राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : घूस लाओ, या फिर अपनी जान दे दो...
30-Nov-2023 4:09 PM
	 राजपथ-जनपथ : घूस लाओ, या फिर अपनी जान दे दो...

घूस लाओ, या फिर अपनी जान दे दो...

आबकारी, वन, खाद्य, खनिज, शिक्षा, परिवहन, महिला बाल विकास आदि अनेक ऐसे विभाग हैं जिनमें करोड़ों की अफरा-तफरी होती है, मगर आम लोगों का राजस्व, गृह यानी पुलिस, और रजिस्ट्री जैसे विभागों से सीधे पाला पड़ता है। इन विभागों में होने वाली घूसखोरी से आम आदमी त्रस्त है लेकिन कभी यह चुनावी मुद्दा नहीं बना। छत्तीसगढ़ में दो ही दलों की बीते 23 सालों से सरकार है। दोनों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कभी यह वायदा नहीं किया कि आम आदमी को रोजाना वास्ता पडऩे वाले विभागों में व्याप्त घूसखोरी से छुटकारा दिलाएंगे।
महासमुंद जिले के फिंगेश्वर के लाफिन कला में एक किसान राजाराम निषाद ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अब तक जो खबर है, उसके मुताबिक चोरी के एक मामले में उसे थाने में बुलाकर पहले मारपीट की गई, फिर 20 हजार रुपए में समझौता कराने की बात तय हुई। जब-तब पुलिस उसे उठाकर थाने ला रही थी। डिमांड बढक़र एक लाख तक पहुंच गई। राजाराम टूट गया, घबरा गया और उसने अपनी मौत का रास्ता चुन लिया।

यह अकेला मामला नहीं है। बीते 5 सालों में ऐसे कई ऑडियो वीडियो वायरल हो चुके हैं जिनमें डिप्टी कलेक्टर से लेकर पटवारी तक और थानेदार से लेकर सिपाही तक रिश्वत मांगते या लेते दिखे हैं। जांजगीर जिले में 3 साल पहले करीब 8 मिनट का एक वीडियो देखा गया। एक्सीडेंट में जब्त ट्रक को छोडऩे के लिए रिश्वत मांगने वाला एएसआई कह रहा था कि 60 तो एसपी, एएसपी को चला जाता है, बाकी 40 परसेंट में ही हम लोग हैं। एएसआई को सस्पेंड कर दिया गया। ऊपर रकम पहुंचाने के उसके दावे की कोई पड़ताल नहीं हुई। फिगेश्वर मामले में भी केवल एक प्रधान आरक्षक सस्पेंड हुआ है। पर क्या वह एक लाख की मांग ऊपर से मिली शह के बगैर कर रहा था? थाने में बुलाकर पीटा जाता था और थानेदार को पता नहीं था?

पिछले साल जुलाई महीने में कुम्हारी की एक फैक्ट्री में पंजाब के एक कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली थी। एएसआई प्रकाश शुक्ला ने शव को सुपुर्दनामे में देने के लिए 45 हजार रुपए मांगे। उसका वीडियो वायरल हुआ तो एएसआई शिकायतकर्ता के पैरों में गिर पड़ा। दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव ने उसे सस्पेंड कर दिया। बिलासपुर के बिल्हा थाने का एक आरक्षक नरेश बिरतिया पिछले साल अप्रैल महीने में 15000 रुपए लेते हुए मोबाइल कैमरे में कैद हुआ था। इसके बाद उसे लाइन अटैच कर दिया गया था। ऐसी घटनाएं गिनने लगें तो सूची बहुत लंबी हो जाएगी।

बिलासपुर में कोरोना काल के बाद स्थानीय विधायक शैलेश पांडेय ने एक थाने के उद्घाटन के दौरान मंच से कहा था कि किस काम का कितना रेट है, पुलिस उसकी लिस्ट थाने में टांग दे। इस कार्यक्रम में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू वर्चुअल मोड में मौजूद थे। रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह एक वीडियो में कहते हुए पाए गए कि थानेदार दो चार हजार मांगे तो समझ में आता है, पर एक आदिवासी महिला से 50 हजार रुपए झटक लेना तो अन्याय है।

