राजपथ - जनपथ
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एक बार फिर उम्मीद से है डॉक्टर
विधानसभा से लोकसभा चुनाव तक भगवा दुपट्टा पहनने दलबदलुओं की कतार लगी रही। ये हर चुनाव से पहले होता है । ऐसे नए नवेले करीब 23 हजार नेता कार्यकर्ता भाजपाई बने। अभी कुछ हजार और वेटिंग लिस्ट में हैं। जो निगम चुनाव के पहले कमल थाम लेंगे। लेकिन कांग्रेस के एक डॉक्टर नेता का राजीव भवन से निकलकर ठाकरे परिसर में प्रवेश कुछ मुश्किल लग रहा है । संभवत: नहीं भी होगा। हालांकि इनके प्रवेश के लिए उनके सीनियर डॉक्टर नेता और वरिष्ठतम विधायक ने भी सिफारिश की थी। मगर प्रवेश से पहले जांच और अनुमति देने वाली समिति के मुखिया साफ मना कर चुके हैं । उनका तो यह भी कहना है कि मेरे समिति अध्यक्ष रहते तो प्रवेश नहीं मिलेगा । दरअसल वे इन डॉक्टर नेता के हर पांच वर्ष में निष्ठा बदलते रहने से नाराज हैं। झीरम के बाद भाजपा प्रवेश के लिए कांग्रेस को लानत भेजा, और फिर 2018 में घर वापसी के लिए भाजपा को कोसा।और अब उनकी नजर में फिर कांग्रेस अनैतिक पार्टी हो गई है। इसे ही कहते जिधर दम उधर है ।
नेता की हाँ में हाँ
माना एयरपोर्ट पर यह आकर्षक कलाकृति बच्चों युवाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गया है। इसे एक रेल कर्मी ने स्क्रैप मटेरियल से बनाया है। उनकी बनाई ऐसी ही अन्य प्रतिमाएं देश के कुछ और शहरों के रेलवे स्टेशनों में प्रदर्शित हैं। वैसे माना एयरपोर्ट में एक घोड़े की भी कलाकृति स्थापित है। पिछले दिनों इस नई कलाकृति के लगने के बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी इसे देखने से स्वयं को रोक नहीं पाए। और फिर कहा यह अधूरा है। इसमें कुछ अंग नहीं हैं। बड़े नेता के लिए जैसा होता है, वैसा वहां मौजूद लोगों ने नेताजी की शिल्प कला को लेकर रूचि, बारीकी की तारीफ करने लगे। दरअसल बघेल ने राजनीतिक रूप से इसमें मीन मेख निकाला था ।
वार्ता का नक्सली प्रस्ताव
केंद्रीय गृह मंत्री, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के बातचीत के प्रस्ताव पर नक्सलियों की ओर से फिर जवाब आया है। मीडिया को भेजे गए पत्र में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता प्रताप ने सरकार की ओर से रखी गई शर्तों का जिक्र किया है। पत्र में यह स्पष्ट है कि बातचीत के लिए वे हथियार सरेंडर नहीं करेंगे, क्योंकि वे ‘क्रांतिकारी’ हैं। बस्तर में चल रहे सडक़ आदि के निर्माण कार्यों का समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि वे मानते हैं कि इसे जंगल के दोहन व आदिवासियों के शोषण के लिए बनाया जा रहा है। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को मार गिराने का जो अभियान छेड़ा है, उसे रोकने की मांग भी है क्योंकि वे हिंसा के माहौल में बात नहीं कर सकते। बातचीत के लिए शांतिपूर्ण माहौल चाहते हैं। इन सब के बावजूद नक्सलियों का कहना है कि हमारी ओर से बातचीत के लिए कोई शर्त नहीं है, शर्त सरकार की ओर से ही रखी गई है।
नक्सलियों की ओर से बातचीत की सरकार की पेशकश का जवाब देने की वजह एक यह भी हो सकती है कि सुरक्षा बल कुछ दिनों से भारी पड़े हैं और उनके कई लीडर्स बीते तीन महीनों के मुठभेड़ में मारे गए हैं। अभी स्थिति यह है कि सरकार और नक्सली दोनों ही अपनी बातें एक दूसरे तक मीडिया के जरिये ही पहुंचा रहे हैं। उनके बीच कोई ऐसा मध्यस्थ नहीं है जो बातचीत की बात को आगे बढ़ाने में मदद करे। इसके चलते दोनों ओर के ही बयानों का कोई नतीजा आने की उम्मीद फिलहाल कम दिखाई देती है।
बेरोजगारी में फिर ऊपर
केंद्र सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ उन पांच राज्यों में शामिल हैं, जिनमें सर्वाधिक बेरोजगारी है। छत्तीसगढ़ में 19.6 प्रतिशत युवा काम मांग रहे हैं। छत्तीसगढ़ से अधिक खराब स्थिति ओडिशा, राजस्थान, बिहार व केरल की ही रह गई जहां बेरोजगारी दर 20 से 24 प्रतिशत के आसपास है। ये आंकड़ा बीते तीन महीनों का है। चूंकि रिपोर्ट केंद्र सरकार के ही एक मंत्रालय की ओर से तैयार की गई है, इसलिये इस पर भरोसा किया जा सकता है। तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार सीएमआईई के आंकड़ों के आधार पर कह रही थी कि राज्य में बेरोजगारी सिर्फ 0.1 प्रतिशत रह गई है। हालांकि इसके बावजूद इसी दौरान भृत्य जैसे पदों पर भी हजारों आवेदन आए और बेरोजगारी भत्ते के लिए लाखों लोगों ने आवेदन किया था। ताजा आंकड़ों से स्पष्ट है कि बेरोजगारी को झुठलाना संभव नहीं है बल्कि सरकार को इसमें कमी लाने की कोशिश करनी होगी।
दो सौ फीट गहरा वाटर फाल
जशपुर जिले के मैनपाट में खूबसूरत घाटी, पहाड़ और झरने पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इनमें से ही यह एक जगह है जिसे मछली प्वाइंट कहा जाता है। नीचे 200 फीट खाई है। इन गर्मियों में भी झरना देखते बनता है। मगर, यहां जिला प्रशासन या पर्यटन विभाग ने सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया है। रेलिंग भी नहीं है। लोग नीचे तक चले जाते हैं, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है।