राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सोशल मीडिया का असर
14-Aug-2024 3:55 PM
राजपथ-जनपथ : सोशल मीडिया का असर

सोशल मीडिया का असर  

किसी भी निजी या सरकारी संस्थान की सफलता, प्रगति के लिए सबसे आवश्यक होता है वर्क कल्चर कामकाज का वातावरण, माहौल। जो तनाव रहित, दोस्ताना हो। वर्ना सब मटियामेट, टालमटोल, ढिलाई का बोलबाला रहना तय है। और इस दौर में देखे तो इन गुणों के साथ यूट्यूब, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट भी सबसे दुर्गुण साबित हो रहे हैं। हम सब इसलिए कह रहे हैं कि राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के कामकाजी माहौल की पूरे मंत्रालय परिसर में चर्चा है। जहां के स्टाफ ने आपसी सहयोग से एक छोटा सा साउंड सिस्टम लगाया है। और उसे मोबाइल से कनेक्ट कर मनपसंद गाने धीमे स्वर में सुनते हैं और साथ में नस्तियों दस्तावेजी पन्ने पलटते रहते हैं। साहबों की डांट मो रफी के गीत के बोल की तरह धुएं में उड़ाते चलते हैं। वैसे यह प्रयोग पूर्व संस्कृति संचालक राजीव श्रीवास्तव कर चुके हैं। जिसे उन्होंने म्यूजिक थेरेपी का नाम दिया था। वहीं दूसरे विभागों के  कर्मी और कुछ छोटे अधिकारी डेस्कटॉप, मोबाइल पर फिल्में, यूट्यूब के वायरल क्लिपिंग के साथ ऑनलाइन गेमिंग खेलते देखे जा सकते हैं।

कांग्रेस में क्या बदलाव?

चर्चा है कि कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव पर मंथन हो चुका है। कहा जा रहा है कि करीब आधा दर्जन राज्यों के प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, और एआईसीसी के सचिवों की लिस्ट आने वाली थी। छत्तीसगढ़ में तो प्रभारी सचिव चंदन यादव को 6 साल से अधिक हो चुके हैं। इससे परे प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट छत्तीसगढ़ में काम करने की अनिच्छा जता चुके हैं। वीरप्पा मोइली कमेटी की रिपोर्ट के बाद सूची जारी होने की अटकलें लगाई जा रही थी। मगर बदलाव के आसार फिलहाल कम दिखाई दे रहे हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही जारी हो सकती है। हालांकि कई नेताओं का अंदाजा है कि 15 अगस्त के बाद कम से कम प्रभारी और एआईसीसी सचिवों की सूची जारी हो सकती है। देखना है आगे क्या होता है। 

‘आप’ और अगले चुनाव 

नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस, और भाजपा से परे आम आदमी पार्टी व अन्य कुछ दल दमखम चुनाव मैदान में उतरेंगे। इनमें से आम आदमी पार्टी की तैयारी कुछ बेहतर है, और पार्टी के प्रमुख नेताओं ने जिलेवार बैठक लेना भी शुरू कर दिया है। 

एक संभावना है कि नगरीय निकाय के साथ-साथ पंचायत के चुनाव  भी होंगे। इन सबको देखते हुए अन्य दलों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी। अन्य दलों के नेताओं को उम्मीद है कि नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव लडऩेे से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार होगी। देखना है कि आम आदमी पार्टी और अन्य दल कैसे निकाय और पंचायत का चुनाव लड़ते हैं। 

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