राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : संभावित तो प्रभारी बना दिए गए
22-Jan-2024 2:29 PM
राजपथ-जनपथ :  संभावित तो प्रभारी बना दिए गए

संभावित तो प्रभारी बना दिए गए

दो दिन पहले भाजपा ने प्रदेश के सभी लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी, सह प्रभारी, और संयोजकों की नियुक्ति की। इन नियुक्तियों की  पार्टी के अंदर खाने में खूब चर्चा हो रही है। वजह यह है कि नवनियुक्त पदाधिकारी लोकसभा टिकट के मजबूत दावेदार समझे जा रहे थे, लेकिन कहा जा रहा है कि प्रभारी अथवा संयोजक बनने से टिकट की दावेदारी कमजोर हो गई है। 
पूर्व सांसद कमलभान सिंह को सरगुजा लोकसभा सीट का संयोजक बनाया गया है। कमलभान खुद टिकट के दावेदार हैं। चर्चा है कि कमलभान को नई जिम्मेदारी मिलने से दावेदारी कमजोर हो गई है। इसी तरह बिलासपुर के पूर्व सांसद लखनलाल साहू को भी सरगुजा का प्रभारी बनाया गया है। लखनलाल बिलासपुर सीट से टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में चर्चा है कि पार्टी बिलासपुर सीट से नया चेहरा आगे ला सकती है। इसी तरह सीनियर विधायक धरमलाल कौशिक को कोरबा का प्रभारी बनाया गया। जबकि उनका नाम बिलासपुर सीट से चर्चा में है। 

राजनांदगांव सीट से टिकट के दावेदार नेता पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, और डॉ. सियाराम साहू को अलग-अलग सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। यही नहीं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के विधानसभा चुनाव हारने के बाद कोरबा सीट से चुनाव लडऩे के इच्छुक बताए जाते हैं। मगर उन्हें राजनांदगांव लोकसभा का जिम्मा दे दिया गया है। कुल मिलाकर इन दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी दी गई है।

विज की नक्सल बुक

डीजी के पद से रिटायर हुए आईपीएस आरके विज इन दिनों प्रदेश की नक्सल समस्या पर आधारित एक बुक लिख रहे है। इसके लिए विज मौजूदा नक्सल परिस्थितियों को समझने के लिए प्रत्यक्ष तौर पर दौरा कर रहे है। 1988 बैच के आईपीएस विज साल 2021 मेंं लंबी सेवा के बाद पुलिस महकमे से रिटायर हुए थे। सर्विस में रहते हुए विज कई अखबारों के लिए आर्टिकल लिखते थे। बताते हैं कि वह रिटायर होने के बाद  नक्सल समस्या के खात्मे के लिए सरकारी एजेंसियों को सुझाव भी देते रहते है। पिछले दिनों विज ने कवर्धा जिलें की नक्सली गतिविधियों को जानने के लिए दो दिन का दौरा किया। वैसे विज ने नक्सलियों को मुख्य धारा में लाने की कवायद अपने सेवाकाल में भी किया।  बस्तर जैसे घोर नक्सल रेंज का भी उन्होंने मोर्चा सम्हाला। बतौर दुर्ग आईजी के विज ने एक नामी नक्सली को हथियार समेत राजनांदगांव-गढ़चिरौली के जंगल से मुख्यधारा  में लाया था। साकेत नामक एक खूंखार नक्सली ने इंसास रायफल के साथ समर्पण किया था। यह पहला मौका था, जब किसी नक्सली ने घातक हथियार के साथ मुख्यधारा में वापसी की थी। अब वह रिटायर होकर नक्सल समस्या पर एक पुस्तक लिख रहे है। आईपीएस बिरादरी में उनकी पुस्तकक को लेकर कई  तरह की चर्चाए भी है। सुनते हैं कि विज की लिखी किताब का पुलिस अधिकारियों को इंतजार है। 

हसदेव पर नक्सली आह्वान

छिटपुट घटनाओं को छोडक़र बीते एक दशक से सरगुजा संभाग में कोई नक्सली वारदात नहीं हुई है। कोरिया और बलरामपुर जिले के कुछ हिस्सों में इनकी आमद रफ्त कभी कभी सुनाई देती रही है। वह भी अब कई महीनों से नहीं सुनी गई। ऐसे में नक्सलियों ने 23 जनवरी को सरगुजा संभाग बंद का आह्वान किया है। हसदेव अरण्य में कोयला खदान और जंगल कटाई के विरोध में उनका बयान पहले आ चुका है। बस्तर में ऐसा वे करते भी हैं। पर इस बार उन्होंने सरगुजा में बंद का आह्वान किया है। हसदेव के बहाने से क्या नक्सली यहां अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करने की कोशिश में हैं? सरगुजा बंद के आह्वान से पडऩे वाले असर को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकेगा। 

खेती अलग हटकर

यह किसी पूर्वोत्तर या दक्षिण के किसी राज्य की तस्वीर नहीं है, जहां बड़े स्तर पर चाय की खेती होती है।  छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की है। पर्वतों, जंगलों के बीच जशपुर जिले के कई गांवों में खेती के नए नए प्रयोग हो रहे हैं। जिले के मनोरा और बगीचा ब्लॉक में करीब 95 एकड़ पर चाय का बागान इसी कड़ी में विकसित करने का काम जारी है।

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