राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : शाह की बैठक में क्या हुआ?
09-Nov-2023 4:14 PM
राजपथ-जनपथ : शाह की बैठक में क्या हुआ?

शाह की बैठक में क्या हुआ?

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार की रात कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में पहले चरण की सीटों की वोटिंग पर प्रदेश के चुनिंदा नेताओं के साथ चर्चा की, और फिर दूसरे चरण की सीटों में प्रचार की रणनीति को लेकर मार्गदर्शन दिया। 

शाह के साथ बैठक में प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, नितिन नबीन, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, और महामंत्री (संगठन) पवन साय व विजय शर्मा भी थे। बैठक देर रात तक चली। माथुर ने उन्हें ग्राऊंड रिपोर्ट से अवगत कराया। दावा किया गया कि पहले चरण की सीटों पर पार्टी का बहुत अच्छा रहेगा। 

शाह ने दूसरे चरण की सीटों का आकलन किया, और कमजोर क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए कहा है। मैदानी इलाकों में पीएम की सभाएं होंगी। महासमुंद, दुर्ग, और रायपुर में 13 तारीख को पीएम नरेंद्र मोदी की सभाएं होंगी। शाह ने त्यौहार के बीच ज्यादा से ज्यादा जनसंपर्क पर जोर दिया है। कुल मिलाकर दूसरे चरण में आक्रामक प्रचार की रणनीति बनाई गई है। यानी दूसरे चरण में महादेव ऑनलाइन सट्टा छाया रहेगा।  

एक बाबा के सामने दूसरे बाबा का खतरा 

अंबिकापुर में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। सिंहदेव को मुस्लिम नेता अब्दुल मजीद खान ने काफी परेशान कर रखा है। अब्दुल मजीद को जोगी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। 

बताते हैं कि मजीद, झाड़-फूंक का काम करते हैं। उनकी मुस्लिम समाज के गरीब लोगों में अच्छी पकड़ है। वो नामांकन भरने के बाद गायब हो गए थे। दो दिन तक सिंहदेव समर्थक उनकी नाम वापसी के लिए ढूंढते रहे, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। नाम वापसी की तिथि खत्म होने के बाद ही सामने आए। 

अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र में करीब 20 हजार के आसपास मुस्लिम मतदाता हैं। इससे पहले तक मुस्लिम समाज के वोट एकतरफा कांग्रेस के पक्ष में गिरते रहे हैं, लेकिन इस बार समाज के लोगों में नाराजगी है।  नाराजगी की एक वजह यह भी है कि सिंहदेव के करीबी श्रम कल्याण बोर्ड के चेयरमैन शफी अहमद भटगांव से टिकट चाह रहे थे, लेकिन सिंहदेव की पसंद पर मौजूदा विधायक पारस राजवाड़े को रिपीट किया गया। इससे शफी अहमद नाराज चल रहे हैं। 

भाजपा ने पहले ही पूर्व कांग्रेसी राजेश अग्रवाल को सिंहदेव के खिलाफ उतारकर मुकाबले को कड़ा बना दिया है, और अब मुस्लिम वोटों के छिटकने का खतरा पैदा हो गया है। देखना है कि सिंहदेव अपने परंपरागत वोटरों को कैसे संतुष्ट करते हैं। 

चुनाव प्रचार के बीच त्यौहार

दूसरे चरण की शेष 70 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस, भाजपा के स्टार प्रचारक इस समय ताबड़तोड़ सभाएं ले रहे हैं। पार्टी प्रत्याशी और कार्यकर्ता भी हाट-बाजारों में जा रहे हैं। पर लोगों की भीड़ इनमें घटने लगी है। लोग त्यौहार की तैयारी में हैं। 10 को धनतेरस, 11 को नरक चतुर्दशी और 12 को दीपावली, पूरे तीन दिन। पार्टी कार्यकर्ता भी अपने संगठन और प्रत्याशी से छुट्टी मांग रहे हैं। प्रत्याशी भी समझ रहे हैं कि इस बीच सभाएं लेना ही नहीं, घरों में दस्तक देना भी अटपटा लगेगा, मतदाता नाराज हो जाएगा। कई राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भी इन तीन दिनों में आने से मना कर दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है लोग सुनने के लिए आएंगे नहीं, उनको भी त्यौहार मनाना है। मुख्य मुकाबले वाली कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही कई प्रत्याशियों की टिकट देर से घोषित की गई है। इसके चलते पहले ही उन्हें कम समय मिला। अब इन तीन दिनों का अवकाश उन पर भारी पड़ रहा है। 15 की शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा। दीपावली के बाद उनके पास जनसंपर्क के लिए केवल 3 दिन रह जाएंगे। प्रत्याशी और कार्यकर्ता इसके चलते बचे हुए दिनों में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक, खासकर दूरदराज के गांवों में पहुंचने की कोशिश हो रही है।

छठ पर्व पर ही मतदान

किसी एक बात पर छत्तीसगढ़ के सभी दल सहमत थे तो वह दूसरे चरण के मतदान की तारीख बदलने की मांग थी। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से अलग-अलग मांग की थी कि 17 नवंबर की जगह आगे किसी तारीख में मतदान कराया जाए। छठ पर्व इसी दिन से शुरू हो रहा है जो 20 नवंबर तक चलेगा। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, भिलाई, कोरबा और कालरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश के मतदाता हैं। छठ उनका साल का सबसे बड़ा त्यौहार है। वे लंबा उपवास भी रखते हैं। इसलिये राजनीतिक दलों को लग रहा है कि वे इस दौरान मतदान के लिए नहीं निकलेंगे। दूसरी तरफ हजारों लोग तो अपने गृहग्राम के लिए निकल जाते हैं। राजस्थान में चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख 23 नवंबर से बदलकर 25 नवंबर कर दी। 23 को देवउठनी एकादशी पर्व वहां धूमधाम से मनाया जाता है। पर, छत्तीसगढ़ से उठी मांग के बावजूद आयोग ने तारीख में कोई बदलाव नहीं किया। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि छठ पूजा एक दिन बल्कि चार दिन तक चलने वाला पर्व है। मतदान की तारीख को काफी आगे ले जाना पड़ता। दूसरा राजस्थान में तारीख बदलना आयोग के लिए भी जरूरी हो गया था। जानकारी के मुताबिक राज्य के निर्वाचन पदाधिकारी ने रिपोर्ट दी थी कि 23 नवंबर को निर्वाचन कार्य के लिए प्राइवेट गाडिय़ां भी नहीं मिल पाएंगी, सब त्यौहार में बुक रहेंगीं। राजस्थान पर निर्णय लेते समय निर्वाचन प्रक्रिया में आ रहे व्यवधान को भी देखा गया, जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसी समस्या नहीं है।

भेज रहे हैं स्नेह निमंत्रण

  

ज्यादा से ज्यादा वोट डाले जाएं, इसके लिए निर्वाचन आयोग स्वीप कार्यक्रम चलाता है। मतदाताओं का ध्यान खींचने के लिए तरह-तरह के प्रयोग इस अभियान में किए जा रहे हैं। बिलासपुर में विवाह के मौके पर दिया जाने वाला निमंत्रण पत्र की तरह मनुहार शीर्षक से कार्ड छपवाकर मतदाताओं में बांटा जा रहा है। कुछ कार्ड कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी अवनीश शरण ने खुद अपने हाथों से मतदाताओं के पास जाकर दिए। बाकी कार्ड स्वयंसेवी बाटेंगे। वाट्सएप पर भी ये निमंत्रण भेजे जा रहे हैं।

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