यही हाल राजस्व विभाग का भी है। बीते साल केबीसी में 12 लाख रुपए जीतने वाली डिप्टी कलेक्टर अनुराधा अग्रवाल मुंगेली जिले में पदस्थ रहने के दौरान कांग्रेस नेत्री खुशबू वैष्णव से राशन कार्ड के लिए रिश्वत की मांग करते हुए वीडियो कैमरे में कैद हो गई थी। अग्रवाल कह रही थी कि बहुत खर्च होते हैं, ऊपर भी देना पड़ता है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि लेन-देन हुआ नहीं, सिर्फ बात हुई थी। इसी साल मुंगेली जिले के पटवारी नागेंद्र मरावी का रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हुआ था। इसके कुछ दिन पहले रिटायर्ड आर्मी जवान से घूस मांगते हुए कांकेर जिले की एक महिला पटवारी का वीडियो सामने आया था। मुंगेली में पटवारी सस्पेंड हो गया और कांकेर की महिला पटवारी को लाइन अटैच किया गया। जांजगीर-चांपा के डभरा में एक पटवारी ने अपने ही विभाग में काम करने वाले कोटवार से रिश्वत ली, जिसका वीडियो वायरल हुआ था। इस साल,  2023 में कोरिया कलेक्टर ने पटवारी को, तो सरगुजा कमिश्नर ने तहसीलदार को बैकुंठपुर की एक जमीन की रिश्वत लेकर नाप-जोख करने के लिए निलंबित किया था। मगर बीते 5 सालों में सबसे बड़ा हंगामा रायगढ़ में हुआ है। तहसील ऑफिस में भ्रष्टाचार के खिलाफ रायगढ़ के वकीलों ने आंदोलन किया। पहले सरगुजा जिले के वकील भी इसमें शामिल हुए फिर बाद में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी बिलासपुर में प्रदर्शन कर उनका साथ दिया था। एक वकील को तहसीलदार ने जेल में भिजवा दिया था जिसके चलते कई राजस्व न्यायालय करीब दो महीने तक ठप रहे।

अधिकांश मामलों में बहुत हुआ तो तहसीलदार स्तर के अधिकारी सस्पेंड या लाइन अटैच किए गए। पुलिस विभाग में भी थानेदार से ऊपर किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। यह मंजूर करना मुश्किल है कि वे अपने अफसरों की जानकारी के बगैर घूस लेते होंगे। फिंगेश्वर के ताजा मामले में भी यह बात उठ रही है कि जिस हवलदार को सस्पेंड किया गया है वह अकेले किसान की खुदकुशी के लिए जिम्मेदार नहीं है बल्कि इसमें थानेदार की शह थी।

घूस के ज्यादातर मामलों में तब अनिच्छा के साथ कार्रवाई की गई जब वीडियो, ऑडियो सोशल मीडिया या न्यूज पोर्टल पर वायरल हो गए। कार्रवाई भी क्या, केवल निलंबन या फिर अटैचमेंट। यह सीमित समय की सजा है। कर्मचारियों को वक्त गुजरने के बाद प्राय: दूसरी जगह भेजकर बहाल कर दिया जाता है। अधिकतर मामले एसीबी को सौंपे ही नहीं जाते, विभागीय जांच कर निपटाए जाते हैं। एसीबी में भी बरसों जांच नही होती, कोर्ट में चालान पेश नहीं होते। तब आरोपी कर्मचारी बहाल हो जाता है और मजे से नौकरी करता है। सन् 2012 में भाजपा सरकार ने एसीबी को आरटीआई से बाहर कर दिया गया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कांग्रेस की सरकार ने हाल ही में चुनावी माहौल के बीच उस आदेश में संशोधन किया। पर इसे आरटीआई के दायरे में नहीं लाया गया। इतना ही किया कि सन् 2012 के आदेश में पेंच था, उसे दूर कर पुराने आदेश को विधि-सम्मत बना दिया गया ताकि 2012 का आदेश और मजबूत हो जाए। अब यह जानकारी बाहर आना और मुश्किल है कि एसीबी किनको बचा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रदेशभर में भेंट-मुलाकात के दौरान राजस्व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की दर्जनों शिकायतें मिली। कुछ को उन्होंने तत्काल निलंबित भी कर दिया। गृह मंत्री ने भी देखा होगा कि पुलिस में भ्रष्टाचार को खुद उनकी पार्टी के विधायक कैसे उजागर कर रहे हैं। पर शिकायत जहां से आई, सिर्फ वहीं कार्रवाई की गई। लक्षण काफी थे, यह बताने के लिए कि पूरे महकमे में रोग फैला है, पर असरदार इलाज करने की मंशा दिखी क्या?

