राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सौदान फिर सफल
31-May-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सौदान फिर सफल

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश भाजपा के कुछ समीकरण बदल गए हैं। पहले यह तकरीबन तय माना जा रहा था कि सौदान सिंह से छत्तीसगढ़ प्रभार वापस ले लिया जाएगा। सौदान के पास छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा, तेलंगाना और झारखंड का भी प्रभार है। इन सभी राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा है। हालांकि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद छत्तीसगढ़ में कार्यकर्ताओं ने जिस तरह उन्हें हटाने की मांग की थी, वह काफी चौंकाने वाला था। आमतौर पर संगठन मंत्री पार्टी की गुटीय राजनीति से परे रहते हैं, लेकिन सौदान सिंह पर कुछ लोगों को ही महत्व देने का आरोप लगता रहा है। अब नतीजे अनुकूल आ गए हैं, तो उन्हें हटाने की आशंका भी खत्म हो गई है। सौदान सिंह से अब भी नाराज चल रहे कार्यकर्ता कहने लग गए हैं-बॉस इज बैक। 

पंचतत्व भी लौटकर आते हैं...

जो लोग कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर फूहड़ मजाक करने में मजा पा रहे हैं उनको छत्तीसगढ़ देखना चाहिए। एक वक्त बेताज बादशाह की तरह राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने वाले अजीत जोगी किस तरह पहले ही चुनाव में प्रदेश खो बैठे, पार्टी से निलंबित हो गए, और छह महीने बाद वे न सिर्फ पार्टी में वापिस थे, बल्कि लोकसभा के उम्मीदवार भी थे। सांसद बने, लेकिन उसके पहले ही सड़क दुर्घटना में वे इतना नुकसान पा चुके थे कि बाकी की जिंदगी पहियों की कुर्सी पर आ गई। जिन लोगों ने उनकी सेहत को लेकर ओछी अटकलें लगाई थीं, उन सबको गलत साबित करते हुए वे एम्बुलेंस में पूरे प्रदेश को नापते रहे, और राजनीति में कांग्रेस से निकलने के बाद भी बने रहे। दूसरी तरफ जोगी सरकार में मंत्री रहते हुए भी विपक्षी की तरह जीने को मजबूर भूपेश बघेल ने बाद के पन्द्रह बरस भी विपक्ष में गुजारे, और आज जोगी कहीं नहीं हैं, और भूपेश बेताज बादशाह की तरह चल रहे हैं। दो बरस पहले तक इस छत्तीसगढ़ में जिन अफसरों को मुख्यमंत्री रमन सिंह से भी अधिक ताकतवर कहा जाता था, वे आज थाने और कोर्ट में खड़े हैं। 

इसलिए 68 बरस के नरेन्द्र मोदी के मुकाबले ठीक एक पीढ़ी छोटे 48 बरस के राहुल गांधी को एकदम से खारिज कर देना ठीक नहीं है क्योंकि लोकतंत्र में चुनाव आते-जाते रहते हैं, सत्ता आती-जाती रहती है, लोग आते-जाते रहते हैं। भारत की राजनीति में उन लोगों को भी दुबारा सत्ता में आते देखा गया है जो कि पंचतत्वों में विलीन मान लिए गए थे। इसलिए कब राख माथे का तिलक बन जाए, इसका कोई ठिकाना नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में रेणुका सिंह को भाजपा ने टिकट के लायक भी नहीं पाया था, लेकिन इस बार वे सौ फीसदी कांग्रेसी साबित सरगुजा से शान से जीतकर सांसद बनी हैं, और राज्य से अकेली केन्द्रीय मंत्री भी। अब भाजपा के भीतर भी जिन लोगों ने रेणुका सिंह को तिरस्कार से देखा था, वे आज सोशल मीडिया पर अपनी पहले की लिखी हुई बातों को मिटाने में लगे हैं। दुनिया में मिटाने के ऐसे काम के लिए पेशेवर एजेंसियां मौजूद हैं, लेकिन लोगों को उनकी सेवाएं न लेना पड़े तो ही बेहतर है। इसलिए कांग्रेस हो, या राहुल गांधी, या कि कोई और, किसी को पूरी तरह खारिज कर देना ठीक नहीं है। 

लोग एक वक्त कहते थे कि जिनके घर शीशे के हों, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। अभी रेलवे रिजर्वेशन की वेबसाईट पर किसी एक सज्जन को बार-बार महिलाओं के भीतरी कपड़ों की बिक्री के कुछ विज्ञापन दिखे। उन्होंने ट्विटर पर रेलवे रिजर्वेशन से इसकी शिकायत की, तो उन्होंने एक सही तकनीकी जवाब पोस्ट कर दिया। उन्होंने लिखा- कि हम गूगल की एड सर्विस का टूल इस्तेमाल करते हैं जो कि वेबसाईट इस्तेमाल करने वालों की पहले की सर्च को दर्ज करते चलता है, और उनकी पसंद और उनके देखे हुए नेट-पेज के आधार पर उन्हें विज्ञापन दिखाता है। आप कृपया अपने कम्यूटर के ब्राऊजर से कुकीज और ब्राऊजिंग हिस्ट्री को मिटा दें ताकि ऐसे विज्ञापनों से बचें।
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