विचार / लेख

पेरिस ओलंपिक में ब्राजील का प्रतिनिधित्व
10-Aug-2024 5:02 PM
पेरिस ओलंपिक में ब्राजील का प्रतिनिधित्व

-अशोक पांडे

बारह साल पहले हैदराबाद में हुई विश्व जूनियर टेबल टेनिस प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने आई 17 साल की उस ब्राजीली लडक़ी ने अपने पहले मैच में वेनेजुएला की लूसेना जोसमेरी को सीधे सेटों में बुरी तरह हरा दिया। वह अपने देश की जूनियर रैंकिंग में तीसरे स्थान पर थी और सिंगल्स मैचों में उसने तब तक खेले अपने 66 मैचों में से 56 जीत रखे थे। एक लिहाज से उसकी यह जीत पहले से तय मानी जा रही थी।

लेकिन इस साधारण-सी, तयशुदा जीत को ‘द हिन्दू’ और ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ जैसे अखबारों ने अपनी सुर्खियों में जगह दी और उसके इंटरव्यू किये क्योंकि उसके भीतर कुछ खास बात थी। ब्रूना अलेक्जांद्रे नाम की इस लडक़ी की एक बाँह का कोहनी से ऊपर का हिस्सा तब काटना पड़ा था जब वह कुल तीन माह की थी। डॉक्टरों की लापरवाही हुई एक गलती ने उसे जीवन भर के लिए विकलांग बना दिया था।

उससे दो साल बड़ा उसका भाई टेबल टेनिस खेलने जाता था। उसकी देखा देखी सात साल की होने पर ब्रूना ने पहली बार रैकेट हाथ में लिया। टेबल टेनिस में सर्विस करने के लिए गेंद को एक हाथ से उछाला जाना होता है जबकि दूसरे से रैकेट थामा जाता है। ब्रूना ने इसका तोड़ यह निकाला कि कटी हुई कोहनी और बगल के बीच रैकेट फंसा कर सर्विस करना सीख लिया। तरीका कारगर तो हुआ लेकिन ऐसा करने से रैकेट का हैंडल पसीने की वजह से गीला हो जाता था और खेलने में मुश्किल होती थी।

जल्द ही उसे इस मुश्किल का समाधान खोजना था। कुछ बरसों बाद एक कोच के कहने पर उसने एक ही हाथ से गेंद उछालने और सर्विस करने का अभ्यास करना शुरू किया और दो माह में ऐसी महारत हासिल कर दिखाई कि पूरे देश में अपने आयु-वर्ग में उसकी सर्विस सबसे कमाल की हो गई।

एक बांह वाली इस बच्ची को साधारण खिलाडिय़ों के साथ भी खलने का मौका मिलता था, जैसा कि हैदराबाद में हुआ और शारीरिक रूप से अक्षम खिलाडिय़ों के साथ भी। हैदराबाद में उसकी टीम कुछ विशेष नहीं कर सकी अलबत्ता ब्रूना ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा। बहरहाल यूं हुआ कि शारीरिक कमी के चलते उसे अगले कुछ सालों तक दुनिया भर की ऐसी स्पर्धाओं में हिस्सा लेने तक सीमित कर दिया गया जिसमें केवल विकलांग खिलाड़ी हिस्सेदारी करते हैं।

इस तरह के खेलों का सबसे बड़ा आयोजन पैरालिम्पिक खेल होते हैं। ब्रूना ने 2016 और 2020 के पैरालिम्पिक्स में हिस्सा लिया और पदक भी जीते लेकिन उसकी अदम्य इच्छाशक्ति यहीं तक थमने वाली नहीं थी। बचपन से ही ब्रूना ने खुद से छ: साल बड़ी पोलैंड की जांबाज महिला नतालिया पार्तीका को अपना रोल मॉडल माना था जिसने जन्मजात एक बांह के साथ पैदा होने के बावजूद तीन ओलिम्पिक खेलों में हिस्सा लिया था।

ब्रूना ने अपने खेल पर दूनी मेहनत शुरू कर दी। नतीजतन इस बार के पेरिस ओलंपिक में ब्राजील का प्रतिनिधित्व करने से उसे कोई नहीं थाम सका। उसकी कटी हुई बांह भी नहीं।

कभी उसे खेलते हुए देखिएगा। जिन्दगी से बहुत सारी परेशानियों की शिकायत करना भूल जाएंगे।

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