राजपथ - जनपथ
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टॉयलेट में खड़े होकर सफर
जनरल डिब्बों में लम्बा सफर करना हो तो जगह कैसे भी हो निकाल ही ली जाती है। सोशल मीडिया पर वायरल इस तस्वीर के बारे में बताया गया है कि टॉयलेट की खिडक़ी से झांक रहा यह यात्री वहीं खड़े होकर यात्रा पूरी कर रहा है। उसे गोरखपुर से बांद्रा 1400 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करनी थी।
भूतपूर्व के प्रचार में भूतपूर्व
पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मजीत सिंह उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के प्रचार में गए हैं। कृपाशंकर सिंह पहले कांग्रेस में थे, और वो मुंबई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहले विधानसभा चुनाव पार्टी ने प्रत्याशी चयन के लिए पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था। तब से धर्मजीत सिंह की कृपाशंकर सिंह से दोस्ती है। उस समय धर्मजीत सिंह विधानसभा के उपाध्यक्ष थे।
यह भी संयोग है कि दोनों ही कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। और अब जब पार्टी ने प्रदेश के नेताओं को दूसरे राज्यों में प्रचार के लिए भेजा, तो धर्मजीत सिंह ने कृपाशंकर सिंह के प्रचार में जाने की इच्छा जताई। पार्टी ने धर्मजीत सिंह को जौनपुर भेजा है। पांच बार के विधायक धर्मजीत सिंह, अपने दोस्त कृपाशंकर सिंह की कितनी मदद कर पाते हैं, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।
भांजे-भतीजों से परेशान अफसर
राज्य के एक नए नवेले नेताजी सुर्खियों में है। सुर्खियां उनके काम की और रिश्तेदारों की भी है। रिश्तेदार नेताजी के बंगले में सक्रिय रहते हैं। छह माह में रिश्तेदारी कारोबार में बदलते जा रही है। कोई भी अफसर नेताजी से मिलने बंगले आते हैं तो पहले रिश्तेदार मिलते हैं। रिश्तेदार अब जिलों में पदस्थ अधिकारियों को फोन कर काम बता रहे है कि मामा ने कहा है कि गाड़ी लगानी है। यहां का ठेका हमें ही चाहिए। चाचा ने कहा है कि सामान की सप्लाई हमें करना है। लगातार रिश्तेदारों के फोन से पांच विभागों के अधिकारी भी परेशान हैं किस भांजे, भतीजे या भाई की सुनें। जबकि इनमें से किसी के लिए आज तक नेताजी ने कॉल नहीं किया है।
पड़ोस में ड्यूटी
प्रदेश भाजपा के महामंत्री (संगठन) पवन साय रोजाना वीडियो कॉन्फ्रेंस कर ओडिशा, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में प्रचार के लिए गए पार्टी नेताओं से चर्चा कर रहे हैं। उन्हें मार्गदर्शन भी दे रहे हैं कि वहां किस तरह प्रचार किया जाए।
भाजपा ने जाति समीकरण को ध्यान में रखकर अलग-अलग क्षेत्रों में पार्टी नेताओं को प्रचार की जिम्मेदारी दी है। मसलन, शिवरतन शर्मा ओडिशा के संबलपुर इलाके में ब्राह्मण बाहुल्य इलाके में पार्टी प्रत्याशी धर्मेन्द्र प्रधान के लिए वोट मांग रहे हैं, तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय को उन इलाकों में प्रचार के लिए भेजा गया है, जहां यूपी, और बिहार के लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं। इससे परे स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल व्यापारी संगठनों की बैठक कर भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं।
प्रदेश के नेताओं को साफ तौर पर हिदायत दी गई है कि वो स्थानीय नेताओं से मेहमान नवाजी की अपेक्षा न पाले, और ठहरने की व्यवस्था खुद ही करें। तकरीबन सभी भाजपा विधायकों की प्रचार में ड्यूटी लगाई गई है।
दुकान नहीं अहाता सही...
