राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कडक़ कलेक्टर
13-Mar-2024 4:09 PM
 राजपथ-जनपथ : कडक़ कलेक्टर

कडक़ कलेक्टर

अंबिकापुर कलेक्टर विलास भोसकर संदीपन इन दिनों चर्चा में हैं। संदीपन ने करोड़ों की सरकारी जमीन बिक्री प्रकरण पर सख्त कार्रवाई का हौसला दिखाया, और घोटाले में संलिप्त डिप्टी कलेक्टर समेत 4 अफसर-कर्मियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी करा दी।

पिछले कुछ सालों में अंबिकापुर में जमीन के अफरा-तफरी के सबसे ज्यादा मामले आए थे। पिछली सरकार में तो एक तत्कालीन मंत्री के निज सहायक के खिलाफ भी अपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ था। मगर ताजातरीन घोटाला प्रकरण में लीपापोती की भी कोशिश हुई।

शिकायतकर्ता तो भाजपा के नेता हैं लेकिन जिन पर घोटाले में संलिप्तता का आरोप लग रहा है वो एक जनप्रतिनिधि के नजदीकी रिश्तेदार हैं। ऐसे में कलेक्टर ने किसी के प्रभाव में आए बिना कार्रवाई की।

थोक में चूक, अब कोर्ट

सरकार में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, भू-अभिलेख अफसर और जनपद सीईओ के थोक में तबादले हुए तो कई गंभीर चूक सामने आई है। चर्चा है कि सीएम के अनुमोदन के बिना ही विभागीय सचिव ने तबादला आदेश जारी कर दिए थे।

सचिव तो बदल दिए गए लेकिन तबादले के बाद जो विवाद खड़ा हुआ उससे बचने के लिए सरकार अब पूरे तबादलों को ही निरस्त करने जा रही है। बताते हैं कि निरस्तीकरण के लिए 33 याचिकाएं हाईकोर्ट में लगी है।

चर्चा है कि करीब आधा दर्जन से अधिक ऐसे नायब तहसीलदारों का तबादला कर दिया गया था जिनकी नियुक्ति को ही छह माह हुए थे, और परिवीक्षा अवधि में हैं।

सरकार ने भी हाईकोर्ट में कहा है कि तबादलों को निरस्त किया जा रहा है। कुल मिलाकर गलतियों को दुरस्त करने का फैसला लेकर सरकार ने विवाद को बढऩे से रोक दिया है।

दो बंगलों में भीड़ बढ़ रही

मंत्रिमंडल में अभी एक जगह खाली है। मई के बाद एक और जगह खाली होगी। इस प्रत्याशा में कुछ माननीयों की चाल-ढाल बदल गई है। कार्यकर्ता भी भैया के मंत्री बनने की प्रत्याशा में फिर सक्रिय हो गए हैं। दो पूर्व मंत्री को जब कैबिनेट में जगह नहीं मिली तो वे थोड़े निराश नजर आ रहे थे। उनके समर्थक भी दूसरे बंगले की ओर रुख करने लगे थे। जैसे ही बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया गया। दो पूर्व मंत्रियों के बंगले में फिर चहल-पहल बढ़ गई है। नेताजी जानकार हैं। सामाजिक समीकरण में संभव है कि उन्हें मौका मिल जाए, इसलिए कार्यकर्ता भी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। और नगरीय प्रशासन, पीडब्लूडी, आवास पर्यावरण, वित्त विभाग के  अफसर भी इनकी सुनने लगे हैं।

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस

सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है। सौ दिनों के कार्यकाल के दौरान सीएम और ठाकरे परिसर ने ऐसे अफसर, कर्मचारियों पर नजर रखा। इनमें मंत्री, विधायकों के निजी स्टाफ भी शामिल है। क्योंकि पिछली भाजपा सरकार की बदनामी की बड़ी वजह ये ही लोग रहे हैं। इन सबके बीच एक बड़े विभाग के मंत्री के पीए को नियुक्ति के दूसरे महीने ही हटा दिया गया। जानकारी मिली थी कि पीए ने हाथ साफ करने की कोशिश की थी। इसके बाद तो सभी सकते में हैं,

मंत्री और पीए भी। एक जानकारी यह भी है कि पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री स्टाफ रहे लोग विधायकों के यहां सेट हो रहे हैं। ऐसे लोगों की भी सूची तैयार कर ली गई है।

