राजपथ - जनपथ
रोम रोम में राम...
पूरे देश में इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की खबरें छाई हुई हैं। भगवान राम के प्रति आस्था रखने वाला हर व्यक्ति इस मौके पर भागीदार बनना चाहता है। इधर अपने छत्तीसगढ़ में एक ऐसा संप्रदाय भी है जिसने राम को अपने तन पर ही बसा लिया है। जांजगीर चांपा जिले में रामनामी संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर में राम नाम का टैटू लिखवाते हैं। राम के प्रति ऐसी भक्ति किसी और समूह में दिखाई नहीं देती। अयोध्या के समारोह में देश-विदेश से तमाम हजारों हस्तियां आमंत्रित की गई हैं। पता नहीं ज्यादातर गरीब और दलित इन रामनमियों को याद किया गया है या नहीं।
हार की वजहें, और लडऩे का इरादा
भाजपा संगठन ने रविवार को विधानसभा चुनाव में पराजित प्रत्याशियों की बैठक बुलाई थी। सभी 36 प्रत्याशी पहुंचे थे। बैठक को महामंत्री अरुण जामवाल, पवन साय, अध्यक्ष किरण देव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने संबोधित किया। सभी तीन दर्जन नेताओं से एक एक कर हार के कारण पूछे और सुने गए। बिलासपुर से लगे एक प्रत्याशी की बारी आई तो उन्होंने इशारे-इशारे में सामने बैठे एक नेता और उनके गॉड फादर को कारण बता दिया।
हमने कुछ माह पहले इसी कॉलम में ही बताया था कि ये दोनों नेता इलाके में जाकर बैठकें कर गुलामी छोड़ो का मंत्र देते रहे हैं। शेष ने भी कुछ भितरघातियों के नाम गिनाए और निष्कासन की मांग छेड़ दी। सबकी बातें सुनने के साथ भाई साहबों मे लोकसभा चुनाव में सक्रिय होने की बात कही तो विधानसभा हारे इन नेताओं ने लोकसभा लडऩे की इच्छा भी जता भी दी।
सूर्य फाउंडेशन की टीम
खबर है कि सरकार के मंत्रियों के स्टाफ में सूर्या फाउंडेशन के युवाओं की तैनाती की जा रही है। ये युवा एबीवीपी, और संघ पृष्ठभूमि के रहे हैं। कहा जा रहा है कि करीब 50 युवाओं की सेवाएं ली जा रही है। सूर्या फाउंडेशन के ये युवा मंत्रियों के अलावा आगामी दिनों में बनने वाले संसदीय सचिव, और निगम मंडल के पदाधिकारियों के यहां भी रहेंगे। ये युवा मंत्रियों के कामकाज को लेकर संघ परिवार को समय-समय पर अपनी रिपोर्ट देंगे।
हालांकि रमन सरकार के आखिरी कार्यकाल में भी फाउंडेशन के युवाओं की मंत्री स्टाफ में ड्यूटी लगाई गई थी। मगर ज्यादातर मंत्रियों ने सूर्या फाउंडेशन के युवाओं को लौटा दिया था। इनके खिलाफ कई तरह की शिकायतें आई थीं। एकमात्र मंत्री अमर अग्रवाल के यहां फाउंडेशन के युवा रह गए थे, जो उनके साथ अब तक बने हुए हैं। देखना है कि फाउंडेशन के युवा कब तक आते हैं, और कामकाज कैसा रहता है।
मंत्रियों को कहाँ प्रभार, और क्यों
प्रभारी मंत्रियों की घोषणा जल्द की जा सकती है। इसमें लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा जा रहा है। जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र की सीटों में बुरी हार के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को जांजगीर-चांपा, और आसपास के जिलों का प्रभार दिया जा सकता है।
मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा तेज करने के लिए कहा जा सकता है। चर्चा है कि वित्त मंत्री ओपी चौधरी को रायपुर का प्रभारी मंत्री बनाया जा सकता है। मंत्रियों के प्रभार को लेकर कई तरह की चर्चा चल रही है। देखना है आगे क्या होता है।
सरकार होने न होने का फर्क
कोयला खदानों के लिए हसदेव अरण्य में होने वाली बेदखली और जंगल कटाई के विरोध में लंबे धरना प्रदर्शन के बावजूद आवाज जब नहीं सुनी गई तो अक्टूबर 2021 में 30 गांवों के करीब 350 प्रभावित आदिवासी पैदल मार्च करते हुए राजधानी रायपुर पहुंचे। तब अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने खामोशी अख्तियार कर ली थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा था कि उन्हें इस पैदल मार्च के बारे में देर से जानकारी मिली। पद यात्रियों की बहुत देर बाद उनसे मुलाकात हो पाई। हरदेव बचाओ आंदोलन से जुड़े लोग बार-बार कहते रहे कि इस इलाके में कोयला खदानों को मंजूरी के लिए ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्ताव तैयार कराए गए हैं। पर कांग्रेस सरकार ने जांच नहीं बिठाई, प्रस्ताव निरस्त नहीं हुए। भाजपा की सरकार आते ही सबसे पहला काम खदान के लिए पेड़ों को काटने का किया गया। कल हरिहरपुर में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए हजारों लोगों के एकजुट हुए थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज वहां धरने पर भी बैठे और अपने सरकार की गलती भी मानी। कहां कि फर्जी ग्राम सभा की शिकायत की हमें जांच करनी थी लेकिन नहीं कर पाए।
सरकार जब तक थी तब राजधानी में होने वाला प्रदर्शन भी कांग्रेस को दिखाई नहीं देता था। अब जब जनता ने उसे फिर से विपक्ष में बिठा दिया है तब उनका समर्थन हासिल करने के लिए उनके बीच पुलिस से बच बचाकर जंगल तक पहुंचने में देरी नहीं हुई।
जिला पुनर्गठन की समीक्षा?
पिछली सरकार यदि विरोधी दल की रही हो तो सत्ता में पुराने फैसलों की समीक्षा अक्सर की जाती है। मगर, कुछ ऐसे फैसले हैं जिन्हें वापस नहीं लिया जा सकता। कोरिया बैकुंठपुर जिले को विभाजित कर एमसीबी जिला बनाने का जितना स्वागत हुआ, उतना ही विरोध भी हुआ था। कांग्रेस भाजपा दोनों के नेता इसमें शामिल थे। इसे लेकर 6500 आपत्ति दर्ज कराई गई थी। विभाजन को हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी। खासकर खडग़वां ब्लॉक को कोरिया की जगह मनेंद्रगढ़ में शामिल करने का भारी विरोध था। यह ब्लॉक अब अपने नए जिला मुख्यालय से काफी दूर हो गया है। वैसे तो आपत्तियां इस बात पर भी थी कि जिला पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर ही विभाजन होना चाहिए, यह पेसा कानून प्रभावशील क्षेत्र होने के कारण भी जिला बंटवारे की अधिसूचना अनुचित है। पर तमाम विरोध दरकिनार कर दिए गए थे। कोरिया के लोगों को अफसोस है कि उसकी ऐतिहासिक पहचान धूमिल हो गई। अब जब सरकार बदल गई है, जानकारी मिल रही है कि नए और पुराने जिलों के बीच ब्लॉक का विभाजन नए सिरे से किया जा सकता है। यही नहीं, विधायक भैया लाल राजवाड़े ने तो एक नए संभागीय मुख्यालय की मांग भी उठाई है।