राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : विक्की डोनर जैसे किस्से
31-Jul-2024 2:30 PM
राजपथ-जनपथ : विक्की डोनर जैसे किस्से

विक्की डोनर जैसे किस्से

मोबाइल फोन पर निजी और ग्रुप संदेश भेजने के लिए टेलीग्राम नाम का एक एप्लीकेशन दुनिया भर में लोकप्रिय है, और कई देशों में तो फौज के मामलों में भी टेलीग्राम पर ऐसे ग्रुप बने हुए हैं जिनसे वहां की गोपनीय जानकारी भी जनता के बीच आते रहती है। टेलीग्राम के संस्थापक और सीईओ पावेल डुरोव ने अभी औपचारिक रूप से यह जानकारी साझा की कि दुनिया में उनके सौ से अधिक बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी शादी नहीं हुई है, लेकिन एक दोस्त दम्पत्ति के लिए उन्होंने जब अपने शुक्राणु दान किए, तो उस लैब ने उनसे अनुरोध किया कि दुनिया में और भी बहुत से लोगों के बच्चे नहीं हैं, और वे चाहें तो उनके शुक्राणु और लोगों को भी दिए जा सकते हैं। उनकी इजाजत के बाद अब लैब ने बताया है कि 12 देशों में उनके स्पर्म से सौ से अधिक बच्चे हो चुके हैं। लोगों को याद होगा कि एक हिन्दी फिल्म विक्की डोनर ऐसे ही मुद्दे पर बनी थी, हालांकि उसमें स्पर्म बेचकर यह किरदार खासा पैसा कमा रहा था। 

इससे छत्तीसगढ़ में भी स्पर्म के कारोबार की तरफ ध्यान जाता है, और एक-एक आईवीएफ सेंटर के जुर्म अब सामने आते जा रहे हैं। यह कारोबार हर महीने करोड़ों की कमाई का है, इसलिए जाहिर है कि इसके खिलाफ जांच भी आसानी से तो आगे बढ़ नहीं सकती। हिन्दुस्तान में अभी भी शुक्राणु दान की जागरूकता लोगों में नहीं है, और बहुत से आईवीएफ सेंटर, या ऐसे नर्सिंग होम पेशेवर लोगों से उनका वीर्य खरीदते हैं, और जिस तरह खरीदा हुआ खून लोगों को चढ़ाया जाता है, उसी तरह खरीदे हुए शुक्राणु इस्तेमाल किए जाते हैं। अब यहां तो रिकॉर्ड रखने की कोई जरूरत रहती नहीं है, इसलिए फर्जी जानकारियां भरकर भी दानदाताओं के नाम, या बेचने वालों के नाम कुछ भी डाल दिए जाते हैं, और एक ही पिता की बहुत सी संतानें आसपास घूमती हुई हो सकती हैं। कम से कम एक पैथालॉजी लैब की जानकारी हमारे पास है जहां पर कोई स्वस्थ शुक्राणु-दानदाता न मिलने पर वहीं के लैब तकनीशियन अपना ही वीर्य अस्पताल भेज देते थे। लैब की भी कुछ किस्म की बचत हो जाती थी, क्योंकि वही टेक्नीशियन रहने से हर दिन उतनी सारी जांच करने से लैब बच जाता था। 

नए कानून से बदला माहौल

देश में ट्रिपल तलाक के खिलाफ 2019 में मोदी सरकार ने जो कानून बनाया है, उसका इस्तेमाल जुल्मी मुस्लिम मर्दों के खिलाफ हर दिन कहीं न कहीं होता है। आज ही एक अखबार में रायपुर के एक वकील की तरफ से नोटिस छपा है कि एक मुस्लिम मर्द ने अपनी बीवी के रिश्तेदार को फोन करके कहा कि वह बीवी को तलाक दे रहा है, और फोन कॉल सुनने वाले को उसने गवाह करार दिया। इसके खिलाफ बीवी की तरफ से मुस्लिम महिला अधिनियम 2019 के तहत उसके वकील ने नोटिस भेज दिया है, और याद दिला दिया है कि यह आपराधिक हरकत है। इस कानून के बनने के पहले तक तो ऐसी जागरूकता की कोई गुंजाइश थी नहीं। 

