राजपथ - जनपथ

तश्तरी पर पेश जुर्म का सुबूत
ईडी ने अभी छत्तीसगढ़ सरकार के जिन दो खनिज अफसरों को गिरफ्तार किया है, उनकी बददिमागी और बड़बोलेपन से भी उनकी हरकतें उजागर हुईं, और ईडी जैसी जांच एजेंसी इन छोटे अफसरों के बड़े कारनामों तक पहुंचीं। लोगों को याद होगा कि कई हफ्ते पहले इन दोनों पर ईडी के छापे भी पड़े थे। उस वक्त बताया जाता है कि इनमें से कम से कम एक के पास से कई मोबाइल फोन मिले थे, जिनमें कई कॉल रिकॉर्ड थीं। एक वक्त कोरबा में कोयले के कारोबार में हाथ काले किए हुए खनिज अफसर की तैनाती अभी जगदलपुर में है। नाग नाम का यह अफसर बात-बात में लोगों से बातचीत को फोन पर रिकॉर्ड करते रहता था, और लोगों को धमकाता भी रहता था। अब जांच एजेंसी के लिए इससे अधिक सहूलियत की और क्या बात हो सकती है कि एक बड़े जुर्म में शामिल अफसर दूसरे लोगों के साथ अपनी बातचीत रिकॉर्ड भी करता चले, और जुर्म का सुबूत मानो तश्तरी पर मखमल के कपड़े पर रखकर जांच एजेंसी को पेश कर दे! अब ऐसे मोबाइल फोन पर मिली रिकॉर्डिंग के आधार पर दूसरे कई अफसरों की बारी आने जा रही है। दूसरे अफसर अपनी बारी का इंतजार धडक़ते मन के साथ कर सकते हैं।
अडानी पर भरोसा करें...
अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च और एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में बीते बुधवार से शुक्रवार के बीच 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। रिपोर्ट कहती है कि अडानी ग्रुप वर्षों से शेयरों की हेराफेरी और अकाउंट्स में फ्रॉड कर रहा है। जवाब में अडानी की लीगल टीम ने कहा है कि रिपोर्ट शरारत और दुर्भावनापूर्ण है। इसे ग्रुप की कंपनियों के शेयर प्राइस पर निगेटिव असर डालने के लिए उजागर किया गया है। हिंडनबर्ग जो खुद अडानी के शेयरों का शॉर्ट सेलर है, इस मौके का फायदा उठाना चाहता है।
छत्तीसगढ़ में इस रिपोर्ट की चर्चा अडानी के यहां फैले कोयला, सीमेंट और सडक़ के कारोबार के कारण हो रही है। इस चर्चा में देश के दूसरे हिस्से के मीडियाकर्मी और एक्टिविस्ट भी शामिल हैं। दर्जनों ट्विटर हैंडल्स पर कहा जा रहा है कि अभी तो अकाउंट्स में गड़बड़ी की बात सामने आई है। सरकारी दफ्तरों में जमा दस्तावेजों की जांच भी होनी चाहिए। हिंडनबर्ग से पहले ही अडानी ग्रुप का फर्जीवाड़ा हसदेव के आदिवासी सामने ला चुके हैं। जो खदानें एमडीओ के तहत अडानी को दी गई उसे ग्रामसभा ने स्वीकृति दी ही नहीं थीं। कंपनी ने स्वीकृति के फर्जी कागज बनाए। कई मृत लोगों के इनमें हस्ताक्षर हैं। कहीं कोई जांच नहीं हुई। दूसरी ओर अडानी ग्रुप के व्यापारिक व्यवहार को साफ-सुथरा बताने के लिए सोशल मीडिया पर उसी तरह से उनके समर्थन में अभियान चल निकला है, जैसा हसदेव अरण्य के खदानों के पक्ष में चलाया गया था। आल्ट न्यूज के पत्रकार मो. जुबैर ने ट्विटर पर दावा किया है कि अनेक फेक अकाउंट हैं जिनमें अडानी के समर्थन में पोस्ट किए जा रहे हैं। सब में सामग्री एक जैसी है, जिनमें लिखा है- अडानी पर भरोसा करें।
ठगों से सरकार की कमाई!
