राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कौन मंत्री, कौन प्रदेशाध्यक्ष?
27-May-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कौन मंत्री, कौन प्रदेशाध्यक्ष?

भूपेश कैबिनेट के एक रिक्त पद के लिए कई विधायकों की दावेदारी मजबूत हो गई है। इनमें से अमरजीत भगत और रामपुकार सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। दोनों ही लोकसभा चुनाव में अपनी सीट से पार्टी प्रत्याशी को बढ़त दिलाने में सफल रहे। वैसे तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू, सत्यनारायण शर्मा और अमितेश शुक्ल का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता रहा है। तीनों कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर नाराजगी भी जता चुके हैं। मगर, लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उनकी दावेदारी कमजोर कर दी है। 

धनेन्द्र लोकसभा का चुनाव हार गए। जबकि सत्यनारायण शर्मा के क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी बुरी तरह पिछड़ गए। सत्यनारायण के क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को सर्वाधिक 63 हजार से अधिक मतों की बढ़त मिली। इसी तरह अमितेश भी अपने यहां से बढ़त दिलाने में विफल रहे। और शायद इसी बात को ढांकने के लिए राजिम विधानसभा के बहुत से कांगे्रस पदाधिकारियों ने धनेन्द्र पर ही आरोप लगाते हुए पद छोड़ दिए हैं। 

सुनते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी जल्द नियुक्ति होगी। भूपेश ने पार्टी हाईकमान को अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अमरजीत भगत को कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। 

जीत से दिक्कत टली
मी टू मामले में फंसे नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को फिलहाल राहत मिल गई है। वजह यह है कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली है। आरोप लगने के बाद से कौशिक मीडिया के सामने नहीं आ रहे थे, लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद पार्टी दफ्तर में चहकते दिखे। पार्टी हाईकमान के पास कौशिक के खिलाफ शिकायतों पर चर्चा की फुर्सत नहीं है। पार्टी के रणनीतिकार केन्द्र में सरकार गठन की तैयारियों में जुटे हैं। इन सबके बावजूद प्रदेश संगठन के एक प्रमुख पदाधिकारी ने महामंत्री (संगठन) को कौशिक के प्रकरण को गंभीरता से लेने की सलाह दी है और उन्हें पार्टी हाईकमान से चर्चा करने का आग्रह किया है। हालांकि, कौशिक के खिलाफ आरोपों से जुड़ी वीडियो और अन्य सामग्री पहले ही हाईकमान को भेजी जा चुकी है। भाजपा विधायक दल के कई सदस्य कौशिक को तुरंत पद से हटाने के पक्ष में बताए जाते हैं। बावजूद इसके हाईकमान तुरंत कोई फैसला लेगा, यह नजर नहीं आ रहा है। देश और प्रदेश में भाजपा की भारी जीत कौशिक को किसी खतरे से फिलहाल तो बचा ले गई है।

जांच के बाद भी कुसूरवार...
प्रदेश में सबसे कमाऊ कुर्सियों में से एक, दुर्ग के आरटीओ एक मुसीबत में फंसे। अपने बेटे की एक फिल्म पूरे दफ्तर को दिखाने के लिए दफ्तर में ताला डालकर सबको ले गए, और इसकी शिकायत पर परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जांच के आदेश दिए हैं। जांच हो गई, रिपोर्ट आ गई, लेकिन कार्रवाई के आदेश होने पर भी वह फाईल ऊपर, नीचे, दाएं, बाएं, कई जगह सोच-समझकर भेजी जाती रही, और कुल मिलाकर आरटीओ को फिलहाल तो जानबख्शी मिल गई दिखती है। अगर कोई फाईल को देखे, तो साफ समझ आ जाएगा कि कैसे-कैसे इस कुसूरवार अफसर को बचाया गया। और बचाने में फाईल से परे की ताकतें भी लगी रहीं जिसका एक ऑडियो-सुबूत दुर्ग जिले में ही मौजूद है। हो सकता है कि चुनाव आचार संहिता के चलते यह काम भी थमा हुआ हो, लेकिन यह ऑडियो रिकॉर्डिंग फैली, तो सवाल उठेगा कि ऐसे अफसर को हटाने में आचार संहिता तो आड़े आ नहीं रही थी। मुख्यमंत्री का अपना जिला ऐसा मामला दर्ज कर रहा है। आगे-आगे देखे होता है क्या।
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