राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दूजराम कितना बटोर पाते हैं?
19-Apr-2024 3:02 PM
राजपथ-जनपथ : दूजराम कितना बटोर पाते हैं?

दूजराम कितना बटोर पाते हैं?

बहुजन समाज पार्टी कोरबा सीट से पामगढ़ के पूर्व विधायक दूजराम बौद्ध को प्रत्याशी बनाया है। दूजराम बौद्ध चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं थे, और उन्होंने अपनी कमजोर माली हालत का हवाला भी दिया था। बावजूद इसके केन्द्रीय नेतृत्व में उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया। 

बौद्ध को एक ईमानदार नेता माना जाता है। वो न सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग बल्कि दूसरे समाजों में भी लोकप्रिय हैं। बताते हैं कि पार्टी ने उन्हें यह कहकर चुनाव लडऩे के लिए मनाया कि चुनाव का सारा खर्च पार्टी वहन करेगी। जानकारों का मानना है कि यदि दूजराम को कोरबा के बजाए जांजगीर-चांपा से प्रत्याशी बनाया जाता, तो वो पार्टी के परम्परागत वोटों से ज्यादा वोट हासिल कर सकते थे। 

कोरबा दूजराम के लिए नया क्षेत्र है, और बसपा का यहां ज्यादा आधार नहीं है। विधानसभा चुनाव में तो बसपा, और गोंगपा मिलकर चुनाव लड़ रही थी। इस बार लोकसभा का चुनाव दोनों ही दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। कोरबा में गोंगपा का अच्छा आधार है। यहां के एक विधानसभा क्षेत्र पाली तानाखार सीट गोंगपा के पास है। ऐसे में दूजराम कितना वोट बटोर पाते हैं, यह देखना है। 

खास सीटों का हाल  

दूसरे चरण की तीन सीट राजनांदगांव, कांकेर, और महासमुंद में 23 तारीख तक चुनावी माहौल गरम रहेगा। राजनांदगांव से पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और महासमुंद से पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू चुनाव मैदान में है। ये दोनों हॉट सीट बन गई है। तीनों सीटों पर 26 तारीख को मतदान होगा। 

भाजपा ने दोनों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के लिए ताकत झोंक दी है। पीएम नरेन्द्र मोदी की महासमुंद के धमतरी, योगी आदित्यनाथ की कवर्धा, जेपी नड्डा की कांकेर, और अमित शाह की भी सभा हो रही है। कांग्रेस ने राजनांदगांव के डोंगरगांव, और बालोद में प्रियंका गांधी की सभा की तैयारी की है। प्रियंका और योगी आदित्यनाथ एक ही दिन यानी 21 तारीख को राजनांदगांव के संसदीय क्षेत्र में प्रचार पर रहेंगे। तापमान बढऩे के साथ-साथ यहां का माहौल गरम रहेगा। 

प्रवेश की एक और खेप 

कांग्रेस नेताओं की एक और खेप भाजपा में आने की तैयारी कर रही है। ये नेता दूसरे चरण की सीटों से आते हैं। चर्चा है कि इन नेताओं को पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के समक्ष भाजपा में प्रवेश कराया जा सकता है। 

हालांकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक धनेंद्र साहू की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो नाराज नेताओं से चर्चा कर रही है। इन नेताओं को भाजपा में शामिल होने से रोकने के लिए मान मनौव्वल भी हो रही है।  समिति का हाल यह है कि कई नेता पार्टी छोड़ चुके होते हैं, तब उनके पास फोन पहुंचता है। साहू कमेटी को नाराज नेताओं को  पार्टी छोडऩे से रोकने में कितनी मिलती है, यह देखना है। 

नये सत्र में स्कूलों का हाल कैसा है?

