राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कोरबा ने क्लीन स्वीप से बचाया
07-Jun-2024 3:47 PM
राजपथ-जनपथ : कोरबा ने क्लीन स्वीप से बचाया

कोरबा ने क्लीन स्वीप से बचाया

छत्तीसगढ़ के दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से करारी शिकस्त दी थी। उस चुनाव में भूपेश मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य चुनाव हार गए। तब के स्पीकर डॉ. चरण दास महंत ने न केवल अपनी सक्ती की सीट बचाई बल्कि आसपास की सारी सीटें भी कांग्रेस के पास आ गईं। लोकसभा चुनाव 2019 में भी ऐसा ही हुआ था। जब देश में मोदी लहर चरम पर थी, बस्तर के अलावा कोरबा सीट ही ऐसी सीट थी जहां कांग्रेस को जीत मिल पाई। इस बार 2024 में भाजपा ने 400 पार का नारा दिया तो लहर कुछ कम-ज्यादा 2019 की तरह ही उसके पक्ष में, कम से कम छत्तीसगढ़ में दिखाई दे रहा था। यहां भाजपा की कोशिश सभी 11 सीटें जीतने की थी। कोरबा में मतदान तीसरे चरण में हुआ। वोटिंग के कुछ दिन पहले ही महतारी वंदन योजना की दूसरी किश्त महिलाओं के खाते में पहुंच गई थी। 2019 में सांसद महंत पहली बार चुनी गईं, लेकिन इस बार तो मतदाता उनके परफार्मेंस को भी तौलने जा रहे थे। लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक था। कोरबा शहर से ही कद्दावर जयसिंह अग्रवाल की हार हो गई। मरवाही में राज्य बनने के बाद पहली बार भाजपा को जीत मिली। तानाखार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास है। कांग्रेस के कई पुराने कार्यकर्ता भाजपा में चले गए। इस तरह की तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच महंत दंपत्ति मैदान में उतरे। कई लोगों का कहना है कि कुछ लोगों का कांग्रेस छोडक़र जाना ठीक रहा, इसके चलते कई समर्पित कार्यकर्ताओं को आगे आने का मौका मिला। तानाखार और मरवाही के विधानसभा में फिसले वोट दोबारा कांग्रेस के पास आ गए। इधर भाजपा में स्थानीय स्तर टिकट वितरण को लेकर असंतोष था। भाजपा के प्रचार अभियान में यह दिखाई दे रहा था। इन सब ने नतीजा दिया और मध्यप्रदेश जैसी नौबत नहीं आई, जहां कांग्रेस 29 में से एक सीट के लिए तरस गई।

पत्नी की जीत से चरणदास महंत का भी राजनीतिक वजन बढ़ा है, और अब वे छत्तीसगढ़-एमपी में सबसे कामयाब कांग्रेस नेता हो गए हैं। ज्योत्सना महंत अविभाजित एमपी की 40 सीटों पर अकेली कांग्रेस सांसद हैं।

जाने-पहचाने पड़ोसी

पड़ोसी राज्य ओडिशा में कई ऐसे प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है, जिनका छत्तीसगढ़ से नाता रहा है। मसलन, प्रदेश भाजपा के प्रभारी रहे धर्मेन्द्र प्रधान संबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। प्रदेश के कई नेताओं ने प्रधान के प्रचार के लिए संबलपुर में डेरा डाले हुए थे। इसी तरह राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के बेटे भाजपा नेता पृथ्वीराज हरिचंदन ने चिलिका विधानसभा सीट से बड़ी जीत दर्ज की है। पृथ्वीराज के प्रचार के लिए रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा लंबे समय तक चिलिका विधानसभा क्षेत्र में डटे रहे।

यही नहीं, छत्तीसगढ़ सरकार के हेलीकॉप्टर पायलट रहे कैप्टन डीएस मिश्रा ने ओडिशा की जूनागढ़ सीट से बीजू जनता दल की टिकट पर तीसरी बार जीत हासिल की है। मिश्रा नवीन-पटनायक सरकार में गृह और ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं। इससे परे, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव रहे भक्त चरणदास खुद तो विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन उनके बेटे सागर चरणदास भवानी पटना सीट से चुनाव जीत गए। भक्त चरणदास ने अपने कार्यकाल में बस्तर इलाके में कांग्रेस को मजबूत किया था।

यहाँ की एक और प्रभारी

छत्तीसगढ़ भाजपा की प्रभारी डी पुरंदेश्वरी आंध्रप्रदेश की राजमहेन्द्री लोकसभा सीट से चुनाव जीत गई। डी पुरंदेश्वरी की जीत से यहां प्रदेश भाजपा में खुशी का माहौल है, और कई नेताओं ने उन्हें फोन कर जीत की बधाई दी। 

डी पुरंदेश्वरी ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद से प्रदेश भाजपा संगठन को संवारा, और उनकी कार्यशैली की प्रदेश भाजपा के नेता तारीफ करते नहीं थकते हैं। यही नहीं, वो ओडिशा भाजपा की प्रभारी भी थीं। जहां पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रही है। डी पुरंदेश्वरी,  आंध्र प्रदेश के बड़े नेता दिवंगत एनटी रामाराव की पुत्री हैं, और तेलगुदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू उनके जीजा हैं। डी पुरंदेश्वरी का केन्द्र में मंत्री बनना तय माना जा रहा है।