समय मिलते ही शायद इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

बेरोजगारी पर सीएम हाउस घेराव

रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अव्वल है। प्रदेश में बेरोजगारी दर महज 0.1 प्रतिशत है, जबकि देश में 8.2 फीसदी। राज्य की नीतियों की वजह से यह बड़ी उपलब्धि हासिल हुई....। कांग्रेस शासनकाल के दौरान यह बात बड़े बड़े बिलबोर्ड, होर्डिंग, पोस्टर में प्रदर्शित की जा रही थी। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तक। यह दावा सीएमआईई के आंकड़ों के आधार पर किया जाता था, जिसके आकलन के तरीके पर अनेक बार अर्थशास्त्री सवाल उठा चुके हैं। खुद सरकार ने इन आंकड़ों के समर्थन में गांवों में गोधन न्याय योजना का जिक्र किया, जिसमें गोबर से होने वाली को शामिल किया गया था। कांग्रेस सरकार ने युवाओं का बेरोजगारी भत्ता शुरू किया, तब कतारें लगीं। लाखों युवा रोजगार कार्यालयों में पंजीयन नहीं कराते। पर पंजीयन कराने वाले युवाओं को ही आधार मानें तो उनकी संख्या 17 लाख से अधिक है। मगर शर्तों की वजह से इनमें से कई लाख युवाओं को भत्ते का पात्र नहीं माना गया। अक्टूबर 2023 में उच्च शिक्षा विभाग ने भृत्य, चौकीदार और स्वीपर के 880 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। इसमें शैक्षणिक योग्यता 5वीं से लेकर 12वीं तक रखी गई। मगर आवेदन करने वालों में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट भी शामिल थे। आवेदन करने वालों की संख्या 7 लाख से अधिक है। पांच माह हो गए, भर्ती की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। जिम्मेदारी व्यापमं को दी गई है जिसे शायद समझ नहीं आ रहा है कि इतने सारे लोगों की एक साथ परीक्षा कैसे ली जाए। सीएमआईई के दावों के विपरीत केंद्र सरकार की नेशनल सेंपल सर्वे की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी का प्रतिशत 26.4 है। इस सर्वे के अनुसार बेरोजगारी में अपना राज्य देश में पांचवे स्थान पर है। मगर, सरकार ने अपनी सुविधा के लिए सीएमआईई के आंकड़ों को प्रचारित किया।

राजधानी में युवक कांग्रेस ने सोमवार सीएम हाउस का घेराव किया। महंगाई के अलावा बेरोजगारी के मुद्दे पर यह आंदोलन था। भाजपा ने छत्तीसगढ़ सरकार का यह कहते हुए बचाव किया कि अभी अभी तो सरकार बनी है। केंद्र के आंकड़ों को सामने रखा जिसमें रोजगार सृजन की योजनाओं से करोड़ों युवाओं के लाभान्वित होने का दावा है। भाजपा विपक्ष में रहते हुए बेरोजगारी को गंभीर मसला मानती थी। प्रवक्ताओं ने कांग्रेस सरकार के दावों को सफेद झूठ और युवाओं से मजाक बताया। युवक कांग्रेस को भी भाजपा की सरकार के बनने के बाद ही बेरोजगारी की हकीकत दिखी। वरना अपनी सरकार के 0.1 प्रतिशत बेरोजगारी के दावे पर वह खुश थी।

नैतिकता का नुकसान

राजनीति दांव पेंच का खेल है। इसमें नैतिकता और अंतरात्मा के आधार पर फैसले लिए जाएं तो नुकसान उठाना पड़ जाता है। विधानसभा चुनाव के बाद कवर्धा शहर में कांग्रेस की हार हुई। नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि शर्मा ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीते 3 माह से कांग्रेस के पार्षद इंतजार कर रहे थे कि नया अध्यक्ष चुनने के लिए जिला प्रशासन आमसभा बुलाए। मगर, ऐसा नहीं हुआ। राज्य सरकार ने कल यहां भाजपा के पार्षद मनहरण कौशिक को अध्यक्ष मनोनित कर दिया। जाहिर है प्रदेश में जब भाजपा सत्तारूढ़ है तो वह अपनी ही पार्टी से किसी को अध्यक्ष बनाना चाहेगी। अब दो तिहाई बहुमत के बावजूद नगरपालिका कांग्रेस के हाथ में नहीं है। दिलचस्प यह है कि यह नियुक्ति ठीक ऐसे मौके पर की गई है, जब लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने वाली है। मतलब, मनोनित अध्यक्ष को अपना बहुमत साबित करने की फिलहाल चिंता नहीं है। न कोई सम्मेलन होगा, न कोई चुनाव। मई में लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही कुछ हो सकता है। ([email protected])

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