राजपथ - जनपथ
ओ.पी.चौधरी के रायगढ़ में...
वैसे तो छत्तीसगढ़ में महादेव मोबाइल सट्टेबाजी ऐप की बदनामी के आगे सट्टे की बाकी तमाम किस्में फीकी पड़ गई हैं, लेकिन रायगढ़ में सडक़ किनारे खुलेआम सट्टा-पट्टी लिखते लोग दिखते हैं। वैसे तो वर्ली मटका के नाम से शुरू सट्टेबाजी को शायद आधी सदी हो गई होगी, और उसे शुरू करने वाले रतन खत्री की मौत को भी चौथाई सदी हो गई होगी, लेकिन गांव-गांव तक सट्टा खिलाने वाले लोगों का जाल कहीं खत्म नहीं होता। टेक्नॉलॉजी के साथ-साथ यह महादेव जैसा आधुनिक हो गया, लेकिन उसके बिना भी स्थानीय सटोरियों के माध्यम से बिना मोबाइल का सट्टा भी चलता ही है। रायगढ़ की कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं। दूसरी तरफ रायगढ़ में सडक़ों पर ट्रैफिक पुलिस की वसूली पिछली सरकार की तरह ही जारी है, जबकि अब स्थानीय विधायक ओ.पी.चौधरी प्रदेश के एक सबसे ताकतवर मंत्री बन चुके हैं, और वे अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं। अब स्थानीय विधायक के रूप में वे शहर में पुलिस की मेहरबानी से चल रहे सट्टे, और पुलिस की ट्रैफिक वसूली को पता नहीं कितना रोक पाते हैं।
अब तेरा क्या होगा कोषाध्यक्ष?
ईडी ने कोल स्कैम की जांच तेज कर दिए हैं। जेल में बंद आईएएस रानू साहू, और सौम्या चौरसिया से ईडी लगातार पूछताछ कर रही है। इस बीच हल्ला है कि कोल स्कैम से जुड़े कुछ लोग सरकारी गवाह भी बन सकते हैं।
हालांकि ईडी के वकील इससे अनभिज्ञता जता रहे हैं। उनका कहना है कि स्कैम से जुड़े जो लोग भी सरकारी गवाह बनना चाहते हैं, उन्हें विधिवत कोर्ट में आवेदन देना होगा। इस पर कोर्ट, ईडी का पक्ष सुनेगी। तब कहीं जाकर कोई फैसला होगा। एक खबर यह भी है कि कोल स्कैम में फंसे कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की भी सरगर्मी से तलाश हो रही है।
ईडी ने पिछले दिनों कोर्ट में रामगोपाल की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए आवेदन लगाया था। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अलग से वारंट जारी करने की जरूरत नहीं है। आरोपी की गिरफ्तारी करने में रोक नहीं है। इससे परे पखवाड़े भर से कोल स्कैम केस को लेकर ईडी जिस तरह सक्रिय है उससे अगले कुछ दिनों में बड़ी कार्रवाई का अंदेशा भी जताया जा रहा है। देखना है कि आगे क्या होता है।
मोहिले के लिए एक पद ?
विधानसभा के बजट सत्र के आसपास पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहिले को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। चर्चा है कि मोहिले को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
मोहिले लगातार सांसद और फिर विधायक रहे हैं। अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले पुन्नूलाल मोहिले की कैबिनेट में जगह नहीं बनी। उनकी जगह दयालदास बघेल को मंत्री बनाया गया। मोहिले जनाधार वाले नेता हैं, और पार्टी के रणनीतिकार उन्हें महत्वपूर्ण पद देने के लिए सहमत भी हैं। इस पर फैसला जल्द हो सकता है।
विधायक ईश्वर साहू पर फिल्म..
