राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : इंसानों के रेवड़ का क्या करें?
18-Mar-2024 4:22 PM
	 राजपथ-जनपथ : इंसानों के रेवड़ का क्या करें?

इंसानों के रेवड़ का क्या करें?

हिन्दुस्तान के अधिकतर हिस्से में चाहे सुबह की सैर हो, चाहे शाम को किसी तालाब किनारे या फुटपाथ पर लोग गप्प मारने जुटे हों, जब तक वे भीड़ की अराजकता नहीं दिखा पाते, उन्हें चैन नहीं पड़ता। हिन्दुस्तान में जब तक कोई अकेले हैं, तभी तक उनमें थोड़ी इंसानियत रह सकती है। एक से दो -चार हुए तो वे गुंडों के गिरोह जैसे हो जाते हैं। सुबह घूमने भी निकलते हैं तो सडक़ की पूरी चौड़ाई को घेरकर चलते हैं, इतनी जोरों से चीखते हुए निकलते हैं कि आसपास के घरों में लोगों की नींद खुल जाए। किसी बगीचे में पहुंचते हैं तो कसरत की मशीनों पर बैठकर तम्बाकू-गुटखा खाना शुरू कर देते हैं, और उसे बाग-बगीचे की बेंच मानकर उन पर कब्जा करके बैठ जाते हैं, फिर कोई और उनका इस्तेमाल न कर ले। कुल मिलाकर हिन्दुस्तानी सोच  सार्वजनिक सम्पत्ति को अधिक से अधिक अपना साबित करने की रहती है, और लोग इसका प्रदर्शन करके सुकून पाते हैं।

सडक़ों पर जब हिन्दुस्तानियों की टोलियां चलती है, तो आसपास के मवेशी अपने बच्चों को यह नजारा दिखाकर सिखाते हैं कि कभी भी इस तरह पूरी सडक़ घेरकर नहीं चलना चाहिए। और ऐसी हरकत करने के लिए किसी का कम उम्र नौजवान होना जरूरी नहीं है, बुजुर्ग होने पर भी लोगों की हरकतें ऐसी ही रहती हैं। दिक्कत यह है कि जानवरों को तो एक लाठी लेकर हांका जा सकता है, इंसानों के रेवड़ों को कैसे खदेड़ा जाए? जैसे-जैसे हिन्दुस्तानी संख्या में बढऩे लगते हैं, वैसे-वैसे वे भीड़ की मानसिकता में आ जाते हैं, जिसमें सिर बहुत होते हैं, दिमाग एक भी नहीं होता।  

राशन कार्ड नहीं बदल पाए...

भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनने से लेकर लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने के बीच काम करने के लिए मिले करीब तीन महीनों का इस्तेमाल मोदी की गारंटी को ज्यादा से ज्यादा पूरा करने की कोशिश की। पिछली भाजपा सरकार के दौरान रुका किसानों का बकाया बोनस देने से शुरूआत हुई जो महतारी वंदन योजना की पहली किश्त और किसानों को धान का बकाया भुगतान करने तक जाकर खत्म हुई। एक काम सरकार ने और तेजी से करना चाहा, जो गारंटी में शामिल नहीं था लेकिन उससे कम जरूरी भी नहीं था। वह था प्रदेश के करीब 77 लाख हितग्राहियों के बीच नया राशन कार्ड पहुंचाना। यह अभियान 25 जनवरी से शुरू कर दिया गया था। काम में तेजी लाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा भी दे दी गई थी। पहले इसकी मियाद फरवरी  के आखिरी तक तय की गई थी फिर 15 मार्च तक बढ़ाई गई। अब ऑनलाइन अपडेट करने का काम तो चलता रहेगा लेकिन आचार संहिता लग जाने के कारण नया कार्ड वितरित करने का काम रोकना पड़ा है। वैसे खाद्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि पुराने कार्डधारकों को राशन मिलने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। बस होगा यह कि उनके पास जो कार्ड हैं उनमें अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व खाद्य मंत्री की तस्वीर है।

17 तरह के बैंगन

बैंगन बहुतों को नापसंद है, पर सबसे ज्यादा बिकने वाली सब्जियों में यह शुमार भी है। अब यह हर कहीं, हर मौसम में मिल जाता है। अब तो तरह-तरह के रंगों और आकार में भी। इंदौर की इस सब्जी विक्रेता महिला का कहना है कि वह 17 प्रकार के बैंगन बेच चुकी हैं। फिलहाल इस दुकान में 7 तरह के बैंगन तो दिख ही रहे हैं।

बस हटाने में एकजुटता दिखी...

कोरबा जिले के छुरी नगर पंचायत की कांग्रेस अध्यक्ष नीलम देवांगन को बीते महीने अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद पद गंवाना पड़ गया। वैसे तो कांग्रेस समर्थित पार्षदों की संख्या यहां 10 है, पर सरकार बदलने के बाद कई नगरीय निकायों में बहुमत के बावजूद कांग्रेस को सीट गंवानी पड़ी है। देवांगन को कुर्सी बचाए रखने के लिए केवल 6 वोट की जरूरत थी लेकिन उन्हें 5 ही मिल पाए। कांग्रेस और भाजपा के ज्यादातर पार्षद उन्हें हटाने के नाम पर एकजुट हो गए थे। दो साल से यह कोशिश हो रही थी पर वे सफल सरकार बदलने के बाद हुए। यहां तक तो सब निपट गया लेकिन जब नया अध्यक्ष चुनने की बारी आई तो एक राय नहीं बन सकी। पार्षद किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो सके। इसी खींचतान के बीच अब आचार संहिता लग गई है। नया चुनाव कम से कम जून महीने तक के लिए टल गया है। काम प्रशासक संभालेंगे।

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