राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : वीरेन्द्र पांडेय के सवाल
11-Aug-2024 3:55 PM
राजपथ-जनपथ : वीरेन्द्र पांडेय के सवाल

वीरेन्द्र पांडेय के सवाल

आईपीएस के 89 बैच के अफसर अशोक जुनेजा को छह माह का सेवा विस्तार दिए जाने के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है। जुनेजा 4 अगस्त को डीजीपी के पद से रिटायर होने वाले थे। उनकी सेवावृद्धि पर राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पांडेय ने सवाल खड़े किए हैं, और फेसबुक पर लिखा भी है।

उन्होंने लिखा कि भाजपा सरकार ने डीजीपी अशोक जुनेजा ने छह महीने का कार्यकाल सेवानिवृत्ति के बाद और दे दिया। ये वही व्यक्ति हैं जिन्हें भूपेश बघेल ने रमन सिंह की सरकार द्वारा नियुक्त डीजीपी अवस्थी को कार्यकाल पूरा करने के पहले हटाकर इन्हें बनाया था। एक ओर भूपेश बघेल ने भाजपा द्वारा नियुक्त पुलिस प्रमुख को हटाकर अपनी पसंद और अपने अनुकूल व्यक्ति को पुलिस विभाग के सर्वोच्च पद पर बिठाया जबकि दूसरी ओर साय ने भूपेश की पसंद के व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद सेवा विस्तार दे दिया।

वीरेन्द्र पांडेय ने आगे लिखा कि अशोक जुनेजा न तो ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, न ही बेहतर पुलिस अफसर के रूप में उनकी पहचान है। मेरी जानकारी में संगठन और सरकार में यह सहमति बन चुकी थी कि जुनेजा को सेवा विस्तार नहीं देना है। फिर क्यों ऐसा किया गया? क्या विष्णु देव की बजाय कोई और कहीं और से निर्णय ले रहा है? यदि ऐसा है तो इस सरकार का भगवान ही मालिक है।

छात्रों से अधिक शिक्षक!!

सरकार ने शिक्षकों-शालाओं के युक्तियुक्तकरण का फैसला लिया है। युक्तियुक्तकरण के चलते विवाद खड़े होने की आशंका है, और ट्रांसफर-पोस्टिंग और अन्य तरह के मामले अदालत पहुंच सकते हैं। इससे पूरी प्रक्रिया बाधित न हो, इसके लिए सरकार ने पहले ही कैवियट दायर कर कर रखा है।

जानकार बताते हैं कि शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण सबसे पहले दिग्विजय सिंह सरकार में हुआ था। तब ज्यादा सरकारी स्कूल नहीं थे। इसलिए ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर ज्यादा विवाद नहीं हुआ, और सब कुछ आसानी से हो गया। क्योंकि फैसला भोपाल से होना था। राज्य बनने के बाद स्थिति बदल गई है। रमन सरकार में भी 2016-17 में युक्तियुक्तकरण हुआ था, लेकिन तब स्कूलों का ही युक्तियुक्तकरण हुआ था। अब स्कूलों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। उस अनुपात में शिक्षक भी बड़े पैमाने पर नियुक्त हुए हैं। शिक्षकविहीन शालाओं में शिक्षक उपलब्ध हो सके, इसलिए युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है।

प्रदेश में साढ़े तीन सौ स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है। इसी तरह साढ़े पांच हजार स्कूलों में अतिशेष शिक्षक हैं। हाल यह है कि जिस महाराणा प्रताप स्कूल में पूर्व स्कूल शिक्षामंत्री और वर्तमान सांसद बृजमोहन अग्रवाल पढ़े थे वहां मात्र सात ही विद्यार्थी हैं। जबकि वहां उससे अधिक शिक्षक हैं। न सिर्फ रायपुर, बल्कि बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, और दुर्ग-भिलाई के सरकारी स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या सबसे ज्यादा है। ये शिक्षक प्रभावशाली परिवारों से आते हैं। ऐसे में उनका तबादला आसान नहीं होगा। अब आगे क्या होता है यह तो युक्तियुक्तकरण के बाद पता चलेगा।

राजनीति में दूरदृष्टि रखना जरूरी

प्रदेश के नगर-निगमों के पांच साल का कार्यकाल तीन महीने में खत्म हो रहा है। अगले चुनाव के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर तैयारी भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में भिलाई में कांग्रेस के तीन पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया है। ये पार्षद तथा कांग्रेस के कुछ और पार्षद पहले ही सामान्य सभा और एमआईसी में वार्ड में विकास कार्यों को लेकर, टेंडर खासकर सफाई ठेके में मनमानी को लेकर विरोध बुलंद करते रहे हैं। अब इस्तीफे के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है। मगर इतनी आसानी से सत्ता परिवर्तन होगा, इसकी संभावना कम है। नगर-निगम भिलाई में भाजपा पार्षद 24 हैं, कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली थी, निर्दलीय पार्षदों की संख्या के चलते जब महापौर का चुनाव हुआ तो उसकी ताकत 46 पार्षदों की हो गई थी। इसके बाद कांग्रेस के दो पार्षदों को अयोग्य ठहरा दिया गया था। फिर एमआईसी की एक बैठक के बाद चार पार्षद कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। वे भाजपा को पहले से समर्थन दे रहे हैं। अब तीन पार्षदों का इस्तीफा और हो गया है। इनका रुख अभी साफ नहीं हुआ है। पर ये भी भाजपा के साथ चले गए तो कांग्रेस की संख्या घटकर 37 रह जाएगी और भाजपा को 31 पार्षदों का समर्थन हासिल हो जाएगा। अभी भाजपा के पास सामान्य बहुमत नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव लाने और पारित कराने के लिए बहुत से पार्षदों को साथ लेना पड़ेगा। नए महापौर का कार्यकाल अत्यंत संक्षिप्त होगा। पर यह कांग्रेस के लिए अगले चुनाव के लिहाज से बड़ा झटका है। कांग्रेस के अनेक पार्षदों को महसूस हो रहा है कि प्रदेश में जिसकी सरकार है, स्थानीय निकायों में उसकी पार्टी की जीत की संभावना है। इसलिए समय से पहले समझदारी भरा कदम उठा लेना चाहिए।

किस राज्य के युवा किस ओर. .

राज्यों के हिसाब से युवाओं के भविष्य का भी आकलन किया जा सकता है। इस सूची में कुछ राज्य और वहां के युवाओं की दिशा क्या हो सकती है, इस बारे में एक अनुमान लगाया गया है। छत्तीसगढ़ का इसमें जिक्र नहीं है। (सोशल मीडिया से) ([email protected])

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