राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : ईडी की ईमानदारी पर भी सोचें...
07-Mar-2024 4:29 PM
राजपथ-जनपथ : ईडी की ईमानदारी पर भी सोचें...

ईडी की ईमानदारी पर भी सोचें...

सरगुजा लोकसभा सीट के लिए बतौर भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज का नाम विधानसभा चुनाव के समय से तय हो  गया था। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उनकी टिकट काट दी थी। तब वे इसी आश्वासन पर भाजपा में वापस लौटे थे कि उन्हें लोकसभा लड़ाया जाएगा। भाजपा को चिंतामणि का साथ ऐसा रहा कि सरगुजा में नतीजा 180 डिग्री घूम गया। कांग्रेस एक भी सीट निकाल नहीं पाई। भाजपा ने उन्हें टिकट देकर अपना वादा निभा दिया है।

इधर पिछले 3 साल से कोयला लेवी घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने पाया कि कई राजनीतिक लोगों को इसकी रकम मिली। बीते जनवरी में ऐसे 35 लोगों की सूची एसीबी को उसने भेजी। नाम के साथ यह भी बताया गया कि किसे कितने रुपये मिले। चिंतामणि महाराज के नाम के आगे 5 लाख रुपये लिखा था। सूची मिलने पर एसीबी ने सभी के खिलाफ धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर लिया, बस इनमें से एक चिंतामणि महाराज का नाम छोड़ दिया। अब कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया है। कह रहे हैं भाजपा की वाशिंग मशीन में चिंतामणि महाराज धुल गए। वे जरूर एसीबी के इस कदम का इस्तेमाल चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भी करेंगे।

गौर करें तो ईडी ने सूची तब भेजी, जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन चुकी थी। फिर भी उसने इस बात की परवाह नहीं की कि चिंतामणि महाराज का नाम नहीं होना चाहिए। भले ही तब उनकी लोकसभा टिकट फाइनल नहीं हुई थी लेकिन भाजपा में तो शामिल हो ही चुके थे। लगा होगा एसीबी को, कि टिकट मिलने के बाद चिंतामणि महाराज का नाम लिस्ट में नहीं होना चाहिए। उसने विशेष टीम बनाकर 10-12 दिन में जांच भी कर ली होगी और चिंतामणि बेकसूर मिले होंगे। अब जब अदालत में मामला पहुंचेगा तब देखा जाएगा कि यह तरीका कानूनी तौर टिकेगा या नहीं। बाकी कांग्रेसी एसीबी के तौर तरीके पर सवाल करते हैं तो करते रहें। चुनाव निपटने के बाद किसी का क्या बिगड़ेगा। आखिर ईडी ने जिस ईमानदारी से एसीबी को सूची भेजी, वह भी तो गौर करने लायक है ! यह अलग बात है कि कुछ लोग इसे ईडी की चूक कह 
सकते हैं।

दसवें भाजपा नेता की हत्या

बस्तर में भाजपा नेताओं की नक्सल हत्या का सिलसिला विधानसभा चुनाव के करीब एक साल पहले से चल रहा है। बीजापुर के कैलाश नाग, जो वन विभाग के लिए काम भी करते थे, उनकी अपहरण के बाद गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसके सिर्फ 6 दिन पहले बीजापुर में ही भाजपा के जनपद सदस्य तिरुपति कटला की धारदार हथियार से हत्या कर दी, जब वे एक शादी समारोह से अपने परिवार के साथ लौट रहे थे। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में नारायणपुर जिले में बीजेपी नेता कोमल मांझी की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। इन तीनों के अलावा नीलकंठ ककेम, सागर साहू, रामधर अलामी, रामजी डोडी, अर्जुन काका, बिरझू तारम और रतन दुबे। ये सब फरवरी 2023 से लेकर अब तक मारे गए भाजपा नेता हैं।

