राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सबको मौका
12-Aug-2024 2:43 PM
राजपथ-जनपथ : सबको मौका

सबको मौका 

स्वतंत्रता दिवस समारोह में पहली बार पूर्व मंत्री अलग-अलग जिलों में परेड की सलामी लेंगे। मसलन, पुन्नूलाल मोहिले अपने गृह जिले मुंगेली के स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। इसी तरह धरमलाल कौशिक जीपीएम, अमर अग्रवाल कबीरधाम, अजय चंद्राकर धमतरी, रेणुका सिंह कोरिया, भैयालाल राजवाड़े सूरजपुर, लता उसेंडी कोंडागांव, विक्रम उसेंडी बीजापुर, और मानपुर मोहला के मुख्य अतिथि राजेश मूणत बनाए गए हैं। पहली बार के विधायक, और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव सुकमा के स्वतंत्रता दिवस समारोह के अतिथि होंगे। 

दरअसल, प्रदेश में 33 जिले हैं। और कुल 9 ही मंत्री हैं। ऐसे में सभी सांसदों और पूर्व मंत्रियों को सरकारी कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया गया है। पिछली सरकार ने दर्जनभर संसदीय सचिव नियुक्त किए थे। संसदीय सचिवों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनाया जाता रहा। साय सरकार में भी संसदीय सचिव नियुक्त करने की चर्चा चल रही थी। लेकिन किन्हीं कारणों से नियुक्ति टल गई। इस वजह से मंत्री बनने से वंचित पूर्व मंत्रियों को जिलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनाए गए। 

छापामार आईटी विंग में 

आयकर विभाग ने तीन दिन पहले पांच दर्जन प्रधान आयुक्त, डीजी इन्वेस्टिगेशन और मुख्य आयुक्तों के प्रमोशन को साथ पोस्टिंग की है।इन सबमें सबसे उल्लेखनीय रायपुर कमिश्नरी यानी सीजी सर्किल के लिए नियुक्त मानी जा रही है। डबल चार्ज में होने के बाद भी यह पोस्टिंग चर्चा में है। प्रसन्न जीत सिंह, प्रभारी डीजी इन्वेस्टिगेशन होंगे। वे दिल्ली के साथ दोहरे प्रभार में रहेंगे। और छत्तीसगढ़ में पडऩे वाले छापों की दिल्ली से ही निगरानी करेंगे। 

विभाग में चर्चा  है कि यह दोहरे प्रभार की नियुक्ति यूं ही नहीं की गई है। वह भी दिल्ली सर्किल के साथ क्लब करते हुए। बताया जा रहा है कि हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ के उद्योगपतियों और नेताओं का दिल्ली और आसपास निवेश बढ़ा है। उनमें नेताओं का निवेश सरकारों में हुए घोटाले की कमाई से। इसके कई तथ्य आयकर से पास हैं। इसलिए यह  किया गया है । जहां तक डीजी सिंह की बात है तो वे मोदी 2.0 में  प्रतिनियुक्ति पर लोकसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव रहे हैं। सो मोदी, शाह, निर्मला से निकटता भी रही है। अब देखना है कि यह चतुर्भुज  आगे क्या करता है।

सिनेमा और समाज के बीच धुंधली लकीर

सहसपुर-लौहारा पुलिस ने एक महिला की हत्या के मामले को 20 दिन बाद सुलझा लिया। महिला ने पहले अपने पति को छोड़ दिया और फिर एक अन्य युवक से संबंध बढ़ा लिए। लेकिन वक्त के साथ, पति और प्रेमी दोनों ही उस महिला से परेशान हो गए। अंतत: उन्होंने मिलकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने अजय देवगन की सुपरहिट फिल्म  ‘दृश्यम’ को पांच बार देखा था, और हत्या की योजना बनाने से लेकर सबूत मिटाने तक की प्रेरणा उसी फिल्म से ली।

यह पहली बार नहीं है जब किसी ने ‘दृश्यम’  से प्रेरणा लेकर अपराध को अंजाम दिया हो। इसी साल मई में महासमुंद की एक शिक्षिका ने भी प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की, और पुलिस को बताया कि उन्होंने भी कई बार ‘दृश्यम’  फिल्म देखकर हत्या की योजना बनाई थी। अप्रैल में कोंडागांव जिले के धनोरा थाना क्षेत्र में एक बैगा की हत्या के बाद शव को दफना दिया गया था। आरोपियों ने इसमें भी ‘दृश्यम’  से प्रेरणा लेने की बात कही थी।

छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर में ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं, जहां अपराधियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने ‘दृश्यम’ फिल्म से सबूत छिपाने के तरीके सीखे। महाराष्ट्र के पालघर में दो बहनों की हत्या करने वाले वन विभाग के एक क्लर्क ने भी यही दावा किया था। इसी तरह, मेरठ में कुछ साल पहले बसपा नेता मुनव्वर हसन और उनके परिवार के 6 सदस्यों की हत्या के मामले में भी आरोपी, उसके बेहद करीबी दोस्त आरोपी ने कबूल किया था कि ‘दृश्यम’  फिल्म से उसे अपराध को अंजाम देने की प्रेरणा मिली।

यह कोई नई बात नहीं है। 80 के दशक में ‘एक दूजे के लिए’ फिल्म के बाद प्रेमी जोड़ों के बीच आत्महत्याओं के मामले बढ़ गए थे। उससे पहले ‘बॉबी’  फिल्म आई, तो लडक़े-लड़कियों के भागने की घटनाएं बढ़ गईं।

फिल्मों को सेंसर बोर्ड से पास होना पड़ता है, जहां हिंसा, सांप्रदायिकता और अश्लीलता जैसे कई मानकों पर उन्हें परखा जाता है। लेकिन कोई फिल्म समाज पर कैसे असर डाल सकती है, इसका अंदाजा शायद बोर्ड के विशेषज्ञ नहीं लगा पाते। रियल और रील लाइफ में बड़ा फर्क है, पर ‘दृश्यम’  से प्रेरित हत्याओं के अपराधी फिल्म के नायक की तरह कानून से बच नहीं पाए। आखिरकार, कानून अपना काम करता ही है।

बीएच सीरीज और झारखंड की गाडिय़ां

बीएच सीरीज, जिसे ‘भारत सीरीज’ भी कहा जाता है, खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई है, जिनकी नौकरी के कारण उन्हें बार-बार अलग-अलग राज्यों में जाना पड़ता है। इस सीरीज का बड़ा फायदा यह है कि इस नंबर प्लेट वाली गाड़ी को किसी भी राज्य में बिना किसी रोक-टोक के चलाया जा सकता है।

बीएच सीरीज का नंबर पाने के लिए आवेदन करना होता है, जो वे लोग कर सकते हैं जिनका जॉब ट्रांसफर अक्सर होता रहता है। जब आप नई गाड़ी खरीदते हैं, तो आपको आधार कार्ड, पहचान पत्र, और विभाग द्वारा दिया गया फॉर्म 60 (वर्किंग सर्टिफिकेट) जमा करना होता है। आधार कार्ड पर जो जिला दर्ज है, उसी जिले से आपको गाड़ी खरीदनी होगी।

बीएच सीरीज प्लेट पर पहले दो अंक गाड़ी की खरीदी का वर्ष दर्शाते हैं, इसके बाद ‘बीएच’ लिखा होता है, जो भारत सीरीज को इंगित करता है। इसके बाद गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर आता है, जो कि सामान्य नंबर प्लेटों की तरह ही होता है।

इस सीरीज को 2021 में शुरू किया गया था ताकि लोग बार-बार नए राज्य में रजिस्ट्रेशन की झंझट से बच सकें। भारत में नियमों के अनुसार, किसी भी दूसरे राज्य की गाड़ी को सिर्फ एक साल के लिए चलाया जा सकता है, लेकिन बीएच सीरीज इस समस्या का समाधान है।

हालांकि, अपने राज्य में रहने वाले इस नियम का पालन नहीं करते। झारखंड में पंजीकृत ( जेएच सीरीज) गाडिय़ां छत्तीसगढ़ की सडक़ों पर सालों से बिना किसी दिक्कत के दौड़ती हैं। इसका कारण यह है कि झारखंड में रोड टैक्स और अन्य टैक्स कम हैं, जिससे हजारों रुपये की बचत हो जाती है। खासकर, रायगढ़, जशपुर, और अंबिकापुर के लोग वहां से गाडिय़ां खरीदकर लाते हैं। बीएच नहीं तो सीजी सीरिज तो उन्हें लेना ही चाहिए, पर सब चल रहा है। ([email protected])

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