साजा विधानसभा क्षेत्र से सात बार के विधायक रविंद्र चौबे को पटखनी देने वाले ईश्वर साहू पर फिल्म बनने जा रही है। खबरों के अनुसार निर्माता ने इसके लिए साहू से मंजूरी ले ली है। भाजपा नेता गौरी शंकर श्रीवास ने भी इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी है। इसमें कुछ प्रतिक्रियाएं भी हैं। कुछ लोगों ने इसे सराहनीय कदम बताते हुए कहा है कि ईश्वर भैयाजी तो सुपरस्टार बन गए हैं। चौबे परिवार के अजेय गढ़ को भेद कर साहू ने इतिहास रचा। मगर अनेक टिप्पणियां अलग तरह की भी है। जैसे एक ने लिखा है कि एक मूवी हसदेव जंगल के ऊपर भी बनना चाहिए कि कैसे उसको कोयले के लिए खत्म कर किया जा रहा है और वहां रहने वाले आदिवासी परिवार तथा जानवर बेदखल हो रहे हैं। हरा भरा जंगल और खुशहाल आदिवासी परिवार जहां रहते थे, वह वीरान कैसे हो जाता है, यह बताने के लिए मूवी बननी चाहिए।
टोल टैक्स बोझ महसूस हो तो..
बीते कुछ सालों के भीतर छत्तीसगढ़ में अनेक सिक्स लेन, फोरलेन हाईवे तैयार हुए। पहले के दिन लद गए जब एक बार टोल टैक्स पटाने के बाद रात 12 बजे तक दूसरी रसीद कटाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। पर अब किसी भी एनएच पर निकल जाएं, जितने टोल बैरियर मिलेंगे, सब में भुगतान करना होगा। उसी दिन वापस लौट जाएं तब भी। एनएच पर सफर शुरू करने से पहले जिस तरह पेट्रोल-डीजल चेक करना जरूरी है उसी तरह फास्टैग रिचार्ज है या नहीं यह भी देखना पड़ता है। दो-चार लीटर फ्यूल का हिस्सा टोल नाके में ही कट जाता है। मगर इस वसूली से अगर आप तकलीफ महसूस करते हैं तो तसल्ली के लिए एक नया टैरिफ अपनी गाड़ी में चिपका सकते हैं। मुंबई और नवी मुंबई के बीच 21 किलोमीटर लंबा अटल सेतु बनाया गया है जिसे कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पित किया। इसमें एक बार कार से गुजरने पर टैक्स 250 रुपए है। मासिक पास 12,500 रुपए में बनेगा। यानी साल भर इस रास्ते से चलेंगे तो डेढ़ लाख रुपए का पास बनवाना होगा। ट्रक बस और दूसरी भारी गाडिय़ों की बात ही छोडि़ए। उन्हें एक बार गुजरने पर 830 रुपए से लेकर 1580 रुपए का टोल टैक्स देना होगा। अंदाजा लगा लीजिए कि साल भर में कितना होता है।
क्या नाराज चल रही हैं रेणुका?
भरतपुर-सोनहत विधायक रेणुका सिंह मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल मानी जा रही थीं। मगर वे मंत्री पद की दौड़ में भी पीछे रह गईं। पता नहीं उन्हें कैसा लग रहा होगा। केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद पद पर रहने के बाद सिर्फ विधायक की भूमिका में हैं। सरगुजा में यह चर्चा चल पड़ी है कि वे नाराज चल रही है। और यह चर्चा बेवजह नहीं है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पद संभालने के बाद पहली बार सरगुजा पहुंचे। अंबिकापुर में आयोजित कार्यकर्ता सम्मान सम्मेलन में सरगुजा संभाग के 12 विधायक शामिल हुए (13वे में खुद मुख्यमंत्री), लेकिन अकेले रेणुका सिंह नहीं पहुंचीं। साय का दूसरा कार्यक्रम सूरजपुर में भी था। यहां भी मंच पर रेणुका सिंह नजर नहीं आईं।
लोग इस बात को याद दिला रहे हैं कि जब विधानसभा चुनाव के बाद जीते हुए सभी सांसद दिल्ली पहुंचे तो उनमें रेणुका सिंह शामिल नहीं थी। उन्होंने अगले दिन जाकर केंद्रीय मंत्रिमंडल और सांसद पद से इस्तीफा दिया। हालांकि तब उन्होंने वजह बताई थी कि उनका उस दिन एक पारिवारिक कार्यक्रम था। सरगुजा में रेणुका सिंह जैसी तेज तर्रार महिला नेत्री इस समय कोई और नहीं है। मगर वे तो विधायक के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही खामोश चल रही हैं।