मैं फलाना के साला बोलथ हववं

चुनाव निपट गए, आचार संहिता हट गई। अब सरकारी कामकाज रफ्तार पकड़ेगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है तबादले। पहले आईएएस, आईपीएस, आईएफएस फिर राप्रसे, रापुसे रावसे के अधिकारियों की बारी आएगी। और फिर सरकार निगम चुनाव से पहले अन्य संवर्ग के तबादलों पर लगी रोक भी हटा सकती है। इसे देखते हुए लोग अपने बचाव का जुगाड़ करने लगे हैं। खासकर राजधानी और आसपास पोस्टेड लोग। ऐसे अधिकारी, कर्मचारी, प्रोफेसर अभी से नेताओं की रिश्तेदारी बताने लगे हैं। एक ऐसे ही प्रोफेसर और संचालनालय में पदस्थ को यदि आपने कॉल किया तो वे स्वयं प्रोफेसर कहना पसंद नहीं करते। वे कहते हैं कि हेलो मैं फलाने ... का सग साला बोल रहा हूं। और अपना नाम बाद बताते हैं । यह इसलिए कि विभाग के साहब लोग समझ जाए। सूची बनाते समय उनका नाम याद रखें। यही वजह है कि डेढ़ दशक पहले हुए एक बड़े घोटाले में आरोपित होने के बाद भी वे आज तक राजधानी में ही पदस्थ हैं। इसलिए कहा गया है कि सारी खुदाई......।

छत्तीसगढ़ को मंत्री मिलेंगे?

अगले दो-तीन दिन के भीतर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार केंद्र सरकार बनने जा रही है। सन् 2014 और 2019 में छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। तब उसने कांग्रेस को क्रमश: एक और दो सीट पर सिमटने के लिए मजबूर कर दिया। इस बार फिर 2014 की स्थिति बन गई है और 11 में 10 सीटों पर भाजपा है। दोनों ही बार छत्तीसगढ़ को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिला। सन् 2014 में विष्णुदेव साय को तो सन् 2019 में रेणुका सिंह के जरिये। पर इस बार परिस्थिति अलग है। भाजपा इस बार अकेले पूर्ण बहुमत में नहीं है। एनडीए के सहयोगी दल खासकर नीतिश कुमार और एन. चंद्राबाबू नायडू ज्यादा से ज्यादा मंत्री पद और महत्वपूर्ण विभाग हासिल करने की कोशिश में हैं। फिर एक दो सीट वाले सांसद हैं। जीतनराम मांझी अकेले चुने गए हैं, वे भी मंत्री पद मांग रहे हैं।

दूसरी तरफ भाजपा को आने वाले चुनावों में अपना प्रदर्शन सुधारना है। महाराष्ट्र में तो इसी साल विधानसभा चुनाव है, जहां भाजपा का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। जनवरी 2025 में झारखंड में चुनाव है। यहां उसने लोकसभा 2019 में मिली 11 में से तीन सीट गंवा डाली है। अगले साल फरवरी में दिल्ली में चुनाव होना है, जहां सभी 7 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी का दिल्ली में खराब प्रदर्शन रहा। भाजपा अब दिल्ली विधानसभा में बहुमत तक पहुंचने की कोशिश करेगी। जनवरी 2026 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव है। लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने यहां भाजपा को तगड़ा झटका दिया। वह 18 से 12 पर आ गई। पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए जरूरी होगा कि इन राज्यों से केंद्रीय मंत्रिमंडल में ठीक-ठाक प्रतिनिधित्व मिले। छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश और अब ओडिशा ही ऐसे राज्य हैं, जहां 2027 या उसके बाद विधानसभा चुनाव होंगे। मगर, 21 सीटों वाली ओडिशा में पहली बार भाजपा को 20 सीटें मिली है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान व माधवराव सिंधिया जैसे नेताओं को उपेक्षित नहीं किया जा सकता। वहां छिंदवाड़ा सहित सभी 29 सीटें भाजपा की झोली में आ गई हैं। छत्तीसगढ़ में भी विशाल अंतर से जीतने वाले बृजमोहन अग्रवाल और लगातार दूसरी बार सांसद बने विजय बघेल और संतोष पांडेय दावेदारी रखते हैं। छत्तीसगढ़ को पहले भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में, चाहे व कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, कम ही प्रतिनिधित्व मिला है। मोदी-शाह ने तो फॉर्मूला यह बनाया है कि चार सांसदों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। ऐसे में तो छत्तीसगढ़ से 2 या 3 मंत्री बनने चाहिए। मगर, ऐसा होगा?

यात्रियों पर कोयले की धूल

स्वच्छता पर जोर देने की बात करने वाली रेलवे ने इस ओर से आंखें मूंद रखी है कि प्लेटफॉर्म के नजदीक बनाई गई साइडिंग से कितना प्रदूषण होता है। बिलासपुर-रायपुर मार्ग के दाधापारा रेलवे स्टेशन में जिस पटरी पर लोकल गाडिय़ां रोकी जाती है, साइडिंग वहां से लगी हुई है। प्लेटफॉर्म कोयले से पटा हुआ है। लोकल गाडिय़ां कई बार एक्सप्रेस ट्रेनों और मालगाडिय़ों को रास्ता देने के लिए यहां देर-देर तक रोकी जाती है। साइडिंग की धूल लोडिंग-अनलोडिंग के दौरान यात्रियों तक भी पहुंचता है। एक यात्री ने इस तस्वीर के साथ रायपुर रेल मंडल के डीआरएम और अन्य अधिकारियों से की है। ([email protected])

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