राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कमरों का टोटा
31-May-2024 2:31 PM
 राजपथ-जनपथ : कमरों का टोटा

कमरों का टोटा

छत्तीसगढ़ गठन के बाद एक और दौर था कि डीकेएस भवन में अफसर कम कमरे अधिक। कमी पूरी करने बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र केरल आदि से अफसर बुलाने पड़े। और अब महानदी भवन में यह स्थिति है कि अफसर अधिक हो गए हैं अब कमरे कम पडऩे लगे हैं। जबकि एक भी बाहर से डेपुटेशन पर बुलाए गए हों। सीजी कैडर के ही अफसर हैं। हमे हर वर्ष चार पांच नए अफसर यूपीएससी से मिल रहे हैं। और जो दिल्ली में थे वे लौट रहे।

महानदी भवन के सेक्रेटरी ब्लाक में साहबों के लिए कमरे कम पड़े तो कुछ को मिनिस्टीरियल ब्लाक में व्यवस्था की। इसमें सीनियर, जूनियर भी देखने का भी अवसर नहीं रहा। मंत्रिस्तरीय बड़े बड़े कमरे साहब लोगों को मिल गए। यहां तक तो ठीक है। असली दिक्कत, संघर्ष शुरू होगा जब संसदीय सचिव नियुक्त होंगे। एक दो हो तो ठीक है, लेकिन नियुक्त होते हैं 10-12। बिना अधिकार वाले संसदीय सचिव कुछ नहीं सही, बैठना तो मिनिस्टीरियल ब्लाक में ही चाहेंगे। ताकि क्षेत्र में जलवा रहे। इनके लिए किस आईएएस से कमरा खाली कराया जाए।

अधीक्षण शाखा साहब लोगों को बोल नहीं पाएगा। और नेता उनपर ही दबाव बनाएगा। ऐसे में बात  किसी न किसी मातहत  के सस्पेंड या तबादले तक जाएगी। लब्बोलुआब यह है कि पांच मंजिला, दर्जनों कमरे वाला महानदी भवन भी छोटा पड़ रहा है।

सामाजिक बहिष्कार पर नक्सल फरमान

बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा तहसील के कस्तूर्पल गांव में नक्सलियों ने एक बैनर लगाकर नया फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को प्रताडि़त ना किया जाए। वहां के सरपंच को खास तौर पर आगाह किया गया है कि वह उन लोगों से माफी मांगे जिनको अपनी ही जमीन पर शव दफनाने से रोका गया। उनकी संपत्ति हड़पी गई, फसलों को जब्त किया गया।

बस्तर में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण या मतांतरण हुए हैं। भाजपा आरोप लगाती है कि यह सब प्रलोभन से हो रहा है जिसे कांग्रेस संरक्षण देती है। कांग्रेस कहती है कि सबसे ज्यादा गिरजाघर पुरानी भाजपा सरकार के कार्यकाल में बने। बीते विधानसभा और उसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बना था। यह कितना गंभीर मसला बन चुका है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में ईसाई धर्म अपना चुके व्यक्ति को अपने पिता का शव दफन करने के लिए हाईकोर्ट से आदेश लाने की जरूरत पड़ी।

नक्सली अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए स्थानीय मुद्दों पर ऐसी चेतावनी जारी करते रहे हैं। कई बार फरमान न मानने वालों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। बस्तर में धर्मांतरण के मुद्दे पर नक्सलियों का रुख पहली बार साफ-साफ सामने आया है। यह दखल बस्तर में शांति लाने की ताजा कोशिशों में मदद करेगी, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। प्रशासन पर प्रलोभन से होने वाले धर्मांतरण को रोकना तो जरूरी है ही, पर यह भी आवश्यक है कि सामाजिक बहिष्कार के विरोध के नाम पर नक्सलियों को नई जगहों पर पैर जमाने का मौका न मिले।

पेड़ों की कीमत पर चौड़ी सडक़

बढ़ते तापमान के चलते हो रही बेचैनी से कुछ राहत पाने की उम्मीद में यदि आप प्रदेश के सबसे ठंडी जगह मे से एक मैनपाट जाना चाहते हों तो पूरे रास्ते आपको यह दृश्य दिखेगा। घुमावदार पहाड़ी सडक़ के साथ-साथ चलने वाली पेड़ों की कतार आगे शायद दिखाई न दे। दरिमा एयरपोर्ट तैयार हो जाने के बाद मैनपाट जाने वाले 22 किलोमीटर इस लंबे मार्ग पर तेजी से काम चल रहा है। रास्ते भर ट्रैक्टर, पोकलैंड, एक्सवेटर, साथ ही काटे गए पेड़ों और चट्टानों के अवशेष दिखाई दे रहे हैं। वैसे यह जगह भी देशभर में चल रही हीट वेव से अछूता नहीं है। यहां का अधिकतम तापमान आज 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। ([email protected])

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