कुर्सी बचाने की लड़ाई

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद ऐसे कई नगरीय निकायों में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिनमें कांग्रेस का नेतृत्व था। अब अगले चुनाव की तैयारी शुरू होने के बाद इस सिलसिले पर थोड़ी रोक लग गई है। इधर, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अभी समय है। शेड्यूल के मुताबिक यह जनवरी 2025 में होगा। ऐसे में कुछ जनपद पंचायतों पर काबिज कांग्रेसियों को अपनी कुर्सी बचाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रशासन का झुकाव भी सत्ता पक्ष की ओर दिखाई देता है। बेमेतरा जिले के नवागढ़ में जनपद  अध्यक्ष अंजली मारकंडे विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। प्रस्ताव गिर गया और कुर्सी बच गई। इसके बाद अध्यक्ष के विरुद्ध मिली शिकायत की अपर कलेक्टर के कोर्ट ने जांच की और अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ अध्यक्ष हाईकोर्ट से स्थगन लेकर आ गईं। मामले की सुनवाई कमिश्नर के कोर्ट में हुई। इसके बाद कलेक्टर ने पिछले हफ्ते फिर उन्हें नए आधार पर पद से हटाने का आदेश दे दिया। अध्यक्ष फिर हाईकोर्ट पहुंचीं, फिर स्थगन मिल गया है। अब अध्यक्ष के पति के खिलाफ जनपद सीईओ ने थाने में लिखित शिकायत दी है। फिलहाल तो कुर्सी बची हुई है।

बल्ले बल्ले 

अब तक राज्य में देश के मुख्य राज्यों के महामहिम पदस्थ होते रहे हैं। सो अफसरों की लॉबी को उनसे संबंध बनाने और निकटता बढ़ाने में दिक्कत नहीं होती थी। क्योंकि अधिकांश अफसर भी इन्हीं राज्यों के हैं। इनमें उत्तर और दक्षिण भारत, मध्य क्षेत्र के महामहिम के साथ अफसरों की अच्छी पकड़ रही। निवर्तमान ने भी कुछ रिटायर्ड के लिए  सीईओ जैसे पद बना डाले। सो नए महामहिम के आते ही अफसरों में हलचल बढ़ गई है। वे उत्तर पूर्वी राज्य से आते हैं। और यहां के एक अफसर को छोड़ पूरी लॉबी का दूर दूर तक संबंध नहीं है और सभी फिलहाल उनसे असम कनेक्शन की तलाश करने लगे हैं। लेकिन उनमें से एक अफसर की बल्ले बल्ले हो गई है। साहब असम मूल के ही हैं। आते ही मुलाकात भी कर ली और फेसबुक पोस्ट भी कर दिया। साहब ने लिखा— असमवासी होने की वजह से यह मेरे लिए  गौरव और सौभाग्य का पल भी। हमने असमी भाषा में ही औपचारिक बातें की। मैंने सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं...! अब देखना है कि साहब को कितना रिटर्न गिफ्ट मिलता है। दरबार हाल में ही लोग कहने लगे वो प्रमुख सचिव बन सकते हैं।

हो गए रिटायर अब संविदा की दौड़

रायपुर कमिश्नर डॉ. संजय अलंग बुधवार को रिटायर हो गए। डॉ. अलंग साहित्यकार भी हैं, और उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। उनकी साख अच्छी रही है। वे रायपुर से पहले बिलासपुर कमिश्नर रह चुके हैं। 

रिटायरमेंट के बाद सरकार उनका क्या कुछ उपयोग करती है, यह देखना है। इससे परे खनिज विभाग के एक ताकतवर अफसर भी रिटायर हो गए। खनिज अफसर ने संविदा नियुक्ति के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया है। लेकिन उन्हें संविदा मिलेगी अथवा नहीं, यह साफ नहीं है। इसकी वजह यह है कि पिछली सरकार में खनिज में काफी गड़बड़-घोटाला हुआ था। कई अफसर-व्यापारी अभी जेल में हैं। चर्चा है कि खनिज अफसर सीधे तौर पर किसी मामले से जुड़े नहीं थे। इसलिए उन पर कोई आक्षेप नहीं लगा। इन सबको देखते हुए खनिज अफसर को संविदा नियुक्ति मिलेगी या नहीं, यह देखना है। 

सडक़ पर धान की खेती

छत्तीसगढ़ की सडक़ों की खराब स्थिति पर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पीडब्ल्यूडी और नगर-निगम को हाईकोर्ट की फटकार लग रही है। वहां तो स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे पर सुनवाई चल रही है। पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और खराब है। मस्तूरी में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत सन् 2004 में, यानि 20 साल पहले बनाई गई सडक़ की एक भी बार मरम्मत नहीं हुई। नतीजतन, इस बारिश में खेत और सडक़ की दलदल में कोई अंतर नहीं रह गया है। ग्रामीणों से वोट लेते समय वादा किया गया था कि अगली बारिश से पहले सडक़ सुधार दी जाएगी, नहीं सुधरी तो उन्होंने खेतों की तरह सडक़ में ट्रैक्टर चलाकर व धान की रोपाई कर विरोध प्रदर्शन किया। दो दिन पहले सूरजपुर में भी ऐसा ही करके रोष जताया गया था। मगर, यह सब अकेले छत्तीसगढ़ में नहीं हो रहा है। इसमें जो तस्वीर दिखाई गई है वह राजस्थान के बूंदी जिले की है।

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