राजपथ - जनपथ
पोस्ट मास्टरों में हलचल
जून का महीना केंद्रीय विभागों में तबादलों का महीना कहा जाता है । जुलाई से शिक्षा सत्र के देखते हुए केंद्रीय विभाग समय पर तबादले कर देते हैं। इस बार डाक विभाग के रायपुर डिवीजन में पोस्ट मास्टर्स (पीएम)में हलचल बढ़ गई है। खासकर रायपुर शहर के उपडाकघरों के पीएम्स की नजर कचहरी शाखा पर लगी हुई है। अब तक यह डाकघर एक दबड़े नुमा कमरे में संचालित होता रहा। जहां उसने 50 साल से अधिक बिताए। अब यह उससे बड़े कक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया है। कोर्ट परिसर में होने के कारण वकील, जज पुलिस वालों की आवाजाही बनी रहेगी। इससे सबसे परिचय भी बढ़ेगा। कानून वालों के बीच पकड़ बनेगी। सो विभाग के पुरुष पीएम यहां की कुर्सी हासिल करने में जुट गए हैं। अभी यहां मैडम पीएम हैं। शिफ्टिंग की पूरी मशक्कत उन्होंने पूरी शिद्दत से की। अब उसे भोगने पुरुष हाथ पैर मार रहे हैं। अब इस बात को सर्किल की बड़ी मैडम कितनी गंभीरता से लेती हैं यह तो तबादला सूची में ही दिखाई देगा।
वोट से परहेज वाले अफसर
इन दिनों पूरे देश में एक एक वोट को लेकर मशक्कत चल रही है। दिल्ली आयोग से लेकर बीएलओ तक सभी जुटे हुए हैं कि घरों से हरेक वोट निकले। उसके बाद भी 60-70-75 प्रतिशत ही वोटिंग हे रही। शेष 40-25 फीसदी वोट, विभिन्न पारिवारिक कारणों, से नहीं पड़ते। तो कुछ मेरे एक वोट से क्या नफा नुकसान हो जाएगा की सोच में तो कुछ किसी दल, नेता कार्यकर्ता विशेष से नाराजगी से मतदान नहीं करते। इन सबसे हटकर छत्तीसगढ़ में एक ऐसे भी आईएएस हुए हैं जिन्होंने कलेक्टर रहते कई चुनाव कराए लेकिन कभी मतदान नहीं किया। बाद में वे मुख्य सचिव भी बने। इसके पीछे उनकी किसी से कोई नाराजगी नहीं थी। उनके पूरे सेवा काल में मप्र से लेकर छत्तीसगढ़ तक कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की सरकारें रहीं। वे सबके लिए ब्लू आईड रहे। सभी नेता उनका सम्मान करते। उनके जैसा निष्पक्ष कोई नहीं रहा। हर सरकार में कई नामचीन योजनाएं उन्होंने लागू कराया। छत्तीसगढ़ के कई बड़े शैक्षणिक संस्थान उनकी पहल पर ही स्थापित हुए हैं। बात वोट न करने से शुरू हुई थी। एक बार एक चीफ सेक्रेटरी ने इस पर पूछने पर कहा, वोटिंग कर देने से मन निष्पक्ष नहीं रह जाता। इसलिए मतदान तो रिटायरमेंट के बाद ही करूंगा। अब वो कर रहे या नहीं पता नहीं चल पाया है। उम्मीद है कर रहे होंगे। हमने एक राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को कतार में लगकर वोट डालते देखा था।
नई कोयला खदान चुनाव के बाद
कुछ बड़े फैसलों पर अमल चुनाव आचार संहिता के कारण नहीं हो पा रहा है। इनमें एक है कोल ब्लॉक का आवंटन। कोयला मंत्रालय नौवें दौर की नीलामी की घोषणा कर चुका है। नीलामी प्रक्रिया चुनाव के चलते रोक दी गई है। इनमें कोरबा जिले के करतला ब्लॉक के दो ब्लॉक, नॉर्थ और साउथ भी शामिल हैं। ये दोनों कोल ब्लॉक आठवें दौर की नीलामी सूची में भी शामिल किए गए थे, पर ग्रामीणों ने विरोध जताया था। तब इनकी नीलामी रोक दी गई थी। स्थानीय आदिवासी किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं छोडऩा चाहते। यहां घना जंगल है। हाथी तथा भालुओं का विचरण क्षेत्र भी है। लोकसभा चुनाव के बाद यदि विरोध होता भी है तो इसका बहुत ज्यादा असर सरकार पर पडऩे की उम्मीद कम ही है। इसलिये इन दोनों खदानों को फिर नीलामी सूची में रख लिया गया है।
टी-शर्ट तो काम आएगी...
लोग लाख नसीहत दें कि विवेक से अच्छे से सोच-विचार कर मतदान करें, लेकिन तात्कालिक लाभ का असर तो वोटिंग पर पड़ता ही है। जब चुनाव मैदान में उतरे मुख्य मुकाबले वाले दल पैसे खर्च करते हैं तो कई जरूरतमंदों का भला हो जाता है। यह तस्वीर किसी मजदूर की है जो सोशल मीडिया पर वायरल है। भाजपा को प्रचार मिल रहा है, मजदूर को टी- शर्ट मिल गई। दोनों का भला हो रहा है।
स्वागत को लेकर कहा-सुनी
रायपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली बलौदाबाजार विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा की जीत हुई। राज्य बनने के बाद हुए चुनावों में यह उसकी दूसरी जीत है। भाजपा को सुहेला और तिल्दा से बढ़त मिली थी। इस क्षेत्र के विधायक टंकराम वर्मा तिल्दा से आते हैं और उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। भाजपा यह लीड बनाए रखने की ही नहीं, बल्कि उसमें कुछ जुडऩे की उम्मीद लेकर चल रही है। इसी बीच कार्यकर्ताओं के बीच मनमुटाव सामने आ रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कल पार्टी प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के प्रचार के लिए बलौदाबाजार पहुंचे थे। सुहेला और तिल्दा के कार्यकर्ता और समर्थक भी सभा में पहुंचे। पर मुख्यमंत्री के जाने के बाद बखेड़ा खड़ा हो गया। सुहेला से पहुंचे कार्यकर्ताओं ने संगठन के पदाधिकारियों पर जमकर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि सीएम के स्वागत के लिए सुहेला इलाके से पहुंचे पार्टी कार्यकर्ताओं को मंच पर नहीं बुलाया गया। बलौदाबाजार से तो लीड मिलती नहीं पर यहीं के लोग पूरे कार्यक्रमों में हावी रहते हैं। उनका यह भी आरोप था कि मंत्री को भी प्रचार अभियान में किनारे लगाने की कोशिश की जा रही है। वैसे तो भाजपा सभी 11 सीटों पर जीत के दावे कर रही है, पर जिन्हें लेकर निश्चिंत है उनमें रायपुर सीट शामिल है। उम्मीद है अनुशासित लोगों की पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर कर लेंगे।