राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : मोदी​ आए भी, और गए भी
05-Nov-2023 4:29 PM
राजपथ-जनपथ : मोदी​ आए भी, और गए भी

मोदी​ आए भी, और गए भी 

पीएम नरेन्द्र मोदी का अचानक शनिवार को डोंगरगढ़ का प्रोग्राम बना, और वो पहले चरण की विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार खत्म होने के कुछ घंटे पहले वहां पहुंचे। उनकी जैन मुनि आचार्य विद्यासागर से मुलाकात हुई, और उनसे आशीर्वाद लिया। डोंगरगढ़ में जैन समाज का तीर्थ स्थल चंद्रगिरी सज संवर रहा है। पीएम का कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था। वो गोंदिया में कार्यक्रम निपटाने के बाद डोंगरगढ़ आए, और फिर कुछ देर यहां रुकने के बाद मध्यप्रदेश के सिवनी के लिए रवाना हो गए। 

पीएम, आचार्य से मुलाकात से पहले डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी मंदिर के दर्शन किए। दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिन पहले डोंगरगढ़ के पास भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सभा थी, लेकिन वो मंदिर नहीं जा पाए। इस पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कटाक्ष किया कि कहीं अपशकुन न हो जाए। अब जब पीएम मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे हैं, तो अपशकुन पर चर्चा खत्म हो गई। 

पुत्र गया, पिता बाकी 

रायपुर उत्तर से कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याशी अजीत कुकरेजा को पार्टी से निकाल दिया गया है। कुकरेजा एमआईसी सदस्य भी हैं। मगर उनके पिता आनंद कुकरेजा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, आनंद प्रदेश कांग्रेस के संयुक्त महासचिव हैं। पिछले दिनों अजीत ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया था, तब आनंद भी साथ थे। 

बताते हैं कि शहर जिला कांग्रेस ने आनंद कुकरेजा के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन उन पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई। चर्चा है कि आनंद की तरफ से कुछ आश्वासन दिया गया है, इस वजह से कार्रवाई रोकी गई है। अजीत के बैनर-पोस्टर से पिता आनंद कुकरेजा की तस्वीर गायब है। अलबत्ता, शहर के एक बड़े नेता ने चुनाव प्रचार की रणनीति पर चर्चा के लिए आनंद कुकरेजा ने बैठक रखी थी। जिसमें समाज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे। अब इसकी जानकारी कुछ लोगों ने पीसीसी को दे दी है। देखना है आगे क्या कुछ होता है। 

लाश पर सिरपुर दर्शन 

प्रशासनिक हलकों में आईएएस अफसर कहते हैं कि चुनाव ड्यूटी लगे तो मौज मस्ती । क्योंकि जिस राज्य जाते हैं वहां की जमीनी राजनीति की कोई जानकारी होती नहीं। फिर पचड़े में क्यों पड़े। आयोग ने कहा है कि शिकायतें सुनो,फारवर्ड करो, बूथ का निरीक्षण करों कुछ निर्देश दो और सरकारी ऐशो आराम को भोगो। छत्तीसगढ़ में भी यही हो रहा है। हर विधानसभा के लिए तीन तीन पर्यवेक्षक आए हैं। जब ये कम पड़े तो आयोग ने तीन और विशेष भेज दिए। तीनो रिटायर्ड । जब सेवा में ही नहीं तो क्या करना। बस घूमो फिरो। हत्या भी हो जाए तो हम तो पॉलिटिकल पर्यटन पर आए हैं। कल नारायणपुर में हत्या हो गई। भाजपा के दो, दो सांसद इन विशेष पर्यवेक्षक महोदय से  मिलना चाहते थे, यह मानकर कि शेषन जैसा करेंगे।  लेकिन साहब के लाइजन अफसर ने कह दिया साहब आज पुरातात्विक नगर सिरपुर जा रहे हैं। कल आइए। अब सांसद महोदय खुड़बुड़ा रहे हैं।

 दामाद दोहरी भूमिका में 

छत्तीसगढ़ की राजनीतिक, प्रशासनिक  हलकों में दामादों की बड़ी धमक और पूछपरख रही है।  एक की वजह से तो सरकार भी गवानी पड़ी है । इन दिनों भी एक दामाद बाबू दुलरू कि चर्चा हो रही है। ससुर जी देश के सबसे बड़ी संस्था के मुखिया हैं। जो मोटा भाइयों की पसंद बताए जाते हैं। उनके दामाद भी एक मोटा भाई के पास विशेष अफसर हैं। सो उम्मीद थी कि  छत्तीसगढ़ को लेकर ससुर दामाद  कुछ करेंगे। लेकिन दामाद बाबू से डॉ.साहब की पूरी टोली नाराज है। कहने लगे हैं ये तो पंजा छाप अफसर हैं। यानी दाऊजी की पूरी चल रही है। डॉ.साहब ने तीसरे मोटा भाई को पूरा हिसाब किताब बता दिया है इन दामाद बाबू का।

मतदान दल मां की शरण में

पहले चरण में 7 नवंबर को बस्तर संभाग के 2900 मतदान केंद्रों में वोट डाले जाएंगे, जिनमें से 600 बेहद संवेदनशील केंद्र हैं। यहां हमेशा खतरा बना रहता है। कर्मचारियों के पास विकल्प नहीं होता कि वे अपनी पसंद का मतदान केंद्र चुन सकें। यह दल की रवानगी के कुछ पहले रेंडम तरीके से निर्धारित होता है। कर्मचारियों के परिजन मनाते रहते हैं कि उन्हें अति संवेदनशील स्थानों पर जाने की नौबत नहीं आए। सुरक्षा बल जगह-जगह तैनात हैं फिर भी उन्हें अनहोनी का डर सताता तो रहता है। अभी हो रहा है कि चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के साथ-साथ दंतेश्वरी मां की चौखट पर माथा टेकने के लिए मतदान कर्मी और उनके परिजन भी पहुंच रहे हैं। माई से वे प्रार्थना कर रहे हैं कि ड्यूटी सुरक्षित जगह पर लगे। जिनकी ड्यूटी संवेदनशील जगहों में तय हो गई है, वे भी पहुंच रहे हैं, सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं।

चुनावी सभा में स्कूली बच्चे...

चुनावी मौसम में रोज बड़े-बड़े नेताओं का दौरा हो रहा है। हर नेता के लिए भीड़ जुटाना आसान नहीं होता। कई बार राष्ट्रीय स्तर के नेता भी दो चार सौ लोगों की सभा में ही भाषण देकर लौट रहे हैं। निर्वाचन आयोग के अलावा विरोधी दल की भी निगाह होती है कि कहीं आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं हो रहा। ऐसा होने पर तुरंत शिकायत कर दी जाती है। मोबाइल ने शिकायत पोस्ट करना आसान भी कर दिया है। बैंकुठपुर की कांग्रेस पत्याशी की एक आमसभा यहां के हाईस्कूल मैदान में हुई। कार्यकर्ताओं में जोश था या दबाव, उन्होंने स्कूली बच्चों को बुलाकर सभा में बिठा दिया। चूंकि सब बच्चे यूनिफॉर्म में थे, इसलिए पहचान में आ गए। शिकायत मिलने पर कोरिया जिले के रिटर्निंग ऑफिसर ने न केवल प्रत्याशी सिंहदेव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, बल्कि उस स्कूल के प्राचार्य को निलंबित भी कर दिया है।

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