छत्तीसगढ़ में शराब के शौकीनों को दारू खरीदने के बाद पीने की सहूलियत अब मिलने जा रही है। प्रदेश की 537 शराब दुकानों में 457 अहाता खोलने के लिए टेंडर जारी किए गए थे। जिनकी अधिक बोली आई उनके नाम पर टेंडर जारी कर दिया गया है। शराब नीति में सन् 2017 से ही अहाता की सुविधा देने का प्रावधान था, पर कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अहाता कागजों में हटा दिए थे। सत्ता पक्ष के करीबियों को इन्हें चलाने का अघोषित अधिकार दे दिया गया था। शराब से ठेकेदारी खत्म कर सरकारी बिक्री करने के बाद आबकारी विभाग के अफसर कर्मचारियों को जो नुकसान हुआ था, उसमें थोड़ी सी भरपाई इन दुकानों से होने लगी थी।
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद सभी जिलों में जो काम मंत्रिपरिषद् के गठन से पहले शुरू हो गया था, उनमें से एक था, अवैध अहातों को गिराना। इसके साथ ही तय हो गया था कि भाजपा सरकार नए सिरे से अहाता आवंटन करेगी। हालांकि सरकार आवंटन में ऑफलाइन प्रक्रिया नहीं अपनाई। ऑनलाइन टेंडर में सरकार को उम्मीद से ज्यादा राजस्व मिला है। अब यह बात सामने आ रही है कि कई बड़े अहाता उन लोगों को मिल गए हैं जो पहले शराब का ठेका लेते थे। ये ठेके सीधे-सीधे खुद के नाम पर नहीं लिए गए हैं। नाम अनजान हैं, छत्तीसगढ़ से बाहर के भी हैं। पर परदे के पीछे शराब ठेकेदार ही हैं। पहले शराब दुकानों को हथियाने के लिए यही तरीका अपनाया जाता था। इसे रोकने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने एक नियम भी बनाया था कि बोली लगाने वाले की पूंजी निवेश की क्षमता और स्त्रोत की जांच की जाएगी। अहाता में यह नियम लागू नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो राशि जमा करने में सक्षम है, ठेका लेने का पात्र माना गया है।
सांप की जिंदगी बच गई...
सदियों से यह आम धारणा बनी हुई है कि सांप दूध पीते हैं और पिलाना पुण्य का काम है। पर दुनियाभर में अनेक शोध हो चुके हैं, जिनसे पता चलता है कि सांप के लिए दूध जहर होता है, पी लें तो दम घुटकर मौत हो जाएगी। उसके आमाशय या आंत में दूध को पचाने वाले रसायन ही नहीं बनते। बीते एक पखवाड़े से कोरिया जिले के चारपारा में भीड़ जुट रही थी। ग्रामीण यहां के एक तालाब में डेरा डाले नाग-नागिन के जोड़े के सामने दूध रख जाते थे और उनकी पूजा कर रहे थे। एक व्यक्ति में नाग देवता पर ज्यादा ही श्रद्धा उमड़ आई। उसने उसे गले में लटकाने की कोशिश की। सांप ने उसे डस लिया और उसकी मौत हो गई। मौत के बाद वन विभाग हरकत में आया और उसने नाग-नागिन को वहां से हटाकर सुरक्षित जगह पर ले जाने का प्रयास किया। मगर गांव के कुछ लोग अड़ गए। वे यहां मंदिर बनाना चाहते थे। वन अमला लौट गया। लौटने की जानकारी कलेक्टर को लगी तो उन्होंने वन विभाग के अफसरों को फटकार लगाई। वन विभाग की टीम दोबारा पहुंची। अब दोनों सांपों का रेस्क्यू कर लिया गया है और उन्हें जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया है। सांप के साथ खिलवाड़ करने के नतीजे में एक व्यक्ति की मौत जरूर हो गई लेकिन लगातार भीड़ पहुंचने से सांपों पर भी खतरा मंडरा रहा था। अब तक अपने लिए वे जंगल में कोई सुरक्षित ठिकाना ढूंढ चुके होंगे। ([email protected])