कांग्रेस विधायक मोहितराम की पार्टी-सरकार में पूछ परख बढ़ गई है। वजह यह है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र पाली तानाखार से कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 61 हजार से अधिक मतों से बढ़त दिलाई, जिसके कारण पार्टी कोरबा सीट जीतने में कामयाब रही। वैसे प्रदेश में सबसे ज्यादा बढ़त वैशाली नगर सीट से भाजपा प्रत्याशी को मिली थी उन्हें करीब 63 हजार से अधिक वोटों की बढ़त मिली। ऐसे में जब मोदी फैक्टर के चलते जहां सीएम और ज्यादातर मंत्री अपने क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी को बढ़त नहीं दिला पाए, इन सबके बीच अकेले विधानसभा सीट पाली तानाखार से भारी बढ़त के सहारे कोरबा सीट जीतने पर मोहितराम को महत्व मिलना स्वाभाविक है।
हाल यह है कि सीएम और बाकी मंत्री उनकी अनुशंसाओं-सिफारिशों का विशेष ध्यान रख रहे हैं। सुनते हैं कि पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने तो एक कदम आगे जाकर यह तक कह दिया है कि सबसे ज्यादा मोहितराम के प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएंगे। विधायकों में अपने यहां के पंचायतों में काम कराने की होड़ मची है। सभी विधायक अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम स्वीकृत कराना चाहते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन पर मोहितराम को तवज्जो दिया जाना गलत नहीं है।
उस दौर में भी गांधी-नेहरू!
राजधानी रायपुर में भाजपा सरकार के कार्यकाल में कलेक्टरी करने वाले ठाकुर राम सिंह ने अपने दफ्तर में कुर्सी के ठीक पीछे गांधी-नेहरू की बड़ी सी तस्वीर लगा रखी थी जो कि वे अपने पिछले हर दफ्तर में भी लगाते थे, और साथ लिए चलते थे। जिस भाजपा की नजर में नेहरू आजादी के बाद से अब तक की सभी सरकारी गलतियों के अकेले गुनहगार रहे, उनकी तस्वीर को इस तरह खुलकर लगाकर रखना कम हौसले की बात नहीं थी। दफ्तर में उनकी जितनी तस्वीरें खिंचती थीं, सबमें उनके पीछे गांधी-नेहरू दिखते थे। आज तो प्रदेश में कांगे्रस की सरकार है, और देखना है कि गांधी-नेहरू की इज्जत किस-किस दफ्तर में है। राज्य सरकार को कम से कम अपने सारे अमले को गांधी-नेहरू की दो-चार किताबें इस उम्मीद के साथ तोहफे में देनी चाहिए कि वे इस सरकार की सोच को कुछ तो समझ सकें।
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