्योग, पावर प्लांट, सीमेंट फैक्ट्री आदि की संख्या बढ़ी। कोरबा, रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ आदि में औद्योगिकीकरण पहले से ही हो रहा था। औद्योगिक विस्तार की चाह में बिना किसी ठोस कार्ययोजना और निर्धारित मानदंडों की उपेक्षा कर उद्योग स्थापित किए जाने लगे। औद्योगिक विकास से वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण, तीनों ही बढ़ते जा रहे हैं। रायपुर के सरोरा, धरसींवा में फैक्ट्रियों के धुएं से हवा में जहरीले तत्व फैल चुके हैं।

कंपनी को जलापूर्ति शिवनाथ एनीकट से की जाएगी
राहुल टिकरिहा कंपनी के संचालन के लिए पानी शिवनाथ एनीकेट से की जाएगी। इस एनीकेट से बेमेतरा शहर को शहरी जल आवर्धन योजना के अंतर्गत पानी की आपूर्ति की जा रही है। जहां हर साल गर्मी के दौरान एनीकेट में पानी खाली होने पर चलापूर्ति की समस्या बनी रहती हैं। वही कंपनी में बोर खनन की स्थिति में वाटर लेवल गिरेगा। जिससे कृषि कार्य प्रभावित होगा।

गांव के किसान होंगे प्रभावित 
सभापति राहुल टिकरिहा नेे बताया कि बेमेतरा विधानसभा कृषि प्रधान क्षेत्र है। बेमतरा जिला बनने के बाद से यहां के किसानों की ओर से लगातार प्रदूषण मुक्त फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की मांग की जाती रही। यह प्लांट लगाना तो दूर इसके विपरीत प्रदूषण युक्त प्लांट स्थापना की तैयारी की जा रही है । प्लांट स्थापना से सरदा, लेंजवारा, जामगांव, देवरी, पाहन्दा, बावनलाख, भिलौरी, आन्दू समेत दर्जन भर गांव के किसान प्रभावित होंगे।
 

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