राजपथ - जनपथ
रेल के मुद्दे पर पड़ेंगे वोट?
रेलवे को देश में सर्वाधिक आमदनी देने वाला जोन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में है। इसके बावजूद रेल सुविधाओं के नाम पर यहां की जनता के साथ छलावा हो रहा है। अब तो नई ट्रेन शुरू करने की बात ही नहीं होती। लोग यही मना रहे हैं कि जो ट्रेन निर्धारित हैं वे अचानक निरस्त न हों और घंटों विलंब से न चलें। कोविड काल के बाद सैकड़ों ट्रेनों को रद्द कर दिया गया था। बहुत से छोटे स्टेशनों में ठहराव समाप्त कर दिया गया था। इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई तो स्थिति में कुछ सुधार हुआ, हालांकि अब भी कई स्टेशनों में स्टापेज दोबारा शुरू नहीं हुए हैं। कोविड काल के समय से ही ट्रेनों की लेटलतीफी बढ़ गई है। इस समय चुनाव का मौसम है। जिन शेष 7 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है, लगभग सभी में ट्रेनों का परिचालन होता है। दूसरी ओर अभी एक सप्ताह से ज्यादा समय से ट्रेनों के घंटों विलंब से चलने के कारण यात्री त्रस्त हैं। कल पुणे-हावड़ा आजाद हिंद एक्सप्रेस 20 घंटे देर से चल रही थी। शालीमार, उत्कल, गोंदिया-बरौनी जैसी ट्रेन स्थायी रूप से घंटों विलंब से चलती हैं। मगर, शायद रेलवे को लगता है कि मतदाता समय पर ट्रेनों को चलाने में नाकामी को लेकर वोट नहीं करती। विधानसभा चुनाव के समय इस मुद्दे पर कांग्रेस ने रेल रोको आंदोलन भी चलाया था। कई कांग्रेस नेता एफआईआर दर्ज होने के बाद अब कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। रायपुर के कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय भाटापारा, तिल्दा आदि में संपर्क के दौरान इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। बिलासपुर में तो हमर राज पार्टी के प्रत्याशी सुदीप श्रीवास्तव ने रेलवे की मनमानी को ही प्रचार अभियान का प्रमुख मुद्दा बना रखा है। पर रेलवे इस बात से निश्चिंत और इस बात से खुश है कि वह लदान में नए कीर्तिमान बना रहा है।
ट्रैफिक का नया प्रयोग भारी पड़ा
बस्तर में पहले चरण में ही मतदान हो चुका है, इसलिये कोई फैसला जनता को नाराज करे तो भी उसका प्रशासन पर असर नहीं होना है। ऐसा ही एक फैसला लेकर 3 मई से शहर के एसबीआई चौक से चांदनी चौक के बीच सडक़ को एकांगी मार्ग घोषित कर दिया गया। पांच साल पहले भी इसी तरह का फैसला लिया गया था, तब यह पता चला था कि समाधान यह नहीं है। यहां होने वाले ट्रैफिक जाम से बचने का रास्ता यह निकाला गया कि ट्रैफिक वन वे कर दिया गया। पहले ही दिन पता चल गया कि इससे तो परेशानी पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है। एंबुलेंस भी फंस गई। व्यापारी कह रहे हैं कि क्या अपना व्यापार बंद कराने के लिए हमने भाजपा को जिताया था। दरअसल, जाम की स्थिति से बचने के लिए मुख्य मार्ग पर स्थित शराब दुकान को हटाने की मांग की जा रही है। पर, जैसा कि होता है कि जैसे किसी धार्मिक स्थल को जल्दी नहीं हटाया जाता, शराब की दुकानें भी हटाने से प्रशासन ने तमाम नियमों का हवाला देते हुए मना कर दिया।
ट्रक पर स्लोगन
एक ट्रक पर लिखे इस स्लोगन में हिंदी, अग्रेजी और गणित तीनों ही लिपि का इस्तेमाल किया गया है। उम्मीद है कि क्या लिखा गया है, आप समझ रहे हैं।