राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : इलाके में मौत, विधायक दावत में
26-Aug-2024 2:32 PM
राजपथ-जनपथ : इलाके में मौत, विधायक दावत में

इलाके में मौत, विधायक दावत में 

दिग्गज कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव को हराकर पहली बार विधायक बने राजेश अग्रवाल इन दिनों भाजपा के ही नेताओं के निशाने पर हैं। इसकी पर्याप्त वजह भी है। 
दरअसल, अंबिकापुर के उदयपुर इलाके के आदिवासी बाहुल्य गांव चैनपुर में उल्टी-दस्त फैला हुआ है। यह इलाका राजेश अग्रवाल के विधानसभा क्षेत्र में ही आता है। उल्टी-दस्त से हफ्तेभर में चार ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। बताते हैं कि राजेश अग्रवाल को भाजपा संगठन के पदाधिकारियों ने सलाह दी, कि तत्काल वो प्रभावित गांव में जाएं, और पीडि़त परिवार को ढांढस बंधाए। साथ ही वहां चिकित्सा व्यवस्था का जायजा भी लें। 

कहा जा रहा है कि राजेश अग्रवाल ने स्थानीय नेताओं को यह कह दिया कि फिलहाल वो जरूरी काम से रायपुर जा रहे हैं, और लौटने के बाद वहां जाएंगे। इसके अगले दिन उनकी फेसबुक पर भाजपा विधायक भावना बोहरा को पंडरिया ने जन्मदिन की बधाई देते तस्वीर सामने आई। इस पर भाजपा नेता बिफर पड़े। सोशल मीडिया पर विधायक के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार भी कर रहे हैं।  

अंबिकापुर के एक प्रमुख भाजपा नेता कैलाश मिश्रा ने फेसबुक पर लिखा कि एमएलए जी आपके क्षेत्र में उल्टी-दस्त से मौत हुई पर आप उस गांव में नहीं गए, और 4 सौ किमी दूर जन्मदिन मनाने चले गए। एक अन्य ने लिखा सरकार बदलने के बाद भी उसका कोई असर नहीं दिखा है। सब पुराने सिस्टम में चल रहा। किसी गांव में चार लोग साफ पानी नहीं मिलने से बीमार होकर मर जाएं, और जनप्रतिनिधि उस गांव में न जाए इससे ज्यादा क्या दुर्भाग्य होगा। 

हालांकि स्थानीय सांसद चिंतामणि महाराज जरूर संवेदनशील निकले और वे तुरंत प्रभावित गांव में जाकर पीडि़त परिवारों से मिले, और लोगों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। मगर राजेश अग्रवाल से स्थानीय नेताओं की नाराजगी बरकरार है। जो देर सबेर उन्हें भारी पड़ सकती है।  

कई परीक्षाओं में धांधली  

पीएससी राज्यसेवा भर्ती परीक्षाओं से परे कई और परीक्षाओं में धांधली के सुबूत मिले हैं। इसी कड़ी में भूपेश सरकार में संस्कृति विभाग में द्वितीय श्रेणी के सात पदों में भर्ती में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। आरटीआई से मिली जानकारी में यह बात सामने आई है कि विभाग के अफसरों ने गलत तरीके से चयनित अभ्यार्थियों को अनुभव प्रमाण पत्र दिए हैं। मीडिया से चर्चा में संस्कृति संचालक ने माना, कि गड़बड़ी की शिकायतों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। 

अंदर की खबर यह है कि पीएससी के जिम्मेदार लोगों के साथ मिलकर विभागीय अफसरों ने पूरी गड़बड़ी की है। कुछ अभ्यार्थियों ने पीएससी से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी, तो पीएससी ने किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया। अब इसके खिलाफ एक अभ्यार्थी ने सूचना आयोग में अपील की है। कुछ लोगों का दावा है कि विभाग के शीर्ष लोग इस गड़बड़ी में संलिप्त हैं। इसकी वजह से प्रकरण की सीबीआई जांच से रोका जा रहा है। 

यही नहीं, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आगमन के दौरान कुछ अभ्यार्थियों ने ट्वीट कर इस फर्जीवाड़े से अवगत कराया है। खुद भाजपा प्रवक्ता उज्जवल दीपक कई बार ट्वीट कर सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं। मगर पिछली सरकार में हुए इस घोटाले की जांच से साय सरकार क्यों परहेज कर रही है, इसकी वजह भी देर सबेर  सामने आ सकती है। 

शिकायतें सुन लेंगे पर सुलझाएंगे कैसे

भाजपा ने कार्यकर्ताओं जन सामान्य की मांग, समस्याएं सुलझाने एक बार फिर प्रदेश कार्यालय में सहायता केंद्र खोला है। इसमें सरकार के मंत्री के साथ संगठन के किसी एक पदाधिकारी की ड्यूटी भी लगाई गई है। अब तक को महामंत्री ही बैठ रहे हैं। लेकिन शुरुआत से अब तक तीन महीनों में  मंत्रियों की बैठक कभी होती है कभी टल जाती है।