एक के बाद 10 नेताओं की साल भर के भीतर हुई अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या को यदि भाजपा टारगेट किलिंग कह रही है तो इसमें कुछ गलत नहीं। नक्सलियों के निशाने पर सुरक्षा बल और बेकसूर ग्रामीण तो हैं हीं। झीरम घाटी हमले में कांग्रेस ने अपनी एक पूरी पीढ़ी खो दी थी।

कुछ लोगों ने यह अनुमान लगाया है कि बड़ी संख्या में नए कैंप शुरू करने के फैसले के खिलाफ नक्सली आक्रामक हुए हैं। लेकिन हत्याओं का सिलसिला नई तैनाती के पहले से चल रहा है। राज्य की नई सरकार ने वर्चुअल बातचीत का प्रस्ताव रखा जिसमें नक्सलियों को हथियार डालने की जरूरत नहीं। इसके जवाब में नक्सलियों ने 6 माह तक कैंप बंद करने, पुलिस बल को थाने तक सीमित रहने जैसी शर्तें रखीं। ये शर्तें इतनी कठिन है कि बातचीत की दिशा में आगे कदम बढेंगे इसकी उम्मीद कम है। ये शर्ते बातचीत से पहले ही एकतरफा मांगें मानने के लिए बाध्य करने जैसा है। हर हमले के बाद सरकार की ओर से बयान आ रहा है कि वे नक्सलियों से सख्ती से निपटेंगे। पर इसका उन पर कोई असर न पहले दिखता था, न आगे दिखने की उम्मीद कर सकते हैं। सरकार को शायद फिर मध्यस्थों की जरूरत पड़े। पूर्व में ब्रह्मदेव शर्मा, स्वामी अग्निवेश, अरविंद नेताम, मनीष कुंजाम जैसे सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता इसके लिए सामने आ चुके हैं। इनमें ब्रह्मदेव शर्मा और स्वामी अग्निवेश अब हमारे बीच नहीं हैं।  

बधाइयाँ शुरू 

लोकसभा प्रत्याशी चयन के लिए दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक चल रही है। इन सबके बीच प्रदेश में संभावित प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेसजनों के बीच चर्चा चल रही है। खुज्जी की पूर्व विधायक छन्नी साहू ने तो एक कदम आगे जाकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल को राजनांदगांव सीट से प्रत्याशी बनने की अग्रिम बधाई दे दी। उनके बधाई संदेश  कांग्रेस नेताओं के वॉट्सऐप ग्रुप में तैर रहे हैं। कुछ दिन पहले तक बड़े नेता चुनाव लडऩे से मना कर रहे थे लेकिन अब धीरे-धीरे चुनाव लडऩे के लिए तैयार हो रहे हैं। पूर्व मंत्री कवासी लखमा तो दिल्ली में बस्तर के प्रमुख कांग्रेस नेताओं के साथ डेरा डाले हुए हैं। वो बस्तर से बेटे हरीश लखमा को प्रत्याशी बनाना चाहते हैं। न सिर्फ बस्तर बल्कि कई और जगहों से टिकट के दावेदार दिल्ली में जमे हुए हैं। कांग्रेस टिकटों की घोषणा आज-कल में हो सकती है। 

सबसे प्रिय होने का राज 

प्रदेश भाजपा में वैसे तो तीन महामंत्री हैं लेकिन सबसे ज्यादा पूछ-परख धमतरी के रामू रोहरा की हो रही है। रामू पार्टी दफ्तर में सबसे ज्यादा समय देते हैं, और इस वजह से उन्हें रायपुर संभाग का प्रभारी भी बनाया गया है। खुद सीएम विष्णु देव साय ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में रामू की तारीफ करते हुए यहां तक कह दिया कि वो मंत्रियों से भी बड़े हैं, यानी महामंत्री हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव के वक्त सिंधी समाज के वोटरों को भाजपा के पक्ष में करने के लिए काफी मेहनत की थी। दरअसल, समाज से एक भी प्रत्याशी नहीं होने पर काफी नाराजगी थी। जिसे रामू ने शांत करने में अहम भूमिका निभाई थी। यही वजह है कि वो पार्टी के बड़े नेताओं के प्रियपात्र हो गए हैं। 

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