राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : संघ की सोच का विमर्श
29-Jul-2024 4:15 PM
राजपथ-जनपथ : संघ की सोच का विमर्श

संघ की सोच का विमर्श

आरएसएस से जुड़ी इंडिया फाउंडेशन की दो दिनी बैठक पिछले दिनों  बस्तर के चित्रकोट के एक रिसॉर्ट में हुई। फाउंडेशन के प्रमुख राम माधव हैं, जो कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं। फाउंडेशन ने यंग थिंकर्स मीट का आयोजन किया था जिसमें आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित देश के अलग-अलग क्षेत्र के युवा विशेषज्ञों ने शिरकत की। 

विशेषज्ञों ने देश में वर्तमान में चुनौतियों, और अन्य समस्याओं पर चर्चा की। इसमें सरकार के मंत्री ओ.पी.चौधरी भी मौजूद थे। उन्होंने भी अपने विचार रखे। यंग थिंकर्स मीट को बस्तर आईजी के.सुंदरराज, और कलेक्टर के.विजय दयाराम ने भी संबोधित किया, और नक्सलवाद व अन्य समस्याओं पर चर्चा की।

राम माधव और यंग थिंकर्स मीट में आए प्रतिभागी बारसूर और अन्य स्थानों का भ्रमण किया। राम माधव सुरक्षा बलों के कैम्प में भी गए। इंडिया फाउंडेशन केन्द्र सरकार को समय-समय पर अलग-अलग विषयों को लेकर सुझाव देती है। चित्रकोट के रिसॉर्ट से क्या कुछ निकला है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा। 

चुनाव सिर पर, इंचार्ज विदेश में  

नगरीय निकाय चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन इसको लेकर राजनीति गरम है। वार्डों के परिसीमन को लेकर कई नेता हाईकोर्ट भी गए हैं, और राजनांदगांव समेत चार निकायों के परिसीमन पर रोक भी लग गई है। इन सबके बीच राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह विदेश दौरे को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। 

अजय सिंह अपने पारिवारिक सदस्यों से मिलने अमेरिका गए हैं। उनके 6 या 7 अगस्त को लौटने की उम्मीद है। उनके नहीं होने से कई अहम विषयों पर फैसला रूका हुआ है।  मसलन, निकाय चुनाव बैलेट से होंगे या ईवीएम से। यही नहीं, परिसीमन से जुड़े विवाद पर फैसला होना है।  

राज्य सरकार के भीतर मेयर-अध्यक्ष के सीधे चुनाव को लेकर सहमति बन गई है लेकिन इसके लिए आयोग से मशविरे के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। इसके लिए अध्यादेश लाया जा सकता है। बहरहाल, अजय सिंह के आने के बाद ही इन सब पर कोई फैसला होने की उम्मीद है। 

सुन्दरराज एनआईए की ओर  

बस्तर आईजी के.सुंदरराज का केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना तय हो गया है। उनकी पोस्टिंग एनआईए में हो रही है। सुंदरराज ने नक्सलियों के खात्मे के लिए बड़ा अभियान चलाया है। इसमें केन्द्रीय सुरक्षा बलों की भी पूरी भागीदारी है। इस पूरे अभियान को काफी हद तक सफलता भी मिल रही है। सुंदरराज राज्य बनने के बाद बस्तर इलाके में सबसे ज्यादा समय तक काम करने वाले अफसर हैं। 

सुंदरराज की पोस्टिंग पहले पुलिस अकादमी में हो रही थी, लेकिन अब केन्द्र सरकार उन्हें एनआईए में ला रही है। चर्चा है कि पखवाड़े भर के भीतर उन्हें रिलीव किया जा सकता है। सुंदरराज के अलावा राज्य के दो डीआईजी स्तर के अफसर डी.श्रवण और आर.एन.दास की भी प्रतिनियुक्ति को राज्य सरकार ने सहमति दे दी है। दोनों अफसर भी एनआईए में जा सकते हैं। बहरहाल, अगले महीने पुलिस में बड़ा फेरबदल होने के आसार हैं। इसकी वजह यह भी है कि डीजीपी अशोक जुनेजा रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह नए डीजीपी की नियुुक्ति होगी। इन सबकी वजह से एडीजी-आईजी स्तर के अफसरों के भी प्रभार बदले जाएंगे। 

कर्मचारी संगठन आंदोलन की ओर

विपक्ष में रहने के दौरान किए गए वायदों को सरकार बन जाने के बाद पूरा करने में बड़ी समस्याएं होती है। अधिकारी-कर्मचारियों से जुड़ी अधिकांश मांगें वित्तीय संसाधनों से जुड़ी होती है। विपक्ष में होने के दौरान यह खयाल नहीं किया जाता कि सरकार बनेगी तो कैसे धन की व्यवस्था होगी। जब कांग्रेस की सरकार थी तो शिक्षा कर्मियों के संविलियन, ओल्ड पेंशन स्कीम, बेरोजगारी भत्ता जैसी मांगों को पूरा करने में उसे बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। बेरोजगारी भत्ता में तो मापदंड कठोर किए गए और अगले चुनाव के कुछ पहले ही अमल में लाना पड़ा। कई वादे तो पूरी हो भी नहीं पाई। जैसे- समयबद्ध चार स्तरीय वेतनमान, महंगाई भत्ते, डीए को केंद्र सरकार के आसपास लाना। इन मांगों के पूरा नहीं होने पर भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए कर्मचारी संघों को आश्वस्त किया था। भाजपा का हर वादा मोदी के नाम की गारंटी रहा है। अब सरकार बने जब 7-8 माह हो रहे हैं, उनमें असंतोष बढ़ रहा है। वे अगले महीने से आंदोलन की रणनीति बना चुके हैं। भाजपा के चुनावी नारे, अब नई सहिबो, बदल के रहिबो की तर्ज पर उन्होंने नारा गढ़ा है- अब नई सहिबो, ले के रइबो।

मौत का दुख, रास्ते का कष्ट

प्रियजनों की मौत जब भी हो, दुख तो होता है पर उनके अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट तक जाने का रास्ता ही नहीं हो तो कष्ट और दुख और भारी पडऩे लगता है। यह अकलतरा जनपद पंचायत के एक बड़े ग्राम पोड़ी दलहा की तस्वीर है। यहां सतनामी समाज की एक महिला की मौत हो गई तो उसके परिजन श्मशान गृह तक जाने के लिए कीचड़ भरे रास्ते और खेतों के बीच से गुजर रहे हैं। वजह यह सामने आई है कि श्मशान घाट पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है। सूखे मौसम में तो कोई रास्ता निकाल लिया जाता है, पर बारिश के दिनों में वहां तक पहुंचना कष्टदायक हो जाता है।

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