छत्तीसगढ़ में प्राइमरी और मिडिल स्कूल की पढ़ाई का स्तर चिंताजनक है। सन् 2022 में आई ‘असर’ की रिपोर्ट में गुणवत्ता के क्रम में छत्तीसगढ़ में काफी नीचे 27वें नंबर पर था। इधर अभी केरल हाईकोर्ट का एक आदेश चर्चा में है। वहां की एक स्कूल के खेल मैदान में ग्राम पंचायत ने पानी टंकी का निर्माण करने का निर्णय लिया। शाला विकास समिति ने इसका विरोध किया। पंचायत के खिलाफ उसे हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। हाईकोर्ट  ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई का दायरा बढ़ा दिया। उसने प्रदेश के उन सभी स्कूलों की रिपोर्ट मांगी जहां खेल मैदान नहीं हैं। ऐसे सभी स्कूलों की सूची शिक्षा विभाग ने दी और हाईकोर्ट ने उन्हें बंद करने का आदेश दिया है, जब तक मैदान की सुविधा नहीं हो जाती।  

छत्तीसगढ़ में असर की रिपोर्ट में खेल और खेल मैदान की स्थिति में बीते पांच साल के भीतर सुधार आने का ब्यौरा है। जैसे खेल मैदान वाले स्कूलों की संख्या 2018 में 68.8 प्रतिशत थी जो बढक़र 2022 में 71 प्रतिशत हो गई। खेल सामग्री भी इसी अवधि में 49.6 प्रतिशत से बढक़र 90.4 प्रतिशत हो गई। पर शेष अधिकांश मापदंडों में स्थिति खराब है। जैसे लड़कियों के उपयोग करने लायक शौचालयों की संख्या 75.7 प्रतिशत से घट कर 60 प्रतिशत हो चुकी है। जिन स्कूलों में एक भी उपयोग करने लायक शौचालय है, उनकी संख्या भी 85.7 प्रतिशत से गिरकर 71.3 प्रतिशत रह गई।

स्कूलों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले अक्टूबर में कहा था कि जो मजदूर दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाते उनको भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए सरकार मजबूर कर रही है। सरकारी स्कूलों में शौचालय, पेयजल और खेल मैदान की सुविधा नहीं है।
अपने यहां छत्तीसगढ़ में खेल मैदान और शौचालय की स्थिति कैसी है, इस पर बाद में सोचा जाता है। सत्र शुरू होने पर स्कूल भवनों के जर्जर होने की खबर पहले आती है। पिछले साल कई स्कूलों में छज्जा गिरने, छत से पानी रिसने की घटनाएं हुईं। कुछ मामलों में तो छात्र और शिक्षक बाल-बाल बचे। अब नया शिक्षा सत्र फिर शुरू होने वाला है। क्या शाला प्रवेशोत्सव मनाने वाले जनप्रतिनिधि अभी से इन स्कूलों की सुध लेना चाहेंगे?

चिरपोटी टमाटर की छलांग

केंद्र सरकार की इकाई पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने छत्तीसगढ़ के चिरपोटी टमाटर को हाल ही में धमतरी बंशीलाल सोरी के नाम पर पंजीकृत किया है। वैसे 2021 की एक खबर यह भी है कि इसी प्राधिकरण ने बलरामपुर-रामानुजगंज के किसान रामेश्वर तिवारी के नाम पर इसे पंजीकृत किया था। वह पंजीयन 6 साल का था। दो बार पंजीयन अलग-अलग किसानों के नाम पर क्यों किया गया यह अलग सवाल है, पर इसे संरक्षण देने की ओर जरूरत तो काफी समय से महसूस की जा रही है, जो प्राधिकरण ने किया है। जब से हाईब्रिड टमाटर की खेती बढ़ी, लोगों ने चिरपोटी टमाटर उगाना कम कर दिया। अंगूर जैसे छोटे छोटे आकार के इस टमाटर में जो स्वाद है, वह हाईब्रिड में नहीं मिलता। कुछ वैज्ञानिक शोध कर चुके हैं, जिसमें इसे कैंसर, हृदय और मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी बताया गया है। चिरपोटी की खेती की जाती है पर बाडिय़ों में अपने आप भी उग जाता है, ज्यादा देखभाल की जरूरत भी नहीं पड़ती। प्राधिकरण में पंजीयन के बाद अब जीआई टैग भी मिलने की बारी है, जिससे यह तय हो पाएगा कि यह सब्जी विशिष्ट रूप से छत्तीसगढ़ की है।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news