राजपथ - जनपथ
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पारा तो एकाएक यहां भी चढ़ा था...
दिल्ली के मंगेशपुर वेदर रिकॉर्ड सेंटर में बुधवार को दोपहर जब तापमान 52.9 यानि करीब 53 डिग्री पहुंच गया तो देशभर में यह चर्चा का विषय बन गया। मौसम विभाग के अधिकारियों ने तत्काल कहा कि हो सकता है कि सेंसर में गड़बड़ी हो, क्योंकि एक दिन पहले यहां का तापमान 48 डिग्री से कुछ ऊपर था। दिल्ली के दूसरे स्टेशनों में भी कल उसी समय 48 से 49 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पहुंच गया था। अब यह खुलासा हो गया है कि तापमान गलत दर्ज हो गया था। इसके बावजूद कि बीते 79 वर्षों में दिल्ली और एनसीआर का तापमान उच्चतम स्तर पर है। इस वाकये ने छत्तीसगढ़ में हुई इसी तरह की घटना की याद दिला दी है। 23 मई 2017 को दोपहर 3 बजे बिलासपुर स्थित तापमापी केंद्र ने 49.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया। मौसम के ये आंकड़े अब स्वचालित उपकरणों से दर्ज होते हैं। इसलिये गलतियों की गुंजाइश कम होती है। दिल्ली के मामले में बता दिया गया कि सेंसर में गड़बड़ी के चलते गलत डेटा दर्ज हो गया, पर बिलासपुर के तापमान में उस दिन आए उछाल को मौसम विभाग ने सही बताया था। भले ही अब 49 डिग्री के पार पारा न पहुंच रहा हो पर औसत तापमान तो बीते सालों में बढ़ा है ही। पिछले तीन दिनों के भीतर मुंगेली और रायगढ़ का तापमान 47 डिग्री से ऊपर जा चुका है। आज बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर जैसे शहरों में तापमान 45 से ऊपर था।
आला अफसरों का इंतजार
पीएचक्यू में जून महीने में बड़ा बदलाव होगा। इस दिशा में चर्चा भी शुरू हो गई है। डीजीपी अशोक जुनेजा का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है। उन्हें एक्सटेंशन मिलेगा अथवा नहीं, इस पर भी फैसला हो सकता है। यही नहीं, पीएचक्यू में कुछ सीनियर अफसरों को अब तक प्रभार नहीं मिला है। उन्हें कामकाज आवंटित किया जा सकता है।
डीआईजी स्तर के अफसर अभिषेक मीणा, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे आईजी ध्रुव गुप्ता, और एडीजी दीपांशु काबरा के पास कोई विशेष जिम्मेदारी नहीं है। इन सभी को नए सिरे से प्रभार दिया जा सकता है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. के नेतृत्व में नक्सल ऑपरेशन बहुत बेहतर ढंग से चला है, और यह जारी है। उन्हें चार साल से अधिक हो चुके हैं। चुनाव आयोग ने भी उन्हें बनाए रखने के लिए अनुमति दी थी। मगर अब उन्हें पीएचक्यू लाने पर विचार चल रहा है। उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रदेश के बाहर सक्रिय
दूसरे राज्यों में प्रचार के लिए गए तकरीबन सभी भाजपा नेता लौट रहे हैं। इनमें से कुछ नेताओं को प्रवासी प्रभारी बनाकर लोकसभा वार जिम्मेदारी दी गई थी। कई नेताओं का काम बेहतर रहा है। इसकी पार्टी के अंदरखाने में काफी चर्चा हो रही है। सीएम विष्णुदेव साय ने इन सभी प्रवासी प्रभारियों को 2 जून को अपने निवास पर आमंत्रित किया है।
सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, और विधायक पुरंदर मिश्रा व राजेश मूणत की अगुवाई में दो दर्जन से अधिक नेता ओडिशा में प्रचार में जुटे हुए थे। इसी तरह सरगुजा संभाग के प्रमुख नेताओं रामविचार नेताम, रेणुका सिंह, मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल व लक्ष्मी राजवाड़े भी झारखंड के अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में डटे हुए थे। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी जमशेदपुर में डेरा डाले रहे।
प्रदेश अध्यक्ष किरण देव की भी झारखंड में ड्यूटी थी। सीएम विष्णुदेव साय झारखंड, और ओडिशा में पार्टी के स्टार प्रचारक रहे हैं। दोनों राज्यों में सीएम ने दर्जनभर से अधिक सभाओं को संबोधित किया है। केन्द्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को सराहा है। यदि चुनाव नतीजे उम्मीद के मुताबिक आते हैं, तो इन सभी का पार्टी के भीतर कद बढ़ेगा।
सप्ली, सप्ली क्या होता है?
दसवीं-12वीं बोर्ड के नतीजों की जिलों में समीक्षा चल रही है। कलेक्टर खुद बैठकें ले रहे हैं। जगदलपुर में ऐसी ही बैठक हुई, जिसमें कलेक्टर ने खराब रिजल्ट लाने वाले शिक्षकों को बारी-बारी खड़ा कराया और खराब रिजल्ट की वजह पूछी। वे एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। जब पूरक परीक्षा का जिक्र आया तो सारे शिक्षक इसे सप्ली, सप्ली बोलते रहे। सप्लीमेंट्री के इस शार्ट फॉर्म का ईजाद किसने किया पता नहीं, पर छत्तीसगढ़ में चलन में है। झल्लाकर कलेक्टर ने पूछ लिया सप्ली क्या होता है? शिक्षकों ने तब बताया सप्लीमेंट्री या पूरक। कलेक्टर ने फिर अंग्रेजी के एक लेक्चरर को खड़ा किया और उनसे सप्लीमेंट्री की स्पैलिंग पूछी। लेक्चरर ने गलत बताया। दूसरे तीसरे से भी यही सवाल किया गया, बाद में एक दूसरे शिक्षक जो अंग्रेजी नहीं पढ़ाते उन्होंने सही स्पैलिंग बताई। इसी तरह से फिजियोलॉजी की स्पैलिंग भी कलेक्टर के पूछने पर शिक्षक नहीं बता पाए। शायद उनके अपने पद लेक्चरर की स्पैलिंग पूछी जाती तब भी ये नहीं बता पाते। तो ऐसे टीचर सर्टिफिकेट, डिग्री लेकर शिक्षक तो बन चुके हैं पर बच्चों का रिजल्ट अच्छा लाने का भारी-भरकम बोझ कैसे वे संभालते होंगे?
साथ साथ बुझाई प्यास
भीषण गर्मी से क्या इंसान और क्या जंगल, क्या शहर और क्या गांव- सब हलकान हैं। यह जिम कार्बेट की तस्वीर है, जहां टाइगर अपने पूरे कुनबे के साथ प्यास बुझाने के लिए टैंक तक पहुंचा है। वन विभाग की ओर से लगाए गए ट्रैप कैमरे में ये वन्यप्राणी कैद हुए हैं। ([email protected])