भाजपा की गिनती की रिपोर्ट 

प्रदेश भाजपा के नेताओं ने सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट हाईकमान को दी है। इसमें उन्होंने भाजपा को स्पष्ट बहुमत की बात कही है। उनका आकलन है कि केवल कर्जमाफी का मुद्दा भाजपा की कमजोर कड़ी रही लेकिन दो वर्ष के बोनस ने फौरी फायदा पहुंचाया  है।

पवन साय ने यह दौरा 18 नवंबर से शुरू किया था। वो सरगुजा, बिलासपुर संभाग के दौरे पर गए। जबकि संतोष पाण्डेय को बस्तर संभाग की सीटों, और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को दुर्ग संभाग की सीटों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की थी। इस दौरान उन्होंने, प्रत्याशी, चुनाव संचालक, विस प्रभारी, प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ मतदान कर्मियों किसानों, महिलाओं से मुलाकात की । 

कुछ जगह तो कांग्रेस के प्रत्याशियों से भी मिले। अपनी रिपोर्ट में पवन साय का कहना है कि 20-25  सीटों पर हेयर लाइन क्रेक की तरह हार-जीत का मामूली अंतर रहेगा। इसे ध्यान में रखकर पवन साय ने 42 प्रत्याशियों की जीत का दावा किया है। कांग्रेस के दो प्रत्याशियों ने उनसे कहा कि 3100 रूपए में खरीदी और दो वर्ष के बोनस का मुद्दा भारी पड़ता नजर आ रहा है। साय कल ही राजधानी लौटे हैं।

जन्मदिन की ऐसी बधाई पहले नहीं

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का जन्मदिन इस बार कई मामलों में खास रहा। साव को जन्मदिन की बधाई देने के लिए न सिर्फ बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे, बल्कि अफसर भी जुटे, वह भी रायपुर के. कई आईएएस आईपीएस चोरी छिपे बिलासपुर पहुंचे थे। प्राइवेट गाडिय़ों को किनारे रखकर साव के सरकारी बंगले पहुंच रहे थे। एलआईबी वाले भी सक्रिय थे। अब वे आंकलन लगा रहे हैं कि मौसम विज्ञानी अफसरों का पूर्वानुमान सही है या ये दोनों तरफ बधाई देने वाले हैं. वैसे बीजेपी के एक नेता 100 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि सरकार बन रही है और आईएएस-आईपीएस उन्हें लगातार बधाइयां देने के लिए कॉल कर रहे हैं।

लूपलाइन की तमन्ना है कि 

चुनाव परिणाम क्या होगा यह तो 3 दिसंबर को ही साफ होगा पर अफसरों के खेमों में अजीब सी उलझन तैर रही है। बीजेपी सरकार में लम्बे समय तक लूप लाइन में रहे अफसरों को कांग्रेस ने मौका दिया तो वे किसी हाल में बीजेपी की सरकार बनने नहीं देना चाह रहे, भले बहस में ही क्यों न हो, ढेरों तर्क हैं। पटवारी, आरआई तक बात कर डिटेल ले रहे। इस सरकार में लूप लाइन में रहे अफसर बेचारे चाह रहे कि बीजेपी आ जाए लेकिन कांग्रेस समर्थित अफसरों की हां में हां मिलाने के अलावा उनके पास अभी कोई चारा नहीं है।

उम्मीद और धान

धान खरीदी के लिये राज्य सरकार ने 125 लाख टन का लक्ष्य रखा है। खरीदी 1 नवंबर से 31 जनवरी तक होनी है। एक महीना बीतने के बाद 12 लाख टन धान ही खरीदी हो सकी है। यह कुल खरीदी का मात्र 10 प्रतिशत है। अब बचे दो महीने में 90 प्रतिशत किसान धान बेचेंगे। 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना कि किसान चुनाव नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। 2018 के चुनाव में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी। कांग्रेस ने कर्जमाफी और 2500 रुपए क्विंटल की दर से धान खरीदने की घोषणा की थी, इसलिए किसानों ने नई सरकार बनने का इंतजार किया, ताकि उन्हें कर्जमाफी और अधिक कीमत का लाभ मिल सके। 

किसानों ने कर्जमाफी होने की उम्मीद में धान नहीं बेचा है। बीजेपी की उम्मीद भी बढ़ गई है, उन्हें लग रहा है कि किसान 3100 रुपए क्विंटल की दर से धान बेचने के लिये इंतजार कर रहे हैं। बीजेपी सरकार बनी तो उन्हें एकमुश्त राशि मिलेगी, जबकि कांग्रेस चार किस्तों में बोनस राशि देती है। खैर चुनाव नतीजे जो भी हो किसान को इंतजार का फल मिलने ही वाला है।

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