राजपथ - जनपथ
पेशी पर जाना पड़ा तो?
छत्तीसगढ़ के भूतपूर्व कांग्रेस नेताओं ने हरियाणा के सिरसा में जाकर कांग्रेस प्रत्याशी सैलजा पर आरोप लगाए, तो उन्हें सैलजा ने मानहानि का नोटिस थमा दिया। चुनाव प्रचार के बीच में नोटिस के बाद से हरियाणा, और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
सैलजा के समर्थन में सबसे पहले पूर्व मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया सामने आए, और उन्होंने भूतपूर्व कांग्रेसियों को खूब भला बुरा कहा। सैलजा छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी थीं, तो डहरिया ने उनके रूकने-ठहरने के लिए अपने निजी बंगले में व्यवस्था की थी। डहरिया खुद सरकारी बंगले में रहते थे।
इधर, वन मंत्री केदार कश्यप समेत पूरी छत्तीसगढ़ भाजपा, भूतपूर्व कांग्रेसियों के समर्थन में आ गई है। वैसे तो भूतपूर्व कांग्रेसी अब भाजपाई हो चुके हैं, और पार्टी जिस तरह उन्हें समर्थन दे रही है, इससे खुश भी हैं। मगर एक-दो नेता चिंतित भी हैं। वजह यह है कि मामला वाकई में अदालत तक पहुंचा, तो पेशी अटेंड करने के लिए गाड़ी बदल बदलकर सिरसा जाना होगा। उस समय भाजपा के लोग कितना साथ देंगे, यह कहना मुश्किल है। फिलहाल भूतपूर्व कांग्रेसी चर्चा में हैं।
विदेश में फंसे मेडिकल छात्र
मेडिकल की पढ़ाई के लिए किर्गिस्तान भारत, पाकिस्तान, बांगलादेश के छात्रों की पसंदीदा जगह रही है। कोविड-19 के दौरान हजारों छात्रा रूस और किर्गिस्तान में फंस गए थे। इनमें छत्तीसगढ़ के ही 500 से ज्यादा छात्र थे। धीरे-धीरे सभी को सकुशल ले आया गया। इस बार फिर किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में सैकड़ों छात्र-छात्रा फंस गए हैं। वहां स्थानीय छात्रों और दूसरे देशों से आए मजदूरों और छात्रों के बीच झगड़ा हो रहा है। जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक भारत, पाकिस्तान छात्रों के हॉस्टल के बाहर सेना को तैनात कर स्थिति संभाली गई है। पाकिस्तान के दो दर्जन छात्रों को हमले में चोट भी पहुंची है। छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में वहां छात्र-छात्रा पढऩे गए हैं। अधिकांश अब तक वहीं फंसे हुए हैं। निकट भविष्य में वहां पढ़ाई दोबारा शुरू होने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है। इसके चलते स्टूडेंट्स को वापस भेजा जा रहा है और ऑनलाइन पढ़ाई कराने की बात कही जा रही है। भारतीय दूतावास और वहां की सरकार छात्रों को सुरक्षित एयरपोर्ट तक पहुंचाने में मदद कर रही है। छत्तीसगढ़ के कुछ छात्र-छात्राओं से डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने भी कुछ दिन पहले बात की थी। उन्हें यह भी कहा था कि उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी सरकार की है। छत्तीसगढ़ के छात्रों को घर लौटने का किराया करीब 35 हजार रुपये पड़ रहा है। यह मालूम नहीं कि किसी ने छत्तीसगढ़ सरकार से इसके लिए मदद मांगी है या नहीं लेकिन वे अभी लौट नहीं पाए हैं। इससे भी गंभीर दूसरा पहलू है। कोविड काल के दौरान हजारों छात्रों मेडिकल की पढ़ाई अधूरी छोडक़र लौटे। ज्यादातर लोग एजेंसियों के माध्यम से गए थे, जिन्होंने पूरी फीस ले ली थी। वहां वे दोबारा पढ़ाई पूरी करने के लिए नहीं लौट पाए। थ्योरी तो ऑनलाइन पढ़ ली लेकिन उन्हें प्रैक्टिकल और प्रैक्टिस का मौका नहीं मिला। यहां आने के बाद उनका कोर्स पूरा नहीं हुआ है। वे या तो बेरोजगार भटक रहे हैं या फिर दूसरा कोई वैकल्पिक काम ढूंढ चुके हैं। ताजा मामले में सुरक्षित घर लौट जाने वाले छात्र-छात्राओं को आने के बाद दूसरी चिंता का सामना करना है कि किसी तरह मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर लें।
पुलिस मुखबिरी के संकट में
शहर में सेंधमारी, नकबजनी, छिंतई, उठाईगिरी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। मार्निंग या नाइक वॉक के दौरान भी बंद घर की आलमारियां साफ होने लगी हैं। आईजी, एसएसपी लाख क्राइम मीटिंग कर लें, थाने का औचक निरीक्षण कर लें कुछ नहीं हो रहा।
एकाएक बढ़ती घटनाओं पर पड़ताल की, थाने के स्टाफ से बात की तो पता चला, पुलिस मुखबिरी के संकट से गुजर रही है। और सामान्य आदमी, चश्मदीद होने के बावजूद सूचना नहीं देना चाहता । जाने दो हमें क्या? यह कहकर एक-दो लोगों को और रोक देता है। इसके पीछे एक कारण का और खुलासा हुआ है। वह यह कि थाना स्टाफ, टीआई विवेचक, सूचना देने वाले का नाम आरोपी पक्ष को बताने लगे हैं। और वो आरोपी बाद में अपने तरीके से बदला लेता है।
लोग एक्सीडेंट ही नहीं अन्य वारदातों के लिए भी गुड सेमिटेरियन बनना चाहते हैं, लेकिन पुलिस एक्यूज्ड़ के साथ गलबहियां करें तो यह संभव नहीं। पुलिस, थानों, चौराहों में लाख पोस्टर लगा दें, आरोपियों को देखकर वारदात के बाद यही कहेंगे, चलो हमें क्या करना है?
गौठान का सदुपयोग
चारों तरफ हरियाली और बीच में स्वीमिंग पुल। गौठान तो वीरान पड़े हैं। इसलिये उसका कुछ उपयोग तो होना चाहिए। खम्हारडीह कचना के ग्रामीणों का कहना है कि इसे पूर्व विधायक अमितेश शुक्ल बनवा रहे हैं। यह जमीन पहले गौठान की थी, मगर वे दावा कर रहे हैं कि अब यह उनके नाम पर चढ़ गई है। शिकायत भाजपा सरकार के मंत्रियों से की गई है। पर, अभी किसी कार्रवाई की खबर नहीं है। दिक्कत यह भी इस जगह पर ऑक्सीजोन के लिए प्लांटेशन कराये गए थे, जिसके बड़े-बड़े पेड़ थे। पुल के निर्माण में बाधक थे, तो उन्हें काट दिया गया।