बेमेतरा
आजादी के बाद से गांव में नहीं बनी सडक़, बुनियादी सुविधाओं को तरसे ग्रामीण
आशीष मिश्रा
बेमेतरा, 9 जून। सात मई को लोकसभा चुनाव में ग्राम पंचायत मोतिमपुर के मतदान केंद्र में रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद करते हुए ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। मोतिमपुर मतदान केंद्र के आश्रित ग्राम झाझाडीह में आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी एक अदद सडक़ नहीं बन सकी। अनुसूचित जाति बाहुल्य इस ग्राम के लोगों ने लोकसभा चुनाव में अपनी आवाज बुलंद करने मतदान बहिष्कार का सहारा लिया। अधिकारी मौके पर पहुंचे और सडक़ पर लाल चुरा पत्थर डालने की कयावद शुरू की। दोपहर दो बजे के करीब मतदान शुरू हुआ। चार जून को आए नतीजे में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी को 298 व भाजपा प्रत्याशी को 191 मत मिले।
स्कूल की पुताई के बाद भी हकीकत का रंग दिख रहा
मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में स्कूल का जीर्णोद्धार ऐसा किया गया है कि पुताई के बाद भी हकीकत रंग दिख रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र को सुविधा की जरूरत है। बिजली के तार सात से आठ फीट पर लटक रहे हैं। वर्तमान में जो स्थिति दिखी, इससे तय है कि इस बारिश भी ग्रामीणों को समस्या से जूझना पड़ेगा।
जमीनी हकीकत कुछ और
ही बयां कर रही
एक माह बाद आठ जून को जब झाझाडीह की जमीनी हकीकत को झांका गया तो लगा कि विभाग ने वे सभी काम कर दिए होंगे लेकिन मौके पर देखने पर दिखा कि वे कार्य नहीं किए गए, जिसकी सभी को जरूरत है।
गांव की गलियों में बहती नालियों के चलते दो लोग एक साथ नहीं चल सकते। गांव में मुख्य सडक़ पर जून में ऐसी तस्वीर की चार पहिया वाहन का निकलना मुश्किल है। एक सूखा कुआं पास में साथ छोड़ चुका हैंडपंप। खराब सोलर पावर पंप लोगों के देखने के लिए है।
इन सबके लिए जनप्रतिनिधि जिम्मेदार-भारती गंधर्व
समाज सेविका भारती गंधर्व ने कहा कि नवागढ़ विधानसभा में कई गांवों में यही तस्वीर है। आठ साल तक कांग्रेस और 15 साल तक भाजपा ने राज किया। अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए सैकड़ों योजना बनी। इस योजना का लाभ किसे मिला, इसकी जांच जरूरी है। भारती ने कहा कि प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, मुख्यमंत्री सुगम सडक़ योजना, गौरव पथ योजना, किसी एक योजना का लाभ झाझाडीह को नहीं मिला। इसके लिए विधानसभा के जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। आधुनिक नहीं तो कम से कम वास्तविक सुविधा तो उपलब्ध हो। झाझाडीह से यदि लावातरा या टूरा सेमरिया को जोड़ दिया गया होता तो आज यह ग्राम भी पक्की सडक़ से जुड़ जाती। कलेक्टर को एक रात इस ग्राम में बीताना चाहिए, जिससे समझ आए कि गरीबों की रात कैसे कटती है।