राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कांग्रेस में चारों तरफ खुशी की लहर
28-May-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कांग्रेस में चारों तरफ खुशी की लहर

भारतीय चुनावी राजनीति इतने दिलचस्प रहती है कि उस पर रोजाना अनगिनत लतीफे बनते हैं, और लाखों लोगों को मौका मिलता है कि वे उन्हें अपने नाम से आगे बढ़ाते चलें। अब हरियाणा को लेकर एक लतीफा तीन दिन पहले सामने आया, और उसके देखा-देखी लोगों ने बाकी प्रदेशों पर भी ऐसे लतीफे गढ़ लिए।
हरियाणा
हरियाणा के बारे में किसी मजेदार इंसान ने लिखा- 
सुरजेवाला खुश है कि हुड्डा नाम का कांटा निकाल दिया। 
हुड्डा खुश है कि अशोक तंवर हार गया।
अशोक तंवर खुश है कि शैलजा हार गई।
शैलजा खुश है कि कुलदीप विश्नोई का बेटा हार गया। 
कुलदीप विश्नोई खुश है कि सारी चौटाला फैमिली हार गई।
चौटाला फैमिली खुश है कि राहुल गांधी भी हार गया। 
नवीन जिंदल खुश है कि चुनाव नहीं लड़ा। 
हारी गई तमाम सीटों पर बाकी कांग्रेसी खुश हैं कि अगली बार उनकी बारी उम्मीदवारी के लिए आ सकती है।
कुल मिला के हरियाणा में खुशी का माहौल है।
मध्यप्रदेश
इसके बाद किसी ने मध्यप्रदेश के ऊपर इसे ढाल दिया और लिखा-
कमलनाथ खुश हैं कि दिग्विजय और ज्योतिरादित्य दोनों निपट गए, और अपना बेटा किसी तरह खींचतान कर निकल गया।
दिग्विजय सिंह खुश हैं कि ज्योतिरादित्य चुनाव में निपट गया, और कमलनाथ का पूरा प्रदेश निपट गया, और राहुल गांधी के सामने बेटे की वजह से कमलनाथ खुद भी निपट गया।
ज्योतिरादित्य खुश हैं कि दिग्विजय भी निपटे, और मुख्यमंत्री की हैसियत से कमलनाथ भी। पार्टी अध्यक्ष की हैसियत से भी कमलनाथ निपट गए, और अर्जुन सिंह का बेटा राहुल भी निपट गया। आखिर में उनके खुद के अध्यक्ष बनने के आसार भी आ गए।
दिग्विजय, ज्योतिरादित्य, राहुल सिंह, सभी खुश हैं कि कमलनाथ के बेटे की लीड एकदम शर्मनाक है, और मुख्यमंत्री पर पुत्रमोह में अंधे होने की तोहमत कांग्रेस कार्यसमिति में लगी है।
ये सभी नेता खुश हैं कि राहुल गांधी भी हार गए, और अब किसी का भी कुछ बोलने का मुंह बचा नहीं है, और अगर नया कांग्रेस अध्यक्ष बनना है तो हर कोई अपनी बारी मानकर चल रहा है।
कांग्रेस के सभी उम्मीदवार खुश हैं कि बाकी सभी 28 में से 27 उम्मीदवार भी हार गए हैं, और अकेले वे नाकामयाब नहीं रहे।
हारी गई तमाम सीटों पर बाकी कांग्रेसी खुश हैं कि अगली बार उनकी बारी उम्मीदवारी के लिए आ सकती है।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद से मध्यप्रदेश में सभी कांग्रेस नेता खुश हैं, और चारों तरफ खुशी का माहौल है।
छत्तीसगढ़
अब छत्तीसगढ़ को देखें, तो यहां टी.एस. सिंहदेव खुश हैं कि भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू के गृह जिले में कांग्रेस सबसे बुरी तरह हारी है, और पौने चार लाख से अधिक की लीड भाजपा को मिली है।
भूपेश बघेल खुश हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव की एक सीट को उन्होंने दोगुना कर दिया है, जबकि मध्यप्रदेश में दो सीटें घटकर एक हो गई हैं। वे इसलिए भी खुश हैं कि टी.एस. सिंहदेव के सरगुजा में भी कांग्रेस निपट गई, और ताम्रध्वज साहू कहीं भी साहू वोट कांग्रेस को नहीं दिला पाए, धनेन्द्र साहू और भोलाराम साहू दोनों हार गए। वे इसलिए भी खुश हैं कि टी.एस. सिंहदेव को जिस ओडिशा का प्रभारी बनाया गया था, वहां कांग्रेस का सफाया हो गया है।
ताम्रध्वज साहू इसलिए खुश हैं कि भूपेश बघेल की पसंद पर प्रतिमा चंद्राकर और अटल श्रीवास्तव को टिकट मिली थी, और दोनों हार गए। वे इसलिए भी खुश हैं कि सरगुजा और ओडिशा दोनों जगह कांग्रेस की हार की तोहमत टी.एस. सिंहदेव पर लगेगी। वे इसलिए भी खुश हैं कि राहुल गांधी के सामने अब यह आसानी से साबित हो जाएगा कि एक साहू को मुख्यमंत्री न बनाने से नाराज लोगों ने कांगे्रस को करीब-करीब हर सीट पर हरा दिया। वे और टी.एस. सिंहदेव इसलिए भी खुश हैं कि पूरे राज्य का जिम्मा मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का है जो 11 में से नौ सीटें गंवा बैठे हैं।
मुख्यमंत्री पद के चौथे दावेदार या हकदार रहे चरणदास महंत इसलिए खुश हैं कि उनकी पत्नी ऐसी मोदी-सुनामी में भी सांसद बन गई हैं, और इसके लिए वे अकेले तारीफ के हकदार हैं, और बाकी तीनों सीएम-दावेदारों के इलाकों में कांग्रेस निपट गई।
सभी उम्मीदवार और सभी नेता इसलिए भी खुश हैं कि राहुल गांधी भी हार गए हैं, तो अब उन्हें कोई उलाहना देने वाला कोई बचा नहीं है।
हारी गई तमाम सीटों पर बाकी कांग्रेसी खुश हैं कि अगली बार उनकी बारी उम्मीदवारी के लिए आ सकती है।
कुल मिलाकर पूरे राज्य में कांग्रेस में खुशी का माहौल है।
भोपाल को कांग्रेसी सांसद नसीब
कांग्रेस भले ही भोपाल लोकसभा सीट नहीं जीत सकी, लेकिन उसे एक सांसद जरूर मिल गई। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी और कोरबा की सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत भोपाल की ही रहने वाली हैं। ज्योत्सना की शिक्षा-दीक्षा भोपाल में हुई। उनके पिता रामसिंह मध्यप्रदेश सरकार में अफसर थे। ज्योत्सना का मायका भोपाल के अरेरा कॉलोनी में है। डॉ. महंत, दिग्विजय सिंह के ही सबसे करीबी साथियों में गिने जाते हैं। ऐसे में भोपाल से भले ही दिग्विजय सिंह की हार हो गई है, लेकिन ज्योत्सना महंत के रूप में भोपाल को कांग्रेसी सांसद मिल गया है। 

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