वैसे अच्छी पहल है, इसका स्वागत भी होना चाहिए पर भाजपा के कुछ नेता रमन सरकार के समय हुई इस पहल को भी याद करते हैं। उस समय जब कार्यकर्ताओं की भीड़ ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए उमड़ी तो सहायता केंद्र में बैठे संयोजक असहाय हो गए। बाद में बंद करना पड़ा। इसके बाद के कार्यकाल में यह व्यवस्था बंद कर दी गई। कांग्रेस ने भी मंत्रियों के लिए ऐसी व्यवस्था लागू की थी पर सबको पता है कि कार्यकर्ता कितने खुश हुए। 

वैसे एक पदाधिकारी की सलाह यह भी है कि सहायता केंद्र के साथ-साथ गाइडलाइन भी जारी कर देनी चाहिए कि किस तरह की समस्याओं, शिकायतों के लिए लोग वहां पहुंच सकते हैं, जिसमें हल होने की पूरी गारंटी होगी। जहां तक ट्रांसफर पोस्टिंग की मांग आवेदन पर मंत्री यह कहकर बच रहे हैं कि बैन खुलने पर कर देंगे। वे जानते सरकार ने बैन न खोलने का अघोषित निर्णय लिया है।

ओपीएस से किसे कितना नुकसान होगा?

केंद्र में अब से 21 साल पहले न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लाया गया तब इसके पीछे तर्क दिया गया था कि शेयर बाजार में कर्मचारियों की राशि लगेगी तो उन्हें पुरानी पेंशन से भी अधिक रकम रिटायरमेंट पर मिलेगी। इस रकम का प्रबंधन सरकार खुद या उसके द्वारा नियुक्त फंड मैनेजर करते थे। इसका फायदा शेयर मार्केट और उद्योगपतियों को तो मिला लेकिन रिटायर्ड हो रहे कर्मचारियों को पता चल रहा है कि इसमें तो उन्हें बड़ा नुकसान हो गया। पेंशन की राशि बहुत कम बन रही थी। कुछ लोगों को तो 5-6 हजार रुपये ही पेंशन बन रहे थे। आने वाले साल एनपीएस में शामिल किए गए कर्मचारियों के रिटायर होने का होगा। सरकार ने जो रकम शेयर बाजार में लगा दी थी, उसका असर भी तेजी से दिखाई देगा। यह मौजूदा सरकार के प्रति कर्मचारियों में चाहे वे रिटायर बाद में होने वाले हों, असंतष को बढ़ाएगा। यूपीएस को इसी स्थिति को संभालने की कवायद बताई जा रही है।

केंद्र इस नई योजना यूपीएस का जोर-शोर से प्रचार कर रही है। रेलवे को भी इसके प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। मीडिया को यह बताने की तैयारी में लगे एक अधिकारी का कहना था कि जितना शोर हो रहा है, लगता नहीं उतना फायदा हो रहा है। यह नई योजना एनपीएस से कुछ बेहतर जरूर हो सकती है, पर ओपीएस की जगह नहीं ले सकती। ओपीएस में आखिरी सैलरी के आधार पर 50 प्रतिशत पेंशन तय होती थी, ओपीएस में बेसिक सैलरी के आधार पर होगा, जो वास्तव में ग्रास सैलरी का लगभग 45 प्रतिशत ही होता है। इसका 50 प्रतिशत तो ग्रास सैलरी के 25 फीसदी से ज्यादा होगा नहीं। इसके अलावा 25 साल की सेवा भी अनिवार्य कर दी गई है। आयु सीमा में छूट मिलने के कारण कई वर्ग जैसे, महिलाएं, अनुसूचित जाति, जनजाति, रिटायर्ड फौजी, दिव्यांग आदि को नौकरी देर से मिली और यदि वह 25 साल पूरा होने के पहले ही रिटायर हो गया तो उनको इसका फायदा मिलेगा नहीं। फिर भी इसे केंद्र का बड़ा फैसला बताया जा रहा है, तो मानना पड़ रहा है।

देशव्यापी शिक्षक भर्ती संकट

छत्तीसगढ़ के स्कूलों में 33 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं। जाहिर है कि इनमें से अधिकांश खाली पद ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। शहरों के स्कूलों और शिक्षकों को तो युक्तियुक्तकरण के दायरे में लिया जा रहा है, जिनें छात्रों की संख्या कम और शिक्षकों की ज्यादा हो गई है। सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर इन पदों पर भर्ती की राह देख रहे बेरोजगार युवकों ने अभियान चला रखा है। इनकी मांग आज दोपहर इंडिया के टॉप ट्रेंड टॉपिक में चल रही थी।  

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