क्या लोगों के साथ की जा रही किसी जालसाजी से सरकार का कोई फायदा हो सकता है? इन दिनों लोगों के पास बिजली बिल पटाने या रात साढ़े नौ बजे कनेक्शन कट जाने की चेतावनी वाले संदेश पहुंच रहे हैं। ऐसे संदेशों में एक फोन नंबर भी दिया रहता है, जिस पर फोन करने से कहा जाता है कि मोबाइल फोन पर एनीडेस्क जैसा स्क्रीन-शेयरिंग एप्लीकेशन डाउनलोड करें, और उसके बाद उसमें जानकारियां भरें। ऐसा करने पर संदेश भेजने वाले ठग और जालसाज लोगों के फोन पर काबिज हो जाते हैं, और उससे अगर बैंक खाते जुड़े हैं, तो उसे खाली भी कर सकते हैं। लोगों के पास लगातार ऐसे संदेश बढ़ते जा रहे हैं, और लोग रात में बिजली कट जाने की आशंका से एक ऐसी दहशत में आ जाते हैं कि वे यह भी नहीं सोचते कि बिजली वाले रात में बिजली काटने नहीं आते।
लेकिन इस चक्कर में कई लोग जिनके बिजली बिल बकाया है, वे हड़बड़ी में तुरंत ऑनलाईन पूरा भुगतान कर देते हैं, और बिजली विभाग की वसूली हो जाती है।
सरकार को लोगों को ऐसी जालसाजी-धोखाधड़ी के खिलाफ अधिक सावधान भी करना चाहिए, और जब ऐसे नंबरों से रात-दिन धोखाधड़ी हो रही है, तो इसके पीछे के लोगों को तेजी से पकडऩा भी चाहिए। छत्तीसगढ़ में भी लोगों के पास ऐसे अनगिनत संदेश आ रहे हैं।
यह मिसाल दूसरी जगह भारी पड़ेगी
राष्ट्रपति भवन में मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान रखने की सोच को वे जानकार लोग धिक्कार रहे हैं जो जानते हैं कि यह गार्डन मुगलों ने नहीं बनाया था, अंग्रेजों ने बनाया था। और राष्ट्रपति भवन डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट ने इस गार्डन को मुगल गार्डनशैली में बनाया था। अब किसी शैली से भी इतनी नफरत करना कि उसे उखाडक़र फेंक देना, और एक हिन्दू नाम वहां जड़ देना लोगों को हैरान कर रहा है। नाम की तख्ती बदल दिए जाने के बाद भी उस उद्यान की शैली तो मुगल ही है, अब पूरे उद्यान को ही उखाडक़र फेंका जाए, तभी उसकी मुगल शैली हटाई जा सकेगी।
अब मानो इसी तंग सोच के जवाब में पाकिस्तान से कुछ गुजराती लोगों ने लाहौर का एक वीडियो पोस्ट किया है जो कि उस शहर के मशहूर लक्ष्मी चौक का है। इस चौक के मेट्रो स्टेशन का नाम भी लक्ष्मी मेट्रो स्टेशन है। अब इस्लामी आतंकियों से लहूलुहान पाकिस्तान में भी हिन्दू देवी के नाम पर चौराहा भी है, और मेट्रो भी है। लेकिन इस देश में किसी दूसरे धर्म को नीचा दिखाने के लिए जो-जो किया जाता है, उसके दाम दूसरे देशों में बसे हुए हिन्दुस्तानियों को चुकाने होते हैं।
बेरोजगारों को राहत मिलेगी?
सन् 2018 के संकल्प पत्र में की गई घोषणा पर अमल करते हुए अब चुनावी वर्ष में छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया है। पहले की सरकारों ने बेरोजगारी भत्ता का वायदा निभाने के लिए इतनी जटिल प्रक्रिया अपनाई थी कि युवाओं की संख्या तो लाखों में थी, पर फायदा कुछ को ही मिल पाया। बाद में इसे बंद भी कर दिया गया। इस बार एक सहूलियत यह है कि आवेदन ऑनलाइन किया जाना है, पर इसका मतलब यह नहीं कि भत्ता इसी आवेदन के जरिये मिलना शुरू हो जाएगा। प्रक्रिया का सबसे अहम् हिस्सा है, बेरोजगारों से साक्षात्कार लेने का नियम। पिछली सरकारों ने जब आवेदन मंगाए थे तो इसी चरण में बेरोजगार भत्ते से वंचित हो गए थे। इसे नए वित्तीय वर्ष से शुरू करने की घोषणा की गई है। इसका स्वरूप कैसा होगा, इसे समझने के लिए कांग्रेस शासित राजस्थान का उदाहरण सामने है। वहां इस समय 1.6 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। एक लाभार्थी को दो साल के लिए भत्ता देने का प्रावधान है। यदि किसी के पास कोई पेशेवर डिग्री या डिप्लोमा नहीं है तो उसे कौशल प्रशिक्षण का इंटर्नशिप करना अनिवार्य होगा। इंटर्नशिप बीच में छोड़ देने पर भत्ता मिलना बंद हो जाएगा। छत्तीसगढ़ में विभिन्न सर्वेक्षणों में बेरोजगारी की दर 0.1 है। इस बीच कुछ सरकारी भर्तियों में आवेदनों की बाढ़ भी देखने को मिली। मिलने वाले आवेदनों से अंदाजा लग पाएगा कि बेरोजगारी की सही तस्वीर क्या है।